सरकार की नाक के नीचे अजब काम, ऊपर दवा तो नीचे दारू का इंतजाम

एक ही मकान में दवा और दारू दोनों को एक साथ बड़े ही शान के साथ रखा गया है. वायरल तस्वीर में एक ही बिल्डिंग में ऊपर अस्पताल और नीचे मयखाना साफ-साफ दिखाई दे रहा है. यह चौंकाने वाली तस्वीर झारखंड के धनबाद ज‍िले की है.

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शराब की दुकान और हॉस्प‍िटल एक साथ. शराब की दुकान और हॉस्प‍िटल एक साथ.

aajtak.in

  • धनबाद ,
  • 27 अगस्त 2019,
  • अपडेटेड 1:39 PM IST

इन दिनों सोशल मीडिया पर देश की कोयला राजधानी धनबाद का एक मामला वायरल हो रहा है. यहां एक ही मकान में दवा और दारू दोनों को एक साथ बड़ी ही शान के साथ रखा गया है. दरअसल इस वायरल तस्वीर में एक ही बिल्डिंग में ऊपर अस्पताल और नीचे मयखाना साफ-साफ दिखाई दे रहा है. अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिर सरकार ने एक ही बिल्डिंग में दवा और दारू बेचने का परमिशन कैसे दी?

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यह मामला धनबाद के गोविंदपुर थाना क्षेत्र के लाल बाजार की एक मार्केट का है. यहां साफ द‍िख रहा है क‍ि एक ही बिल्डिंग में ऊपर 'लाइफ लाइन हॉस्पिटल' चल रहा है तो ठीक उसी बिल्ड‍िंग के नीचे 'सरकारी विदेशी शराब की दुकान' खुली हुई है. यहां धड़ल्ले से शराब की बिक्री की जा रही है. हॉस्पिटल के नीचे शराब की दुकान खोल कर बैठे शराब व्यापारी को इस बात का जरा भी मलाल नहीं है कि उसने गलत जगह अपनी दुकान को खोल रखा है.

दुकानदार की यह बात सुनकर तो यही लगता है कि दुकानदार अपनी जगह ठीक ही है. उसे यहां शराब बेचने का हक तो भला सरकार ने ही दिया है. सेल्समैन शंभू स‍िंह की बात मानें तो वह अपनी जगह सही है, गलत तो हॉस्प‍िटल खोलने वाला है. दुकानदार का कहना है क‍ि मेरी शराब की दुकान यहां पहले खुली, बाद में ऊपर हॉस्प‍िटल खोला गया. वैसे भी इसमें मेरी क्या गलती है. यहां शराब बेचने का लाइसेंस तो मुझे सरकार ने ही द‍िया है.

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इस बारे में जिले में शराब का वाजिब कारोबार कराने वाली न‍ियामक संस्था, उत्पाद विभाग के आयुक्त से बात की गई. अब उन्होंने जो कहा वह तो और भी चौंकाने वाला था. उत्पाद व‍िभाग के सहायक आयुक्त राकेश कुमार का कहना है क‍ि उन्हें मामले की जानकारी काफी पहले से थी. शराब माल‍िक को दुकान हटाने के ल‍िए तीन-तीन बार नोट‍िस भी भेजा है लेक‍िन शराब दुकानदार, दुकान श‍िफ्ट करने को तैयार नहीं है.

माना जा रहा है क‍िशराब दुकानदार किसी वजह से बार-बार सरकारी नोटिस के बावजूद अपनी दुकान वहां से हटाने को तैयार नहीं है या फिर सरकार के ये नुमाइंदे पत्राचार का बहाना कर अपनी जिम्मेदारियों से इतिश्री करने में लगे हैं.

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