
भारत और रूस ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना आतंकवाद की निंदा की है. दोनों देशों ने आतंकियों को राज्य द्वारा किसी भी तरह के समर्थन देने की आलोचना की. भारत और रूस द्वारा संयुक्त रूप से जारी बयान में सभी तरह के आतंकवाद, आतंकी नेटवर्क और आतंकियों को पनाह देने की भी कड़ी निंदा की. दोनों देशों ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना सीमा पार आतंकवाद की भी तीखी आलोचना की.
इस दौरान पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आतंकवादी विचारधारा और आतंकी नेटवर्क के खात्मे के साथ-साथ आतंकियों को हथियार और पैसे की आपूर्ति करने वाले मध्यमों को भी खत्म करने पर सहमति जताई. भारत और रूस ने संयुक्त राष्ट्र में लटके अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर कन्वेंशन को जल्द पारित कराने की जरूरत बताई. इससे आतंकवाद को अंतरराष्ट्रीय कानून के दायरे में लाया जा सकेगा.
आपको बता दें कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दो दिवसीय भारत दौरे पर आए हुए हैं. उन्होंने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात की थी. शुक्रवार को भी पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच बातचीत हुई. इस दौरान दोनों देशों ने आठ समझौतों पर हस्ताक्षर भी किए, जिनमें अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग, रेलवे समेत कई अन्य क्षेत्रों में सहयोग के विषय शामिल हैं.
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच वार्ता के बाद भारत और रूस ने पांच अरब डॉलर के एस-400 वायु रक्षा प्रणाली समझौते पर भी हस्ताक्षर किए. इसके बाद पीएम मोदी ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ वार्ता ने भारत-रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी को नई दिशा दी है. मोदी ने कहा कि भारत और रूस की मैत्री अपने आप में अनूठी है. इस विशिष्ट रिश्ते के लिए राष्ट्रपति पुतिन की प्रतिबद्धता से इन संबंधों को और भी ऊर्जा मिलेगी.
उन्होंने कहा, 'हमारे बीच प्रगाढ़ मैत्री और सुदृढ़ होगी और हमारी विशेष और विशिष्ट सामरिक गठजोड़ को नई बुलंदियां प्राप्त होंगी.' वहीं, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आतंकवाद और मादक पदार्थों की तस्करी के खतरे से निपटने के लिए भारत के साथ सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई. दोनों देशों ने बदलते विश्व में बहु-ध्रुवीय और बहु-स्तरीय व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने पर एकमत होने पर जोर दिया.