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IAS अफसर के लिए स्पेशल बना Valentine Day, ऑफिस में IPS से रचाई शादी

तुषार की शादी को लेकर कई सवाल भी उठ रहे हैं क्योंकि उन्होंने अपने दफ्तर में ही शादी को लेकर पंजीकरण संबंधी औपचारिकता को पूरा किया.

आईएएस अधिकार ने आईपीएस प्रेमिका से शादी रचाकर वैलेंटाइन डे को बनाया यादगार आईएएस अधिकार ने आईपीएस प्रेमिका से शादी रचाकर वैलेंटाइन डे को बनाया यादगार
मनोज्ञा लोइवाल
  • हावड़ा,
  • 14 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 8:01 AM IST

  • आईएएस अधिकारी ने आईपीएस से की शादी
  • वैलेंटाइन डे को शादी करके बनाया यादगार

पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले में एक आईएएस अधिकारी ने आईपीएस प्रेमिका से शादी रचाकर वैलेंटाइन डे को यादगार बना दिया. आईएएस तुषार सिंगला 2015 बैच के बंगाल कैडर के अफसर हैं. उन्होंने आईपीएस नवजोत सिम्मी से शादी की है. सिम्मी बिहार कैडर की 2018 बैच की आईपीएस हैं. सिम्मी अभी एसीपी के तौर पर पटना में तैनात हैं. दोनों अधिकारी पंजाब के रहने वाले हैं.

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मैरिज रजिस्ट्रेशन के बाद दोनों अपने करीबियों की मौजूदगी में शादी के बंधन में बंध गए. फॉर्मल पोशाक में सिम्मी के साथ नजर आ रहे तुषार हैंडसम दिख रहे थे. वहीं सिम्मी भी लाल साड़ी में खूबसूरत नजर आ रही थीं.

शादी के बंधन में बंधे आईएएस और आईपीएस

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तुषार की शादी को लेकर कई सवाल भी उठ रहे हैं क्योंकि उन्होंने अपने दफ्तर में ही शादी को लेकर पंजीकरण संबंधी औपचारिकता को पूरा किया. शुक्रवार को तुषार के दफ्तर में ही शादी का पंजीकरण हुआ. पंजीकरण की प्रक्रिया पूरा होने के बाद यह जोड़ा पूजा-पाठ करने के लिए मंदिर पहुंच गया.

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जब नियम कायदों को लेकर राज्य के मंत्री और हावड़ा जिले के अध्यक्ष अरूप रॉय से सवाल किया गया तो उन्होंने जवाब दिया कि इसमें कुछ गलत नहीं है. मंत्री ने कहा, "इसमें कुछ भी गलत नहीं है. रजिस्ट्री के जरिये शादी करना भी एक कानूनी प्रक्रिया है. इसलिए इसे लेकर कोई विवाद नहीं है कि सरकारी दफ्तर में शादी हुई. दोनों लोगों ने पंजीकरण के दस्तावेजों पर सिग्नेचर किया है. "

अरूप रॉय ने आगे कहा, "सरकारी दफ्तर में किसी भोज का आयोजन नहीं किया गया था. इस स्थिति में विवाद का कोई सवाल ही नहीं है. मुझे नहीं लगता कि सरकारी कार्यालय में दो लोगों की शादी में कोई समस्या है. यह मेरे लिए कोई अपराध नहीं है. शायद वह ड्यूटी पर थे, जिसकी वजह से उन्होंने कार्यालय में यह किया. इन दोनों ने शादी करने के लिए सिर्फ कागजों पर हस्ताक्षर किए. लेकिन कोई उत्सव नहीं हुआ. इसलिए मुझे इसमें कुछ गलत नहीं लगता है."

(इनपुट: हावड़ा से बैद्यनाथ झा)

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