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पूर्वोत्तर में तैनात अर्द्धसैनिक बलों के जवानों को बड़ी राहत

गृह मंत्रालय ने अर्द्धसैनिक बलों के जवानों को बड़ी राहत दी है. जो जवान पूर्वोत्तर या जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील स्थानों पर तैनात हैं उनके परिजनों की देखभाल के लिए गृह मंत्रालय ने बड़ा कदम उठाया है. उन जवानों को दिल्ली में मिले सरकारी क्वार्टर बने रह सकते हैं.

राजनाथ सिंह, केंद्रीय गृहमंत्री (फाइल) राजनाथ सिंह, केंद्रीय गृहमंत्री (फाइल)
दिनेश अग्रहरि
  • नई दिल्ली,
  • 10 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 2:01 PM IST

गृह मंत्रालय ने अर्द्धसैनिक बलों के जवानों को बड़ी राहत दी है. जो जवान पूर्वोत्तर या जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील स्थानों पर तैनात हैं उनके परिजनों की देखभाल के लिए गृह मंत्रालय ने बड़ा कदम उठाया है कि सैनिकों के परिजनों  को तीन साल के बाद भी देश की राजधानी दिल्ली में मिले सरकारी क्वार्टरों में रहने की अनुमति मिले. इस बारे में जल्द ही गृह मंत्रालय शहरी विकास मंत्रालय को चिट्ठी भेजेगा. लेकिन यह राहत केवल उन्हीं अधिकारियों-जवानों को मिल सकती है, जिन्हें शहरी विकास मंत्रालय के तहत सामान्य पूल श्रेणी में मकान प्राप्त हों.

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गौरतलब है कि गृह मंत्रालय जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर में तैनात अर्द्धसैनिक बलों के सैनिकों को तीन साल के बाद भी देश की राजधानी दिल्ली में मिले सरकारी क्वार्टरों में रहने की अनुमति के लिए शहरी विकास मंत्रालय से आग्रह करेगा. सूत्रों की माने तो मंत्रालय यह कदम जल्द ही लेगा और आतंकवादियों से लड़़ रहे जवानों के परिजनों की देखभाल का जिम्मा बखूबी निभाएगा.

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, मंत्रालय को अर्द्धसैनिक बलों से ज्ञापन मिलने के बाद, यह कदम उठाया गया है कि वह आतंकवाद प्रभावित जम्मू कश्मीर और उग्रवाद प्रभावित पूर्वोत्तर में सेवारत जवानों के परिजन को सरकार द्वारा दिए हुए क्वार्टर की समय सीमा को भी बढ़ा दिए जाने का आग्रह शहरी विकास मंत्रालय से करे.

मंत्रालय का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि इन दो क्षेत्रों में आतंकवादियों से लड़ रहे जवानों के परिजन की पूरी देखभाल की जाए.

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अधिकारी ने कहा कि ऐसे कई मामले हैं जहां सीआरपीएफ जैसे अर्द्धसैनिक बल के अधिकारी को पूर्वोत्तर में तैनाती के बाद जम्मू कश्मीर भेज दिया जाता है. गृह मंत्रालय इस तरह के मामलों में उनके परिजनों को रियायत देना चाहता है.

अधिकारी ने यह भी कहा कि रियायत उस स्थिति में मांगी जाएगी जहां अधिकारियों को शहरी विकास मंत्रालय के तहत सामान्य पूल श्रेणी में आवास दिया गया हो.

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