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दलाई लामा ने लॉन्च किया दिल्ली के सरकारी स्कूलों में हैप्पीनेस कोर्स

दिल्ली सरकार ने इस अकादमी सत्र से अपने सभी स्कूलों में हैप्पीनेस कोर्स की शुरूआत की है. त्यागराज स्टेडियम में आयोजित एक कार्यक्रम में  बौद्ध धर्म गुरू दलाई लामा ने हैप्पीनेस कोर्स को लॉन्च किया.

दिल्ली के सरकारी स्कूलों में लॉन्च हैप्पीनेस कोर्स दिल्ली के सरकारी स्कूलों में लॉन्च हैप्पीनेस कोर्स
मोनिका गुप्ता/पंकज जैन
  • नई दिल्ली,
  • 02 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 8:17 AM IST

दिल्ली सरकार ने इस अकादमी सत्र से अपने सभी स्कूलों में हैप्पीनेस कोर्स की शुरूआत की है. त्यागराज स्टेडियम में आयोजित एक कार्यक्रम में  बौद्ध धर्म गुरू दलाई लामा ने हैप्पीनेस कोर्स को लॉन्च किया. इस मौके पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ कैबिनेट के तमाम मंत्री और सरकारी स्कूल के टीचर्स भी मौजूद रहे.

आम आदमी पार्टी सरकार में डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने बताया कि इस साल से सभी सरकारी स्कूलों में अब नर्सरी से 8वीं तक के करीब 10 लाख बच्चों को हैप्पीनेस पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा. सरकार का दावा है कि यह दुनिया का पहला ऐसा प्रयोग है जहां 45 मिनट के लिए रोजाना हैप्पीनेस की एक अलग क्लास होगी.

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हैप्पीनेस क्लास के अलावा रोजाना हर क्लास के पहले और बाद में 5 मिनट का साइंटिफिक मेडिटेशन की शुरुआत की जा रही है. सरकार के मुताबिक, 50 हजार टीचर और 10 लाख बच्चे इस मेडिटेशन का हिस्सा रोजाना बनेंगे. सिसोदिया ने कहा कि आज दिल्ली में हैप्पीनेस की शुरुआत हो रही है कल देश भर में इसे पहचाना जाएगा.

अरविन्द केजरीवाल ने लॉन्च के दौरान कहा कि शिक्षा में हैप्पीनेस की शुरुआत 100 साल पहले हो जानी चाहिए थी. गांधी जी कहते थे शिक्षा का मतलब है कि अच्छा इंसान या नागरिक बनाना जो अपने परिवार का पेट पाल सके. लेकिन हमारी शिक्षा व्यवस्था कमजोर पड़ जाती है. आज बच्चों को किताबें रटाने में लगे हुए हैं और इतने सारे लोग डिग्री लेकर बेरोजगार घूम रहे हैं. अगर शिक्षा अच्छी नहीं है तो देश को विकसित करने की बातें बेईमानी है.

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केजरीवाल ने आगे कहा कि केंद्र और राज्य सरकार को एक साल तक युद्ध स्तर पर शिक्षा को बेहतर करने के लिए ध्यान देना चाहिए. आज हैप्पीनेस को शिक्षा में शामिल करने के लिए पहला ठोस कदम उठाया जा रहा है. बच्चों को देशभक्ति का पाठ पढ़ाएंगे, बच्चों में विश्वास जगाने की कोशिश करेंगे. इसके बाद सरकारी स्कूल के बच्चे खुद को प्राइवेट स्कूल के बच्चों से कम नहीं समझेंगे.

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