Advertisement

PoK में ड्रैगन के दखल पर बोला भारत- हमारी संप्रभुता का सम्मान करे चीन

आतंकवाद को अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरा बताते हुए उन्होंने वैश्विक स्तर पर खतरे से निपटने में समन्वय नहीं होने को लेकर अफसोस जताया और कहा कि संयुक्त राष्ट्र में सुधार की जरूरत है ताकि यह बड़ी चुनौतियों से प्रभावी तरीके से निपट सके.

विदेश सचिव एस. जयशंकर विदेश सचिव एस. जयशंकर
लव रघुवंशी/BHASHA
  • नई दिल्ली,
  • 18 जनवरी 2017,
  • अपडेटेड 11:41 PM IST

भारत के बीच बढ़ती असहजता के परिप्रेक्ष्य में भारत ने कहा है कि वह चीन की सरकार को आश्वस्त करने का प्रयास कर रहा है कि इसकी प्रगति चीन के लिए हानिकारक नहीं है और संप्रभुता से जुड़े मामलों में दोनों देशों को संवेदनशील होना चाहिए. विदेश सचिव एस. जयशंकर ने सार्क में बाधा डालने के लिए पाकिस्तान की आलोचना करते हुए कहा कि एक सदस्य देश की असुरक्षा के कारण क्षेत्रीय समूह अप्रभावी बन गया है.

Advertisement

आतंकवाद को अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरा बताते हुए उन्होंने वैश्विक स्तर पर खतरे से निपटने में समन्वय नहीं होने को लेकर अफसोस जताया और कहा कि संयुक्त राष्ट्र में सुधार की जरूरत है ताकि यह बड़ी चुनौतियों से प्रभावी तरीके से निपट सके. रायसीना सम्मेलन को संबोधित करते हुए विदेश सचिव एस. जयशंकर ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक परिपथ पर कड़ी आपत्ति जताई जो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से गुजरता है. उन्होंने कहा कि इसको लेकर भारत की नाराजगी पर चीन को विचार करना चाहिए. उन्होंने कहा, चीन ऐसा देश है जो अपनी संप्रभुता को लेकर काफी संवेदनशील है. इसलिए हम उम्मीद कर सकते हैं कि उन्हें दूसरों की संप्रभुता को भी समझना चाहिए.

विदेश सचिव का बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान के एक दिन बाद आया है, जिसमें प्रधानमंत्री ने कहा था कि दोनों पक्षों को संवेदनशीलता दिखानी चाहिए और एक-दूसरे की मुख्य चिंताओं और हितों का सम्मान करना चाहिए. मोदी ने कहा था कि संबद्ध देशों की संप्रभुता का सम्मान कर ही क्षेत्रीय संपर्क मार्ग को पूरा किया जा सकता है और मतभेद तथा कलह से बचा जा सकता है.

Advertisement

डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचन का जिक्र करते हुए विदेश सचिव ने कहा कि अमेरिका और रूस का संबंध काफी बदल सकता है जो 1945 के बाद से नहीं देखा गया और इसके प्रभाव का अनुमान लगाना कठिन है. इस परिप्रेक्ष्य में उन्होंने कहा कि अमेरिका और रूस दोनों देशों के साथ भारत के संबंध प्रगति पर हैं और अमेरिका-रूस के बीच संबंधों में सुधार भारतीय हित के खिलाफ नहीं है.

पाक-चीन ने CPEC में भारत की सलाह नहीं ली
चीन के साथ समझौते पर जयशंकर ने कहा कि संबंधों में विस्तार हो रहा है खासकर व्यवसाय और लोगों के बीच संपर्क के क्षेत्रों में लेकिन कुछ राजनीतिक मुद्दों पर मतभेद के कारण ये कम प्रभावी दिखते हैं. जयशंकर ने कहा, दोनों देशों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि सामरिक प्रकृति की वार्ता से पीछे नहीं हटें या परस्पर सहयोग की प्रतिबद्धता से पीछे नहीं हटें. चीन पाकिस्तान आर्थिक परिपथ (सीपीईसी) पर एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि दोनों देशों को एक-दूसरे की संप्रभुता के प्रति संवेदनशीलता दिखानी चाहिए. जयशंकर ने कहा कि सीपीईसी उस जगह से गुजरता है जिसे हम पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर कहते हैं जो भारत का क्षेत्र है और जिस पर पाकिस्तान ने अवैध रूप से कब्जा कर रखा है. उन्होंने कहा कि परियोजना को भारत की सलाह के बगैर शुरू किया गया और इसलिए इसको लेकर संवेदनशीलता और चिंताएं स्वाभाविक हैं. चीन के साथ भारत के संबंधों के बारे में उन्होंने कहा कि 1945 के बाद से दोनों देशों के बीच संबंधों में काफी प्रगति हुई है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement