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इंसानों को अंतरिक्ष में भेजेंगे इसरो और वायु सेना, अमेरिका-रूस-चीन के बाद चौथा देश होगा भारत

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मानव मिशन के लिए भारतीय वायुसेना ने समझौता किया है. इसरो 2022 तक तीन भारतीयों को अंतरिक्ष में ले जाएगा. इसके लिए अंतरिक्ष यात्रियों का चयन और ट्रेनिंग इसरो और वायुसेना मिलकर करेगी.

गगनयान मिशन डायरेक्टर आर हट्टन, इसरो प्रमुख के सिवन और वायुसेना के एवीएम आरजीके कपूर. गगनयान मिशन डायरेक्टर आर हट्टन, इसरो प्रमुख के सिवन और वायुसेना के एवीएम आरजीके कपूर.
ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 29 मई 2019,
  • अपडेटेड 6:00 PM IST

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मानव मिशन के लिए भारतीय वायुसेना ने समझौता किया है. इसरो 2022 तक तीन भारतीयों को अंतरिक्ष में ले जाएगा. इसके लिए अंतरिक्ष यात्रियों का चयन और ट्रेनिंग इसरो और वायुसेना मिलकर करेगी. इसरो प्रमुख के सिवन की मौजूदगी में वायुसेना के एवीएम आरजीके कपूर और गगनयान मिशन के डायरेक्टर आर हट्टन ने एमओयू पर हस्ताक्षर किया.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल कैबिनेट बैठक के दौरान महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए इसरो के मिशन गगनयान के लिए 10 हजार करोड़ रुपए को मंजूरी दी थी. इस मिशन के तहत 3 भारतीय अंतरिक्ष में सात दिन गुजारेंगे. अगर भारत अपने मिशन में कामयाब होता है तो ऐसा करने वाला वह दुनिया का चौथा देश होगा. अब तक अमेरिका, रूस और चीन ने ही अंतरिक्ष में अपना मानवयुक्त यान भेजने में सफलता पाई है.

40 महीने में पूरा हो जाएगा मिशन

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कैबिनेट की बैठक के बाद बताया था कि इस योजना को मंजूरी मिलने के बाद अगले 40 महीने के अंदर गगनयान को लॉन्च कर दिया जाएगा. इससे पहले इसरो के प्रमुख के सिवन ने कहा था कि अंतरिक्षयात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने वाली प्रौद्योगिकी विकसित की जा चुकी है. इस दिशा में मानव क्रू मॉड्यूल और पर्यावरण नियंत्रण तथा जान बचाने की प्रणाली जैसी प्रौद्योगिकी भी विकसित की जा चुकी है.

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सिवान ने कहा कि 2022 में गगनयान को रवाना करने के इसरो जियोसिंक्रोनस सेटेलाइट लांच व्हीकल मार्क-III (GSLV Mark-III) का इस्तेमाल करते हुए दो मानवरहित मिशन और यानों को भेजेगा.

आइए जानते हैं गगनयान (Gaganyaan Mission) की 10 खास बातें

  • साल 2006 में गगनयान पर योजना शुरू की गई थी.
  • यह अंतरिक्ष में एक सप्ताह तक गुजार सकता है.
  • गगनयान को फाइनल डिजाइन देने में मार्च 2008 तक का समय लग गया.
  • जिसके बाद इसके वित्त पोषण के लिए भारत सरकार के सामने पेश किया गया था.
  • गगनयान के निर्माता HAL और ISRO ने इसका डिजाइन स्पेस कैप्सूल रिकवरी प्रयोग के डिजाइन को धयान में रखकर बनाया था.
  • गगनयान का कुल वजन 3.7 टन है.
  • लॉन्चिंग के साथ गगनयान का वजन करीब 7.8 टन है.
  • यह अधिकतम 3 लोगों को लेकर अंतरिक्ष में जा सकता है.
  • वैज्ञानिकों ने गगनयान को जीवन नियंत्रण और पर्यावरण नियंत्रण प्रणाली के तहत बनाया है.
अंतरिक्ष यात्रा पर जा चुके हैं तीन भारतीय

भारत इस उपलब्धि को हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश होगा. वायु सेना के पूर्व पायलट राकेश शर्मा अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय थे. वहीं भारत में जन्मी कल्पना चावला और भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स भी अंतरिक्ष जा चुकी हैं.

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