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मोबाइल टावरों के रेडिएशन पर याचिका दायर, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब

सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मोबाइल टावरों से निकलने वाले रेडिएशन की ठीक से मॉनिटरिंग कराने की मांग की है. याचिका में कहा गया है कि मोबाइल टावरों से निकलने वाले रेडिएशन से गंभीर बीमारियों का खतरा होता है.

रोहित गुप्ता
  • नई दिल्ली,
  • 29 जून 2016,
  • अपडेटेड 11:34 PM IST

सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मोबाइल टावरों से निकलने वाले रेडिएशन की ठीक से मॉनिटरिंग कराने की मांग की है. याचिका में कहा गया है कि मोबाइल टावरों से निकलने वाले रेडिएशन से गंभीर बीमारियों का खतरा होता है.

सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर टेलि‍कॉम विभाग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिका में बहुत सारी इंटरनेशनल रिसर्च को आधार बताकर कहा गया कि मोबाइल टावरों से निकलने वाले रेडिएशन से कैंसर, लुकेमिया और अल्झाइमर जैसी बीमारियां हो सकती हैं. याचिका में कहा गया है कि‍ भारत में मोबाइल टावरों से जो रेडिएशन निकलता है वो अंतरराष्ट्रीय मानकों से 1 लाख गुना ज्यादा होता है.

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एडवाइजरी का नहीं हो रहा पालन
डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकॉम और पर्यावरण मंत्रालय ने ये एडवाइजरी जारी की हुई है कि‍ स्कूल, अस्पतालों के आस-पास टावर नहीं लगने चाहिए लेकिन इसका ठीक से पालन नहीं हो रहा. याचिका में कहा गया है की सरकार के पास ऐसा कोई मैकेनिज्म नहीं है जिससे तय स्तर से ज्यादा रेडिएशन की रोकथाम की जा सके. जो इसका उल्लंघन कर रहे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सके. इसके लिए सरकार के पास जरूरी मैनपावर भी नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट ने 4 हफ्ते में मांगा जवाब
याचिकाकर्ता के मुताबिक, 2011 ने विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि‍ ब्रेन कैंसर की एक वजह मोबाइल फोन का इस्तेमाल हो सकता है. 2014 में संसद की स्टैंडिंग कमेटी ने भी टेलिकॉम डिपार्टमेंट को कड़े शब्दों में कहा था कि‍ देश में सेलफोन टावर्स से निकलने वाले रेडिएशन का स्तर पश्चिमी मुल्कों में तय मानकों से ज्यादा नहीं होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकॉम से 4 हफ्ते में जवाब मांगा है. 22 जुलाई को इस मामले में अगली सुनवाई होगी.

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