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आईएएस कन्नन बोले- कश्मीर के मौलिक अधिकार छीनने पर दिया इस्तीफा

भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 33 वर्षीय अधिकारी कन्नन गोपीनाथन ने जम्मू-कश्मीर में लगाए गए प्रतिबंध और मौलिक अधिकारों के हनन के विरोध में 21 अगस्त को इस्तीफा दे दिया था.

आईएएस कन्नन गोपीनाथन (फाइल फोटो) आईएएस कन्नन गोपीनाथन (फाइल फोटो)
कमलजीत संधू
  • नई दिल्ली,
  • 26 अगस्त 2019,
  • अपडेटेड 11:04 AM IST

भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 33 वर्षीय अधिकारी कन्नन गोपीनाथन ने जम्मू-कश्मीर में लगाए गए प्रतिबंध और मौलिक अधिकारों के हनन के विरोध में 21 अगस्त को इस्तीफा दे दिया था. केरल में 2018 में आई बाढ़ के दौरान उनके काम की काफी सराहना हुई थी. इंडिया टुडे से बात करते हुए कन्नन ने कहा कि पद छोड़ने का निर्णय एमएचए के नोटिस के आधार पर नहीं था, बल्कि कश्मीर के मौलिक अधिकारों के लिए उनका निर्णय था. गोपीनाथन की फैमिली ने उनके फैसले का समर्थन किया है.

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इंडिया टुडे को मिली जानकारी के मुताबिक, आईएएस अधिकारी को गृह मंत्रालय (एमएचए) के अंडर सेक्रटरी राकेश कुमार सिंह की ओर से जुलाई में 'एक्ट ऑफ ऑमिशन एंड कमीशन' को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था. दो पेज के इस नोटिस में बड़े पैमाने पर बाढ़ के मद्देनजर अपने गृह राज्य केरल का दौरा करना भी शामिल है. इसके अलावा नोटिस में विभिन्न श्रेणियों के तहत प्रधानमंत्री पुरस्कार के लिए नामांकित व्यक्तियों की तैयारी के संबंध में था, जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि कन्नन दिए गए निर्देशों का पालन करने में विफल रहे थे.

आईएएस अधिकारी को अगले दस दिनों में सलाहकार को जवाब देने के लिए कहा गया था, जबकि दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि उक्त मामले पर निर्णय अगले 15 दिनों में UT के सलाहकार द्वारा लिया जाएगा. इस संबंध में कन्नन गोपीनाथन ने 31 जुलाई को विस्तार से जवाब दे दिया था. वहीं, केंद्र ने आरोप लगाया कि अधिकारी रिपोर्ट देने में विफल रहे.

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बता दें कि गोपीनाथन दादरा और नगर हवेली में बिजली और गैर-पारंपरिक ऊर्जा सचिव के रूप में तैनात थे. केरल के 2012 बैच के आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन ने इससे पहले कहा था कि जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा छीने जाने के बाद से हफ्तों से वहां के लाखों लोगों के मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.  उन्होंने कहा, 'मैंने प्रशासनिक सेवा इसलिए ज्वाइन की, क्योंकि मुझे लगा कि मैं उन लोगों की आवाज बन सकता हूं, जिनकी आवाज को बंद कर दिया जाता है. लेकिन यहां, मैंने खुद अपनी आवाज खो दी.'

गोपीनाथन ने 20 अगस्त को ट्वीट कर लिखा था 'मैंने एक बार सोचा था कि सिविल सेवाओं में होने का मतलब साथी नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रता का विस्तार करना है.' उन्होंने कहा 'कश्मीर में 20 दिनों से लाखों लोगों के मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और भारत में कई लोगों को यह ठीक लग रहा है. यह सब भारत में 2019 में हो रहा है.'

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