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'सांप-सपेरों का देश' भारत आज है 'अंतरिक्ष विज्ञान' की महाशक्ति

यह कहना गलत नहीं होगा कि एक समय पर दुनिया भारत को सांप-सपेरों का देश कहती थी, लेकिन आज इसरो के कारण अंतरिक्ष के क्षेत्र में हर कोई हमें सलाम कर रहा है.

महाशक्ति बना भारत महाशक्ति बना भारत
मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 12 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 11:46 AM IST

अंतरिक्ष की दुनिया में भारत ने आज एक नया इतिहास रच दिया है. इसरो ने शुक्रवार सुबह पीएसएलवी-40 के जरिए कुल 31 उपग्रहों को लॉन्च किया. इनमें 3 भारत के वह अन्य 28 अमेरिका समेत छ: अन्य देशों के भी सैटेलाइट हैं. भारत ने पिछले कुछ वर्षों में अंतरिक्ष के क्षेत्र में लंबी छलांग लगाई है. अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस जैसे दुनिया के ताकतवर देश भी इसरो का लोहा मानते हैं.   

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आज इसरो ने कई देशों के उपग्रहों को एक साथ छोड़ा इससे पहले भी एक साथ 104 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण कर दुनिया को चौंका दिया था. यह कहना गलत नहीं होगा कि एक समय पर दुनिया भारत को सांप-सपेरों का देश कहती थी, लेकिन आज इसरो के कारण अंतरिक्ष के क्षेत्र में हर कोई हमें सलाम कर रहा है.

104 उपग्रहों को एक साथ भेज रचा था इतिहास

बीते साल फरवरी में भारत ने एक साथ 104 उपग्रहों को भेजा था. इनमें अमेरिका के अलावा इजरायल, हॉलैंड, यूएई, स्विट्जरलैंड और कजाकिस्तान के छोटे आकार के सैटेलाइट शामिल थे तथा भारत के सिर्फ तीन सैटेलाइट शामिल थे. प्रक्षेपित किए जाने वाले उपग्रहों में सबसे ज्यादा 96 उपग्रह अमेरिका के थे.

मंगलयान से दुनिया ने माना लोहा

वहीं 5 नवंबर 2013 को मंगल यात्रा पर भेजे गए 'मंगलयान' ने 24 सितंबर 2014 को मंगल की कक्षा में पहुंचकर इतिहास रच दिया था और इसके साथ ही भारत अपने पहले प्रयास में ही मंगल पर पहुंच जाने वाला दुनिया का पहला देश बन गया था. मंगल पर पहुंचने वाले अमेरिका और पूर्व सोवियत संघ जैसे देशों को कई प्रयासों के बाद ये सफलता मिली थी. चीन आजतक मंगल की कक्षा में प्रवेश नहीं कर पाया है.

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इसरो ने इस मानवरहित सैटेलाइट को 'मार्स ऑर्बिटर' मिशन नाम दिया है. इसकी कल्पना, डिजाइन और निर्माण भारतीय वैज्ञानिकों ने किया. और इसे भारत की धरती से भारतीय रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में भेजा गया. भारत के पहले मंगल अभियान पर 450 करोड़ रुपये का खर्च आया और इसके विकास पर 500 से अधिक वैज्ञानिकों ने काम किया था.

1. इसरो की स्थापना 1969 में स्वतंत्रता दिवस के दिन हुई थी. इसके संस्थापक डॉ. विक्रम साराभाई थे.

2. एसएलवी-3 भारत का पहला स्वदेशी सैटेलाइट लॉन्च वेहिकल था. इस प्रोजेक्ट के डायरेक्टर पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम थे.

3. इसरो कम खर्च में काम करता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, इसरो का 40 साल का खर्च नासा के छह महीने के खर्च के बराबर है.

4. भारत में इसरो के विभिन्न शहरों में 13 सेंटर हैं.

5. इसरो के मार्स मिशन को सबसे सस्ता बताया जाता है. अब तक इस पर करीब 450 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.

6. भारत पहला ऐसा देश है जिसने इसरो की मदद से पहले ही प्रयास में मार्स तक पहुंचने में कामयाबी हासिल कर ली.

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