
गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के खराब स्वास्थ्य की वजह से उठे सियासी संकट के बीच विधानसभा में सबसे बड़े दल कांग्रेस को सरकार बनाने की संभावना नजर आने लगी थी. लेकिन कांग्रेस का यह दांव बीजेपी के चाणक्य अमित शाह के आगे तब उलटा पड़ गया, जब कांग्रेस के ही दो विधायकों ने पार्टी से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल होने का फैसला कर लिया.
ये है गोवा विधानसभा का गणित
कांग्रेस के दो विधायकों के इस्तीफे के बाद 40 सदस्यीय गोवा विधानसभा की संख्या घटकर 38 हो गई और सबसे बड़े दल कांग्रेस के 16 विधायकों की संख्या घटकर 14 हो गई. विधानसभा की ताजा स्थिति पर नजर डालें तो कांग्रेस-बीजेपी के पास 14-14 विधायक, महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी के 3, गोवा फॉरवर्ड पार्टी के 3, 3 निर्दलीय और एनसीपी के 1 विधायक शामिल हैं.
पर्रिकर के बाद बीजेपी की मुश्किल?
मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर की तबीयत लगातार नाजुक होने के बावजूद बीजेपी उन्हें मुख्यमंत्री बनाए रखा. इसके पीछे की वजह है कि बीजेपी को समर्थन देने वाली पार्टियां पर्रिकर के अलावा किसी और नेता मानने को तैयार नहीं हैं. गौरतलब है कि मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर की स्वीकार्यता को देखते हुए ही उनसे देश के रक्षा मंत्री का प्रभार वापस लेकर गोवा की कमान सौंपी गई थी.
आपको बता दें कि कुछ महीने पहले बीजेपी की तरफ से कोशिश की गई थी कि विधायक दल की बैठक बुलाकर किसी और को नेता चुन लिया जाए लेकिन बीजेपी ने अपने कदम पीछे खींच लिए. मुख्यमंत्री पर्रिकर दिल्ली के एम्स से अपने गांव लौट चुके हैं और उनके स्वास्थ्य को लेकर स्थिति सार्वजनिक तौर पर स्पष्ट नहीं है. गोवा में विपक्षी कांग्रेस लगातार राज्यपाल मृदुला सिन्हा से राज्य के संवैधानिक संकट को देखते हुए विशेष सत्र बुलकर बहुमत साबित करने की मांग कर रही थी. इसी संदर्भ में कांग्रेस ने सोमवार को राष्ट्रपति को ज्ञापन लिखकर उन्हें ताजा स्थिती से अवगत कराया था.
ये है बीजेपी की रणनीति
कांग्रेस के लगातार बढ़ते दबाव और मनोहर पर्रिकर के स्वास्थ्य को लेकर उहापोह की स्थिति में बीजेपी एक बार फिर सक्रिय हुई है. जाहिर है पार्टी गोवा की सत्ता अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहती. और ऐसे समय तो बिलकुल भी नहीं जब पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. लिहाजा ऐसी स्थिति में बीजेपी इस रणनीति पर काम करती दिख रही है कि यदि पर्रिकर के अलावा किसी और को नेता चुन लिया जाता है तो विधानसभा में पार्टी को बहुमत साबित करना होगा. ऐसें में अगर बीजेपी को समर्थन दे रही पार्टियों ने पर्रिकर के अलावा किसी और को नेता मानने से इनकार कर दिया तो इसकी भरपाई कैसे होगी? कांग्रेस के दो विधायक दयानंद सोपते और सुभाष शिरोदकर के इस्तीफे से विधानसभा की संख्या घटकर 38 हो गई है. लिहाजा अब बहुमत साबित करने के लिए 19 विधायकों की आवश्यकता होगी.
ऐसे निकलेगा बहुमत का रास्ता
कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल होने वाले इन विधायकों का दावा है कि भविष्य में कांग्रेस के और विधायक पार्टी छोड़ सकते हैं. यदि इन विधायकों का दावा सही साबित हुआ तब बीजेपी को अन्य नेता की अगुवाई में सरकार बनाने के लिए बहुमत साबित करने में मुश्किल नहीं होगी. लिहाजा एक बार फिर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की चाणक्य नीति के सामने कांग्रेस हाथ मलती रह जाएगी.
गौरतलब है कि फरवरी 2017 में हुए गोवा विधानसभा चुनावों में 16 विधायकों के साथ कांग्रेस सबसे बड़ा दल बनकर उभरी थी. लेकिन 14 विधायकों वाली बीजेपी ने 9 अन्य विधायकों के समर्थन के साथ सरकार बना ली और कांग्रेस देखती रह गई.