
तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में 21 मई 1991 को जब राजीव गांधी की हत्या हुई. तब इस बड़ी वारदात की जांच और राजीव के कातिलों तक पहुंचना सबसे बड़ी चुनौती थी. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव की हत्या में लिट्टे के हाथ होने के संकेत मिले तो कई बड़े पुलिस अफसर डर गए और उन्होंने जांच से ही कन्नी काट ली. तब गृहमंत्रालय और सीबीआई ने तेजतर्रार आईपीएस डीआर कार्तिकेयन को याद किया.डीआर कार्तिकेयन की पोस्टिंग उस वक्त हैदराबाद में थी. उस वक्त वह सीआरपीएफ में आईजी थे.
उन्हें फोन कर फौरन बुलाया गया. प्लेन से वह हैदराबाद से चेन्नई पहुंचे. फिर उनके सामने राजीव गांधी हत्याकांड की जांच के लिए एसआइटी का नेतृत्व करने का प्रस्ताव रखा गया तो उन्होंने झट से हामी भर दी. जबकि उनके कई साथी अफसरों ने इस खतरनाक मामले की जांच से न जुड़ने की सलाह दी, क्योंकि उनका परिवार तमिलनाडु में रहता था, जहां तमिल आतंकी संगठन लिट्टे की सक्रियता थी. मगर कार्तिकेयन ने इसकी परवाह न करते हुए इस केस की जांच का जिम्मा उठाया.
जब कार्तिकेयन को लोगों ने केस छोड़ने की सलाह दी तो उन्होंने कहा कि हर आदमी धरती पर मरने के लिए ही जन्म लेता है. इंदिरा गांधी को तो उनके घर में ही सुरक्षाकर्मियों ने गोली मार दी. फिर मेरी क्या बिसात है... राजीव गांधी की हत्या किसने और कैसे की? डीआर कार्तिकेयन ने अपनी किताब Triumph of Truth: The Rajiv Gandhi Assassination में इस पूरे घटनाक्रम का जिक्र किया है.
एक लाख तस्वीरें खंगालीं
राजीव गांधी की हत्या की जांच के लिए डीआर कार्तिकेयन के नेतृत्व में गठित एसआइटी को कंट्रोल रूम खोलकर काम करना पड़ा. सूचनाएं जुटाने के लिए टोल फ्री नंबर भी स्थापित हुए. हत्याकांड का खुलासा करने में एसआइटी ने 1,044 गवाहों को जुटाकर उनके 10,हजार पेज में बयान लिए गए.इस दौरान कड़ी से कड़ी जोड़ने के लिए पांच सौ वीडियो कैसेट जांच अधिकारियों ने देखे तो करीब एक लाख से ज्यादा तस्वीरों की स्क्रूटनी भी की. 1477 दस्तावेजों को कोर्ट में सुबूत के तौर पर पेश किया गया. 21 मई 1991 को हुई हत्या की इस घटना में एसआइटी ने एक साल के भीतर 20 मई 1992 को चार्जशीट पेश कर दी थी. एसआइटी ने कुल 26 आरोपियों पर 251 आरोप लगाए गए थे. ज्यादातर गवाह लिट्टे की धमकियों से डर गए, आखिर तक 288 गवाह ही बचे. डीआर कार्तिकेयन के मुताबिक उनकी टीम ने घटना का खुलासा करने में साइंटिफिक एविडेंस, बरामद हुए तमाम दस्तावेजों के परीक्षण के जरिए सफलता हासिल की. यह एक ब्लाइंड केस था.
5 हजार फोन कॉल्स
जांच अधिकारी डी. आर कार्तिकेयन के मुताबिक महात्मा गांधी और इंदिरा गांधी की हत्या से भी ज्यादा राजीव गांधी मर्डर जटिल था. क्योंकि इसमें हत्यारे और उसके इरादे के बारे में जानकारी तलाशना बहुत टेढ़ी खीर था. बकौल कार्तिकेयन," मेरे सामने दो ही प्रश्न थे, राजीव गांधी को किसने मारा, क्यों और कैसे मारा? बाकी सवाल भी इन्हीं तीन सवालों से ही जुड़े थे. हमने सीबीआई, रॉ और कैबिनेट सचिवालय से मिले इंटेलीजेंस इनपुट पर चर्चा की. फिर हत्या से पहले तमाम कोड वाले संदेशों के आदान-प्रदान को भी समझने की कोशिश की. ज्यादातर संदेशों का आदान-प्रदान तमिलनाडु के आतंकी संगठनों के बीच हो रहा था. एक कंट्रोल रूम 24 घंटे का बना. टोल फ्री नंबर पर पांच हजार से अधिक फोन कॉल आए. करीब चार हजार पत्र भी आए.जिसमें घटना के संबंध में तमाम तरह की बातें थीं. हर सूचना को कंट्रोल रूम ने गंभीरता से लेकर जांच शुरू किया.
हर दिन आता था गांधी परिवार का फोन
राजीव गांधी की हत्या के बाद से गांधी परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था. सोनिया गांधी और राहुल तथा प्रियंका रात में तभी सोते थे, जब तक उन्हें दिन भर चली जांच की डिटेल नहीं मिल जाती थी. डी आर कार्तिकेयन ने अपनी किताब में कहा है कि जांच के शुरुआती कुछ महीनों तक हर दिन मुझे सोनिया गांधी के निजी सचिव विन्सेंट जॉर्ज का फोन आता था. कभी-कभी फोन मध्य रात्रि तो कभी-कभी सुबह के शुरुआती घंटों में आता था. जॉर्ज ने उन्हें बताया था कि जांच की अपडेट मिलने के बाद ही सोनिया, राहुल और प्रियंका सो पाते हैं. गांधी परिवार उनसे कई सवाल जानने की कोशिश करता था. मिसाल के तौर पर राहुल गांधी यह जानना चाहते थे कि घटनास्थल पर मारे गए संदिग्ध कैमरामैन हरिबाबू के कैमरे की लेंस की क्षमता कितनी थी? एसआइटी हेड कार्तिकेयन को विदेशी समाचार एजेंसियों से देर रात क फोन कॉल आने लगतीं. इस घटना ने उन्हे सोचने को मजबूर किया कि भारत के बड़े से बड़े मामलों को सिंगल कॉलम में निपटा देने वाले विदेशी समाचार संस्थान इस घटना में इतनी रुचि क्यों ले रहे हैं. इस घटना ने हत्या में विदेशी कनेक्शन भी तलाशने पर जोर दिया. जांच के दौरान डीआर कार्तिकेयन को फोन और पत्रों के जरिए तमाम तरह की धमकियां मिलीं.21 मई 1991 को कैसे हुई थी हत्या
उस दिन चुनावी कैंपेनिंग के लिए राजीव गांधी फ्लाइट से चेन्नई एयरपोर्ट पर शाम आठ बजकर 20 मिनट पर पहुंचे. यहां से वह बुलेट प्रूफ कार से कांग्रेस प्रत्याशी के साथ जनसभाओं के लिए तय स्थलों को रवाना हुए. तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में राजीव गांधी के सम्मान में एक म्यूजिकल प्रोग्राम था. राजीव गांधी के इस कार्यक्रम की जानकारी 17 मई को ही स्थानीय प्रशासन को हुई थी, जिससे सुरक्षा तैयारियां आनन-फानन में हुईं. मौके पर तीन सौ पुलिसकर्मियों की तैनाती थी. उस वक्त आइजी आरके राघवन पूरे आयोजन के सिक्योरिटी इंचार्ज थे. राजीव गांधी को माल्यार्पण के लिए 23 लोगों को पुलिस क्लीयरेंस मिला था. मगर कांग्रेस कार्यकर्ता लता और उसकी बेटी कोकिला का नाम बाद में आयोजनकर्ता की सिफारिश के बाद क्लीयर किया गया.इस बीच देखा गया कि ग्रीन और ऑरेंज सलवार-कमीज पहने हुए और आंखों पर चश्मा लगाए एक संदिग्ध महिला लता के साथ मौजूद है.
महिला के साथ हरिबाबू नामक फोटोग्राफर और तीन अन्य साथी मौजूद थे, जिसमें दो महिलाएं फैशनेबल साड़ी में और एक व्यक्ति कुर्ता पायजामा में था. ये सभी लता के जरिए राजीव गांधी से मिलने के लिए पुलिस क्लीयरेंस का जुगाड़ पाने की कोशिश में थे. क्योंकि कांग्रेस से जुड़ाव के कारण लता की स्थानीय कांग्रेस पदाधिकारियों से जान-पहचान थी. जब कोकिला और लता राजीव गांधी को माल्यार्पण करने की तैयारी में थीं तब वह महिला भी उनके साथ आ गई. इस बीच हरिबाबू ने पहली तस्वीर क्लिक की. बुलेटप्रूफ कार से राजीव गांधी के कार्यक्रम स्थल पर पहुंचते ही म्यूजिकल प्रोग्राम बंद हो गया.आयोजनकर्ता ने इस दौरान कहा कि जो लोग राजीव गांधी को माला पहनाना चाहते हैं तो वो पोजीशन ले लें.
इस बात से कंफ्यूजन पैदा हो गया और जिन्हें क्लीयरेंस नहीं मिली थी, वो भी माला पहनाने के लिए दौड़ पड़े. माला पहनाने वालों में आंखों पर चश्मा लगाई वह महिला भी शामिल हो गई, जिसे क्लीयरेंस नहीं मिला था. यह देख मौके पर मौजूद अनुसूइया नामक महिला कांस्टेबल ने उसे हटाने की कोशिश की मगर राजीव गांधी ने महिला कांस्टेबल को इशारा कर रिलैक्स रहने को कहा. राजीव गांधी को अभी बुलेटप्रूफ कार से उतरे हुए 10 मिनट भी नहीं हुए थे, महिला ने राजीव को पहले माला पहनाया और फिर उनके पैर छूने के लिए जैसे ही वह झुकी, तभी तेज आवाज में बम धमाका हुआ.
यह वक्त था रात दस बजकर 20 मिनट का. इस आत्मघाती बम हमले में कुल 18 लोगों की मौत हो गई. इसमें राजीव गांधी के निजी सुरक्षा अधिकारी, एसपी सहित, पत्रकार और कई अन्य लोग शामिल थे. राजीव गांधी के शव को पोस्टमार्टम के लिए एयरपोर्ट ले जाया गया. जहां सोनिया गाधी अपने दोनों बच्चों के साथ पहुचीं थीं.
डीएनए जांच से हुआ खुलासा
राजीव गांधी की हत्या की जांच करने वाले एसआइटी हेड कार्तिकेयन ने कहा कि घटनास्थल पर पहुंची तमिलनाडु फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी(TNFSL) की टीम ने कई मैटेरियल इविडेंस हासिल किए थे, जिससे पता चलता था कि हत्या में विस्फोटक डिवाइस इस्तेमाल हुई. टीम को नीले रंग के फटे कपड़े और इससे इलेक्ट्रानिक वायर जुड़ा मिला. बारीकी से देखने पर पता चला कि इस इलेक्ट्रानिक वायर को विशेष रूप से डिजाइन किए गए तीन परतों की एक जैकेट बेल्ट में छुपाया गया था.
इसमें डेनिम कपड़े का इस्तेमाल था. मौके पर ग्रीन और ऑरेंज कलर के फटे कपड़े के टुकड़े भी मिले. डेनिम कपड़ों में लगे मिले मानव मांस और टिसू के नमूने लिए गए. मौके पर मारे गए लोगों में सिर्फ एक महिला थी, जिसकी दाईं भुजा उड़ गई थी. फोरेंसिंक जांच के लिए सेंट्रल फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी, नई दिल्ली, एनएसजी और टीएनएफएसएल की टीम ने मिलकर काम किया. इस दौरान सौ से अधिक छर्रे बरामद हुए. इलेक्ट्रिक डेटोनेटर्स, 9 वोल्ट गोल्डन पॉवर बैट्री भी बरामद हुई. पोस्टमार्टम के बाद पता चला कि हत्या में आरडीएक्स का इस्तेमाल हुआ है.
24 मई 1991 को डेढ़ बजे सीबीआई ने राजीव गांधी की हत्या का केस दर्ज किया. मौके से बरामद टिसूज को डीएनए जांच के लिए भेजा गया.ताकि ग्रीन और ऑरेंज कपड़ों में मौजूद महिला के बारे में पता चल सके. CCMB हैदराबाद की जांच में पता चला कि जिस महिला की लाश के हिस्से पुलिस ने बरामद किए थे और मौके से बरामद इलेक्ट्रानिक डिवाइस पर मौजूद टिसूज का डीएनए एक है. जिससे पता चला कि महिला ही मानव बम बनकर राजीव गांधी को मारने पहुंची थी. फिर एसआइटी ने मारे गए कैमरामैन हरिबाबू के बरामद हुए कैमरे की सभी तस्वीरों को भी लैब से निकलवाया. हरिबाबू ने उस दिन कई आयोजन की कई तस्वीरें लीं थीं.
जिसमें ग्रीन और ऑरेंज कपड़े वाली महिला राजीव गांधी के करीब नजर आई थी. डीएनए जांच और कैमरे की तस्वीरों ने एसआइटी को राजीव गांधी की हत्या के सभी साजिशकर्ताओं तक पहुंचाने का काम किया.जांच में पता चला कि राजीव गांधी को मारने की साजिश श्रीलंका के जाफना में बनी. नवंबर 1990 में घने जंगलों में मौजूद में मौजूद लिट्टे चीफ प्रभाकरण और उसके चार साथी इस साजिश में शामिल रहे. ये साथी थे बेबी सुब्रह्मण्यम, मुथुराजा, मुरूगन और शिवरासन.उन्होंने राजीव की हत्या के लिए मानवबम धनू का सहारा लिया था.