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दंगाग्रस्त बशीरहाट में हिंदू पड़ोसी की मदद के लिए पैसा बांट रहे मुस्लिम

अजय पाल ने कहा कि 15 हजार का मेरा नुकसान हो गया है. मंगलवार को सैकड़ों लोग आए और मेरी दुकान लूट ले गए. उन्होंने हमारा सबकुछ लूट लिया. मैं नहीं जानता क्यों? मेरे पड़ोसी और मुसलमान दोस्त फिर से बिजनेस शुरू करने के लिए पैसा दे रहे हैं. मैं जल्द ही फैसला लूंगा.

बशीरहाट हिंसा बशीरहाट हिंसा
नंदलाल शर्मा
  • बशीरहाट, कोलकाता ,
  • 09 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 1:53 PM IST

दंगाग्रस्त बशीरहाट में उम्मीद की कोंपले फूट रही हैं. बांग्लादेश सीमा से लगे उत्तरी 24 परगना के इस इलाके में मुस्लिम लोग अपने हिंदू पड़ोसियों की मदद के लिए पैसा बांट रहे हैं. हफ्ते भर पहले हुई बशीरहाट हिंसा में सौ से ज्यादा दुकानें और मकान क्षतिग्रस्त हो गए. इनमें हिंदुओं की दुकानें और मकानों को काफी क्षति पहुंची है. ये हिंसा सोशल मीडिया पर वायरल हुई आपत्तिजनक पोस्ट के चलते हुई जिसमें इस्लाम और मुस्लिम के बारे में गलत टिप्पणी की गई थी.

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बशीरहाट की त्रिमुहानी का नजारा कुछ ऐसा है कि पुलिस और सुरक्षा बल के पहरे में खड़े मोहम्मद नूर इस्लाम गाजी और अजय पाल को भीड़ घेरे हुई है. यही पर अजय पाल की पान बीड़ी की दुकान है. मंगलवार को भड़की हिंसा में इस इलाके में खूब बवाल हुआ था. दुकानें लूट ली गई थीं और घरों में तोड़फोड़ हुई. गाजी और कई मुसलमान पाल से अपनी दुकान दोबारा खोलने की गुजारिश कर रहे हैं. साथ ही पाल से 2 हजार रुपये लेने की गुजारिश कर रहे हैं.

स्थानीय बिजनेसमैन गाजी ने कहा, 'बाबरी विध्वंस के बाद भी हमारे शहर में शांति रही. मंगलवार को जो हुआ वो ठीक नहीं है. कुछ बाहरी लोग और हमारे स्थानीय लड़के इसके लिए जिम्मेदार हैं. अब हम अपने हिंदू पड़ोसियों की मदद के लिए पैसा बांट रहे हैं. हम चाहते हैं कि वो नुकसान भूलकर नए सिरे से शुरुआत करें.'

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अजय पाल ने कहा कि 15 हजार का मेरा नुकसान हो गया है. मंगलवार को सैकड़ों लोग आए और मेरी दुकान लूट ले गए. उन्होंने हमारा सबकुछ लूट लिया. मैं नहीं जानता क्यों? मेरे पड़ोसी और मुसलमान दोस्त फिर से बिजनेस शुरू करने के लिए पैसा दे रहे हैं. मैं जल्द ही फैसला लूंगा.

अजय पाल के ठीक बगल में दुकान चलाने वाली रूमा देवी को भी 2000 रुपए दिए गए हैं. इसी तरह से मस्जिदपारा, भयाबला, चप्पापारा और बशीरहाट के अन्य इलाकों के मुस्लिम भी अपने हिंदू पड़ोसियों की मदद कर रहे हैं. मस्जिदपारा के इरशाद अली गाजी ने कहा कि हम सब एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. मेरे हिंदू दोस्त हैं, जिन्हें मैं बचपन से जानता हूं और मेरे साथ काम करने वाले हिंदू हैं. हमने उनसे कहा है कि हम उनकी पूरी मदद करेंगे, ताकि वे फिर से अपना बिजनेस शुरू कर सकें. यही नहीं उनके घर की मरम्मत में भी हम मदद करेंगे.

हिंसा के दौरान इरशाद की वजह से ही उनके दोस्त बिनय पाल और उनके परिवार की जान बच गई. बिनय ने कहा कि सब लोग मुझसे खुद को बचाने के लिए घर छोड़कर भागने को कह रहे थे. सैकड़ों लोग मेरे घर के सामने सड़क पर इकट्ठा थे. मैंने इरशाद को बुलाया और उसने मुझसे अपने घर चलने को कहा. वो हमारे साथ रहा और निश्चित किया कि हम सुरक्षित रहें. बिनय, उनकी पत्नी और दो बच्चे हिंसा में बच गए.... लेकिन उनकी फॉर्मेसी की दुकान लूट गई.

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इरशाद ने कहा कि यह हल्का फुल्का वादा नहीं है. हमने स्थानीय दुकानदारों से कहा है कि जितना लगेगा उतना देंगे. 2 लाख या 5 लाख. हम उनकी मदद करेंगे. चाहे इसके लिए पैसा इकट्ठा करना पड़े या उनके घाटे की भरपाई के लिए सबस्क्रिप्शन जुटाना पड़े. जो कुछ हुआ, हो गया अब घबराने की जरूरत नहीं. न कोई गलत ख्याल रखना है. बशीरहाट की परंपरा टूट गई. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था.

इलाके में तनाव होने के साथ बिजनेस बंद है. स्कूल और कॉलेज भी बंद है और पुलिस और सुरक्षा बल पूरी मुस्तैदी से तैनात हैं. हालांकि बशीरहाट और बदौरिया में गुरुवार से शांति है. बशीरहाट में शांति स्थापित करने के लिए दो बैठकें हो चुकी हैं. इस दौरान दोनों समुदायों के नेताओं के साथ पुलिस भी बैठक में मौजूद रही.

बशीरहाट के वार्ड नंबर 14 के पार्षद बाबू गाजी ने कहा, 'यह फैसला हुआ है कि हिंदू और मुस्लिम साझा समूह में रात के दौरान गश्त करेंगे और पड़ोस के साथ-साथ धार्मिक स्थानों पर नजर रखेंगे. बाहरी लोगों को इलाके में नहीं आने दिया जाएगा. दोनों समुदायों के बाहरी लोगों की दंगा भड़काने में अहम भूमिका है.'

 

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