
वायुसेना के लापता विमान एएन-32 का सुराग अभी तक नहीं मिल पाया है.शुक्रवार सुबह भारतीय नेवी के पी8आई विमान ने तमिलनाडु के अरक्कोणम से सर्च ऑपरेशन शुरू किया. लेकिन उसे भी असफलता ही हाथ लगी. विमान में 13 लोग सवार थे और इसे लापता हुए 6 दिन बीत चुके हैं. इसलिए वायु सेना ने इसकी सूचना देने वाले को 5 लाख रुपये इमान देने का ऐलान किया है.
भारतीय वायु सेना ने शनिवार को ऐलान किया कि जो कोई भी विमान एएन-32 के लोकेशन की सूचना देगा, उसे पांच लाख रुपये का इनाम दिया जाएगा. एयर ईस्टर्न एयर कमांड के मार्शल आरडी माथुर ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि जो भी इसकी सही सूचना देगा, उसे इनाम दिया जाएगा.
इस बीच भारतीय वायु सेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने शनिवार को असम के जोरहाट में वायु सेना स्टेशन का दौरा किया और चल रहे तलाशी अभियान की जानकारी ली. उन्हें सर्च ऑपरेशन के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई और अब तक प्राप्त इनपुट से अवगत कराया गया. वहीं भारतीय वायुसेना प्रमुख ने विमान में सवार अधिकारियों के परिवारों के साथ भी बातचीत की.
सर्च ऑपरेशन में इसरो भी जुटा
बताया जा रहा है कि विमान के बारे में पता लगाने के विभिन्न एजेंसियां जुटी हुई है. इनमें इसरो भी शामिल हैं. वायु सेना ने जारी बयान में बताया कि सर्च ऑपरेशन में कई एजेंसियों जुटी हुई हैं. इसमें इसरो भी मदद कर रहा है. जंगल पहाड़ होने की वजह से कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
बता दें कि मंगलवार को नौसेना के लंबी दूरी के समुद्री टोही विमान पी-8आई ने तमिलनाडु के आईएनएस राजली से खोज और बचाव अभियान में शामिल होने के लिए उड़ान भरा. नौसेना के अधिकारियों ने बताया कि पी-8आई समुद्री टोही, पनडुब्बी रोधी अभियानों और इलेक्ट्रॉनिक खुफिया अभियानों के लिए सेंसर से लैस है.
नौसेना के एक प्रवक्ता ने ट्वीट किया, "पी-8आई विमान में बहुत शक्तिशाली सिंथेटिक एपर्चर रडार है, जिसका इस्तेमाल लापता विमान का पता लगाने के लिए एसएआर स्वीप के दौरान किया जाएगा."
लापता विमान की खोजबीन के लिए सोमवार को भारतीय वायु सेना के सी-130, एएन-32 विमान, भारतीय वायुसेना के दो एमआई-17 और भारतीय सेना के एएलएच हेलीकॉप्टरों को लगाया गया. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) भी उपग्रहों की मदद से बचावकर्ताओं को सहयोग कर रहा है.