
खालिस्तान समर्थक गोपाल चावला के साथ फोटो और इमरान खान को करतारपुर कॉरिडोर के लिए क्रेडिट देने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. विपक्षी पार्टियां ही नहीं बल्कि उनकी पार्टी के लोगों ने भी सिद्धू को लेकर सवाल खड़ा किए हैं.
केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने भी कहा है कि करतारपुर कॉरिडोर खोलने को लेकर अटल बिहारी वाजपेयी के समय से ही कोशिशें की जा रही थीं. खुद अटल बिहारी वाजपेयी ने यह मुद्दा उठाया था. अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट ने इसको लेकर फैसला किया.
पुरी ने कहा, 'हमारे केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 22 नवंबर को निर्णय लिया. सिद्धू की हमेशा कोशिश रहती है ऐसी. अंग्रेजी में कहते हैं ना आई मी वी सब कुछ उन्होंने किया है. जहां तक करतारपुर कॉरिडोर की बात है, 1994 से हमारी तरफ से यह मांग है. 1999 में भी अटल बिहारी वाजपेयी जब लाहौर गए थे, प्रकाश सिंह बादल भी डेलिगेशन में थे. उन्होंने डेलिगेशन टॉक्स में ही बात उठाई थी. यह बहुत पुरानी मांग है.'
सिद्धू और इमरान खान द्वारा एक दूसरे की तारीफ किए जाने पर पुरी ने कहा कि सिद्धू और इमरान के बीच जो बातचीत हुई है वह पब्लिक में यह है. मैं उसके बारे में कुछ नहीं कहना चाहता हूं. वह आतंकवादी के साथ खड़ा होना चाहते हैं और बाकी बातें कहते हैं.
उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने साफ तौर पर कहा है कि कॉरिडोर एक सिख कम्युनिटी की बहुत पुरानी मांग है. कॉरिडोर हम उम्मीद करते हैं कि इसे शांति और अमन की तरफ ले जाएगा. अगर कॉरीडोर बन भी जाता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि जो जमीनी हकीकत बदली है वो तब बदल जाएगी. जब तक कि पाकिस्तान संरक्षित आतंकवाद पूरी तरीके से बंद ना हो जाए. सुषमा ने साफ तौर से कहा है कि यह बिल्कुल स्पष्ट है, आतंकवाद और बातचीत साथ साथ नहीं चल सकते.
सिद्धू और चावला से मिले या किसी और से मिले. ये वही गोपाल चावला है जो कुछ दिन पहले हाफिज सईद से भी मिला था. सच्चाई अपने आप बयां करती है. सिद्धू के पाकिस्तान से चुनाव लड़ने की बात पर हरदीप पुरी ने कहा कि सिद्धू को चुनना चाहिए कि कौन सी निर्वाचन क्षेत्र अच्छा होगा. हमारे कुछ और भी नेता हैं, जो कराची के साथ कहीं और से भी लड़ना चाहते हैं.