
कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को रद्द करने के केंद्र सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है. इसको लेकर पाकिस्तान तिलमिलाया हुआ है. इस बीच अब 57 इस्लामिक देशों के संगठन इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चिंता व्यक्त की. इस पर भारत की प्रतिक्रिया आई है. भारत ने ओआईसी के बयान को खारिज कर दिया है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बुधवार को बिना नाम लिए पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए कहा कि मानवाधिकारों के सिलसिलेवार उल्लंघनकर्ता और सीमा पार आतंकवाद के प्रमोटर के इशारे पर ओआईसी की भूमिका संदिग्ध बनाता है.
बागची ने कहा, "भारत सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के महासचिव द्वारा जारी बयान को खारिज करता है. यह गलत जानकारी और गलत इरादे वाला है. ओआईसी मानवाधिकारों के सिलसिलेवार उल्लंघनकर्ता और सीमा पार आतंकवाद के प्रमोटर के इशारे पर ऐसा कर रहा है, जिससे उसकी भूमिका और भी संदिग्ध हो जाती है. ऐसे बयान केवल ओआईसी की विश्वसनीयता को कमजोर करते हैं."
बता दें कि ओआईसी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बयान जारी करते हुए कहा था कि इस्लामिक संगठन भारत सरकार की एकतरफा कार्रवाई को बरकरार रखने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चिंता व्यक्त करता है जिससे जम्मू कश्मीर की विशेष स्थिति को छीन लिया गया है. ओआईसी ने अपने बयान में कहा, 'ओआईसी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त क्षेत्र में 5 अगस्त 2019 से बदलाव के मकसद से उठाए गए सभी अवैध और एकतरफा उपायों को उलटने के अपने आह्वान को दोहराता है.'
ओआईसी का कहना है कि संगठन जम्मू-कश्मीर के लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार के साथ अपनी एकजुटता दिखाता है. संगठन अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आह्वान करता है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रावधानों के अनुसार जम्मू-कश्मीर मुद्दे का हल निकाला जाए.