
गोवा में ब्रिक्स समिट से पहले भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय बातचीत के बाद 16 अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं. इन समझौतों से रक्षा क्षेत्र में भारत और रूस के बीच नया आयाम स्थापित होगा. समझौतों के अनुसार भारत को कोमोव मिलिट्री हेलीकॉप्टर मिलेगा. साथ ही एस-400 सिस्टम भी रूस भारत को देगा. दोनों देशों के बीच गैस पाइपलाइन पर स्टडी, न्यूक्लियन एनर्जी, आंध्र प्रदेश और हरियाणा में स्मार्ट सिटी, शिक्षा, रेल की स्पीड बढ़ाने समेत कई क्षेत्रों में अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने दोनों देशों के बीच 17वें सालाना द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के बाद कहा, "भारत व रूस के बीच साझेदारी ने एक नई ऊंचाई को छुआ. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व राष्ट्रपति पुतिन दोनों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में 16 समझौतों तथा तीन घोषणाओं के साक्षी बने." समझौतों में एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की खरीद तथा भारत में 1135 श्रृंखला के युद्धपोतों का निर्माण शामिल है.
एयर डिफेंस सिस्टम का कवच
भारत और रूस के बीच एयर डिफेंस समझौते पर भी हस्ताक्षर हुआ. एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 ट्राइअम्फ लंबी रेंज की क्षमता वाले होते हैं. इन मिसाइलों में अपनी तरफ आ रहे दुश्मन के विमानों, मिसाइलों और यहां तक कि ड्रोनों को 400 किलोमीटर तक के दायरे में मार गिराने की क्षमता है. इसकी खरीद से भारत की रक्षा प्रणाली मजबूत होगी.
हेलीकॉप्टरों के निर्माण के लिए एक उपक्रम
हेलीकॉप्टरों के निर्माण के लिए एक उपक्रम स्थापित करने के लिए भी समझौता किया गया है. एक अरब डॉलर के निवेश फंड की स्थापना के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया है. आंध्र प्रदेश, हरियाणा में स्मार्ट सिटी के विकास तथा ऐसे शहरों में ट्रांसपोर्ट लॉजिस्टिक के विकास के लिए भी समझौते किए गए हैं. रूस से भारत तक गैस पाइपलाइन के संयुक्त अध्ययन के लिए भी समझैता किया गया है.
मेक इन इंडिया में मदद करेगा रूस
इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि भारत और रूस आपसी सहयोग को नए युग में ले जाने पर सहमत हुए हैं. दोनों देश जहां रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में मिलकर काम करेंगे वहीं रूस भारत को मेक इन इंडिया में मदद करने पर सहमत हुआ है. भारत-रूस के संबंधों का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि रूस भारत का पुराना सहयोगी है और एक पुराना दोस्त दो नए दोस्तों से बेहतर होता है. भारत इस महत्व को जानता है.
औद्योगिक सहयोग बढ़ाने पर खासा जोर
अलग से हुए एक समझौते के मुताबिक, ऊर्जा क्षेत्र की प्रमुख कंपनी रोजनेफ्ट ऑयल कंपनी, कमोडिटी टड्रर ट्राफिगुरा तथा निजी निवेश समूह यूनाइटेड कैपिटल पार्टनर्स को मिलाकर बने संयुक्त संगठन ने 10.9 अरब डॉलर में एसार ऑयल के 90 फीसदी शेयर खरीदने पर सहमति जताई है. रोजनेफ्ट ने तेल व गैस क्षेत्र में शिक्षा व प्रशिक्षण के लिए ओएनजीसी विदेश के साथ एक समझौता किया है. दोनों देशों ने रेलवे के विकास में सहयोग और नागपुर व सिकंदराबाद के बीच रेलगाड़ियों की गति बढ़ाने पर सहमति जताई है.
कूटनीतिक संबंधों के 70 साल
अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में सहयोग के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) तथा रूस के सरकारी अंतरिक्ष एजेंसी के बीच भी एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया है. अंतर्राष्ट्रीय सूचना सुरक्षा सहयोग पर भी एक समझौता हुआ है. भारत-रूस के कूटनीतिक संबंधों के 70 साल पूरा होने पर समारोह मनाने के लिए एक रोड मैप की भी घोषणा की गई है. अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर दोनों देशों के बीच सहयोग पर भी एक घोषणा की गई है.
आतंकवाद का मिलकर करेंगे मुकाबला
पीएम मोदी ने इस मौके पर कहा कि भारत और रूस आतंकवाद के वैश्विक खतरे का मुकाबला मिलकर करेंगे. पीएम मोदी ने कहा कि भारत और रूस ब्रिक्स समेत तमाम मंचों पर मिलकर काम कर रहे हैं और तमाम वैश्विक मंचों पर वैश्विक मसलों के समाधान के लिए मिलजुलकर काम करेंगे.
भाषण की शुरुआत और अंत रूसी भाषा में
पीएम मोदी ने अपने संबोधन की शुरूआत और अंत रूसी भाषा में की. पीएम मोदी ने कहा कि भारत और रूस तमाम क्षेत्रों में क्षमतावान हैं और अगर मिलकर काम करते हैं तो न केवल दोनों देशों के लोगों को जीवन बेहतर होगा बल्कि दुनिया में भी बड़े बदलाव का कारण बनेगा.
मोदी ने ट्वीट कर पुतिन का किया स्वागत
शनिवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत पहुंचने पर पीएम मोदी ने ट्वीट किया और रूसी राष्ट्रपति का स्वागत किया. रूस के राष्ट्रपति पुतिन पहले ही भारत को अपना खास सामरिक साझेदार बता चुके हैं.
गोवा पहुंचे चीन के राष्ट्रपति
ब्रिक्स समिट में हिस्सा लेने के लिए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी गोवा पहुंच चुके हैं. पीएम मोदी से जिनपिंग की मुलाकात शाम 5:40 बजे होगी. जानकारी के मुताबिक, चीनी नेता अपने इस दौरे पर पाकिस्तान का मुद्दा उठा सकते हैं. समिट में चीन भारत को प्रभावित कर पाकिस्तान के साथ उसके राजनयिक गतिरोध को तोड़ने की कोशिश करेगा.