
वरिष्ठ पत्रकार और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के हाल ही में नियुक्त किए गए अध्यक्ष राम बहादुर राय ने सिरे से इंकार किया है कि उन्होंने किसी पत्रिका को कोई इंटरव्यू दिया है. अपनी सफाई में राय ने ये भी कहा कि ये सब राजनीतिक साजिश है, क्योंकि इसी बहाने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा जा रहा है.
राम बहादुर राय ने इंटरव्यू को सिरे से नकारा
राम बहादुर राय ने कहा कि पत्रिका ने उनके साथ ही नहीं, बल्कि अपने पाठकों के साथ भी अन्याय किया है, क्योंकि उनसे बातें करने आई पत्रकार ने ना तो अपना परिचय दिया और ना ही ये कहा कि वो इंटरव्यू के लिए आई है. वो उनके एक परिचित के साथ आई थी. परिचित ने कहा था कि वो संविधान के बारे में आपसे कुछ जानना चाहती है. अनौपचारिक बातचीत हुई थी. रही बात पाठकों की तो पत्रिका का ये दावा कि ये राम बहादुर राय का आईजीएनसीए अध्यक्ष के रूप में पहला इंटरव्यू है तो ये पाठकों के साथ अन्याय है.
पत्रिका के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी
पत्रिका के खिलाफ मोर्चा आईजीएनसीए ने भी खोला है. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र ने पत्रिका को चिट्ठी लिखकर जवाब मांगा है. फिलहाल राय का कहना है कि वो इस मामले को एडिटर्स गिल्ड की निगाह में भी लाएंगे, ताकि पत्रकारिता के नाम पर ये खेल बंद हो. जब राय से ये पूछा गया कि संविधान और इसके लेखक भीम राव अंबेडकर के बारे में क्या बातचीत हुई तो उनका कहना था, 'पत्रिका के जिस दावे के बारे में आपका सवाल है उसको लेकर मैं कुछ नहीं कहूंगा क्योंकि मैं उस इंटरव्यू को ही सिरे खारिज करता हूं'.
अपनी सोच के बारे में राय ने फिर कहा कि पहले भी कानून में बदलाव के लिए प्रोविजनल पार्लियामेंट को संविधान सभा में बदला गया था. अब समय आ गया है कि देश के संविधान को समय के मुताबिक तैयार करने के लिए 16वीं लोकसभा को संविधान सभा का दर्जा मिले ताकि संविधान को अपडेट किया जा सके.