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भारत की 'घेराबंदी' में चीन, हिंद महासागर के चारों तरफ ड्रैगन की साजिश!

चीन भारत को हर तरफ से घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा है. अफ्रीका के एक छोटे से देश जिबूती में उसने अपना पहला विदेशी सैन्य अड्डा बना लिया है. जिसके लिए उसने बुधवार को ही अपने जहाज़ और सैनिक रवाना कर दिए हैं. वहीं हिंद महासागर में भारत-अमेरिका-जापान का मालाबार सैन्य अभ्यास चल रहा है. इसी के बीच ही जिबूती में चीन ने अपने जहाज़ और सैनिक भेज दिए हैं. बांग्लादेश, म्यांमार से लेकर श्रीलंका तक और श्रीलंका से पाकिस्तान के ग्वादर तक और ग्वादर से अब जिबूती तक चीन भारत की घेराबंदी करने में जुटा है. हालांकि जिबूती में अमेरिका, फ्रांस और जापान के भी मिलिट्री बेस है. लेकिन चीन का वहां सैन्य अड्डा बनाना भारत के लिए बहुत चिंताजनक है.

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अमित कुमार दुबे
  • नई दिल्ली,
  • 14 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 7:47 AM IST

चीन भारत को हर तरफ से घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा है. अफ्रीका के एक छोटे से देश जिबूती में उसने अपना पहला विदेशी सैन्य अड्डा बना लिया है. जिसके लिए उसने बुधवार को ही अपने जहाज़ और सैनिक रवाना कर दिए हैं. वहीं हिंद महासागर में भारत-अमेरिका-जापान का मालाबार सैन्य अभ्यास चल रहा है. इसी के बीच ही जिबूती में चीन ने अपने जहाज़ और सैनिक भेज दिए हैं. बांग्लादेश, म्यांमार से लेकर श्रीलंका तक और श्रीलंका से पाकिस्तान के ग्वादर तक और ग्वादर से अब जिबूती तक चीन भारत की घेराबंदी करने में जुटा है. हालांकि जिबूती में अमेरिका, फ्रांस और जापान के भी मिलिट्री बेस है. लेकिन चीन का वहां सैन्य अड्डा बनाना भारत के लिए बहुत चिंताजनक है. 

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बांग्लादेश में पोर्ट बनाने और दो पनडुब्बी बेचने, म्यांमार में पोर्ट बनाने और मिलिट्री मदद देने. श्रीलंका में हमबनटोटा पोर्ट के टेकओवर का प्लान. आर्थिक गलियारे के नाम पर पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट में बेस और अब अफ्रीका के तटीय देश जिबूती में अपना पहला विदेशी मिलिट्री बेस. चीन समंदर के रास्ते चारों तरफ से भारत की घेराबंदी के प्लान पर चल रहा है.

ये अफ्रीका के छोटे से तटीय देश जिबूती की तरफ निकले चीन के वो सैनिक और जहाज है, जिनके ज़रिए पहली बार चीन दुनिया में दूसरी किसी जगह पर अपना परमानेंट मिलिट्री बेस बनाने जा रहा है, चीन का प्लान है कि जिबूती में बीस हज़ार से 1 लाख सैनिकों की तैनाती की जाए, जिससे वो समंदर से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के सभी बड़े रास्तों पर दबदबा बना सके.

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वैसे तो चीन का कहना है कि वो वो जिबूती में अपना बेस शांति सहयोग और दूसरे अंतरराष्ट्रीय मिशन में सहायता के लिए बना रहा है. लेकिन असल में जिबूती की अहम रणनीतिक लोकेशन से वो मिडिल ईस्ट और अफ्रीका तक अपनी पहुंच बनाना चाहता है, क्योंकि जिबूती अफ्रीका और मिडिल ईस्ट के देशों तक पहुंचने का अहम प्वाइंट है. ये हिंद महासागर और उस मध्य सागर को भी जोड़ता है, जहां के समंदर में चीन अक्सर अपना सैन्य अभ्यास करता रहा है. 

लेकिन चिंता की सबसे बड़ी बात कि जिबूती से ग्वादर और श्रीलंका से म्यांमार और बांग्लादेश तक एक घेरा बनाकर चीन सोच रहा है कि वो हिंद महासागर में भारत को घेर लेगा. शायद इसीलिए चीन को हिंद महासागर में वो मालाबार सैन्य अभ्यास से मिर्ची लग जाती है, जो भारत-अमेरिका और जापान की नौसेना हर साल करती है और इस बार का मालाबार अभ्यास तो अब तक का सबसे बड़ा अभ्यास है. 

इसी ताकत से चीन की दादागीरी को रोका जा सकता है, क्योंकि वो दक्षिण चीन सागर से हिंद महासागर और मध्य सागर तक हर जगह अपनी धाक जमाना चाहता है. जिसमें खासतौर पर हिंद महासागर में भारत निशाने पर है, इसमें जिबूती को बेहद खतरनाक तरीके से चीन ने चुना है. जहां उसने पहला मिलिट्री बेस बनाने का फैसला 2015 में किया था और अब उसने अपने सैनिक और जहाज़ भी वहां भेज दिए.

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