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मॉनसून का आखिरी दांव कहीं थाम न ले मोदी सरकार के लिए वोटों की बारिश

देश को पिछले चार साल से अच्छे मॉनसून के साथ-साथ अच्छे दिन का बेसब्री से इंतजार है. देश की अर्थव्यवस्था 7 फीसदी से अधिक की रफ्तार से बढ़ रही है और कई अर्थशास्त्री चालू वित्त वर्ष और अगले वित्त वर्ष में इसे 8 फीसदी के आसपास देख रहे हैं.

खरीफ फसल पर बारिश का कहर खरीफ फसल पर बारिश का कहर
राहुल मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 25 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 9:02 AM IST

मॉनसून की आखिरी बारिश और वेस्टर्न डिस्टरबेंस ने पंजाब समेत तमाम उत्तर भारत में जो बारिश का कहर बरसाया है. उत्तरी भारत में जारी बारिश से जहां किसानों की चिंता एकदम बढ़ गई है वहीं आम चुनावों की तरफ बढ़ रही मोदी सरकार के सामने गंभीर चुनौती भी खड़ी हो गई है.

मौसम विभाग और पंजाब सरकार ने लगातार हो रही बारिश के चलते 21 सितंबर से ही पंजाब में रेड अलर्ट जारी कर दिया था और कृषि वैज्ञानिकों का दावा है कि यह सितंबर के आखिरी हफ्ते में बारिश का क्रम जारी रहता है तो किसानों की पकी पकाई धान की फसल बर्बादी के कगार पर पहुंच जाएगी. पंजाब, हरियाणा उत्तर प्रदेश समेत देश के अलग-अलग हिस्सों से बारिश में खराब हो रही धान की फसल की खबरों के बीच कृषि मंत्रालय का आंकलन है कि यदि बारिश यूं ही जारी रही तो तमाम फसलों की पैदावार उम्मीद से बेहद कम रहने के आसार हैं.

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देश में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून खरीफ पैदावार के लिए बेहद अहम रहता है. जहां जून से मॉनसून की शुरुआत खरीफ फसलों की बुआई के लिए बेहद अहम रहता है वहीं अगस्त-सितंबर तक समय से मानसून की वापसी किसानों को बड़ी राहत देने के साथ-साथ उन्हें खरीफ पैदावार से एक बड़ी आमदनी का रास्ता साफ करता है. लेकिन मानसून के विदाई अधिक बारिश के साथ होती है तो ये बारिश किसानों के लिए बड़ी समस्या बनकर खड़ी हो जाती है.

GST, अच्छे मानसून, घटती महंगाई से अर्थव्यवस्था के अच्छे दिन

देश को पिछले चार साल से अच्छे मॉनसून के साथ-साथ अच्छे दिन का बेसब्री से इंतजार है. देश की अर्थव्यवस्था 7 फीसदी से अधिक की रफ्तार से बढ़ रही है और कई अर्थशास्त्री चालू वित्त वर्ष और अगले वित्त वर्ष में इसे 8 फीसदी के आसपास देख रहे हैं. तेज ग्रोथ से जहां आम आदमी के लिए अच्छे दिन आएंगें वहीं अच्छे मानसून से तेज आर्थिक ग्रोथ की दिशा तय होगी. लिहाजा अच्छे दिनों के लिए अच्छा मॉनसून बेहद अहम है और बीते 4 साल के बारिश के आंकड़े बता रहे हैं कि मॉनसून लगातार मोदी सरकार की मदद कर रहा है.

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ऐसी स्थिति में क्या मॉनसून उस वक्त मोदी सरकार को धोखा देने जा रहा है जब उसे संतुलित मानसून की सबसे ज्यादा जरूरत है. देश में अप्रैल से मई 2019 के बीच आम चुनाव कराए जाने हैं. मोदी सरकार ने जहां 2014 में किसानों की आमदनी को 2022 तक दोगुना करने का वादा किया है वहीं चुनावों से ठीक पहले खरीफ फसल पर मंडरा रहा खतरा किसानों की आमदनी को न सिर्फ शून्य कर सकता है बल्कि उन्हें कर्ज के बोझ तले दबा भी सकता है.

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