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UN में मसूद अजहर बचा, लेकिन चीन को अलग-थलग करने में सफल रहा भारत

जाहिर है आतंकवाद जैसे संवेदनशील मुद्दे पर जिसका खुद चीन भी शिकार रहा है, वो अकेला खड़ा है. लिहाजा एक तरह से देखा जाए तो इस मामले में वैश्विक पटल पर चीन अलग-थलग पड़ता नजर आ रहा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिंगपिंग (फाइल फोटो-पीटीआई) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिंगपिंग (फाइल फोटो-पीटीआई)
विवेक पाठक
  • नई दिल्ली,
  • 14 मार्च 2019,
  • अपडेटेड 6:10 PM IST

पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक आतंकियों की सूची में शामिल कराने के भारत के प्रयास में चीन ने एक बार फिर रोड़ा अटका दिया है. चीन ने तकनीकी आधार पर विषय की जांच के लिए और समय मांगा है. इससे पहले भी चीन 3 बार मसूद अजहर पर वीटो का इस्तेमाल कर चुका है. लेकिन जानकारों का कहना है कि इस बार का मौहाल अलग था, क्योंकि भारत को 14 देशों के साथ सुरक्षा परिषद के 4 स्थायी सदस्यों का समर्थन हासिल था, दूसरी ओर आतंकवाद के मामले पर चीन अकेला पाकिस्तान का समर्थन करता दिख रहा था.  

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चीन का तर्क- और समय चाहिए

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने अपने बयान में कहा है कि वैश्विक आतंकवादी के रूप में जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को सूचीबद्ध करने के मामले पर चीन को गहन जांच करने के लिए और समय चाहिए. चीन का रुख संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति के नियमों, प्रक्रियाओं के अनुरूप है. 'तकनीकी रोक' यह सुनिश्चित करने के लिए है कि चीन के पास इस मामले का अध्ययन करने के लिए पर्याप्त समय मिले. भारत-चीन रिश्ते की दिशा में चीन का प्रयास ईमानदारी से भरा है और संबंधों में अधिक प्रगति के लिए नेताओं (वुहान शिखर सम्मेलन) की सहमति पर भारत के साथ काम करने के लिए तैयार है.

पूर्व राजनयिक और पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त रहे जी. पार्थसारथी का कहना है कि चीन ने तकनीकी आधार पर मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किए जाने के प्रस्ताव पर रोक लगाई है. चीन का कहना है कि इस विषय के अध्ययन के लिए उसे और वक्त चाहिए. यह सिर्फ बहाना है क्योंकि इससे पहले भी चीन तीन बार इस मुद्दे पर वीटो का इस्तेमाल कर चुका है. अब उसे और कितना वक्त चाहिए?

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इस बार अलग था माहौल

पार्थसारथी का मानना है कि वैश्विक स्तर पर इस बार माहौल अलग है. संयुक्त राष्ट्र में इस प्रस्ताव का 14 देशों ने समर्थन किया है और सुरक्षा परिषद के 4 स्थायी सदस्य भारत के साथ खड़े हैं. ऐसा पहली बार है जब भारत को पाकिस्तान के मुद्दे पर इस तरह का समर्थन मिला. जाहिर है आतंकवाद जैसे संवेदनशील मुद्दे पर जिसका खुद चीन भी शिकार रहा है, वो अकेला खड़ा है. लिहाजा एक तरह से देखा जाए तो इस मामले में वैश्विक पटल पर चीन अलग-थलग पड़ता नजर आ रहा है.

पुलवामा हमले के बाद दबाव बना रहा है भारत

पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत लगातार पाकिस्तान पर कूटनीतिक चैनल के जरिए आतंक पर निर्णायक कार्रवाई करने का दबाव बना रहा है. विदेश मामलों के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार कमर आगा का कहना है कि भारत के पास फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स (FATF) में पाकिस्तान को घेरने का पूरा मौका है. जहां पहले से ही पाकिस्तान पर 10 सूत्रीय ऐक्शन प्लान के तहत आतंकी फंडिंग रोकने को लेकर की गई कार्रवाई का सबूत देना है.

पाकिस्तान के पास जून 2019 तक का समय है जब FATF में इसकी समीक्षा की जाएगी. अगर पाकिस्तान FATF को संतुष्ट करने में नाकाम रहता है तो उसे ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाएगा. एक बार ब्लैकलिस्टेड होने के बाद पाकिस्तान पर आर्थिक प्रतिबंध लागू हो जाएंगे और नकदी संकट से जूझ रहे पाक को इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड से धन मिलना बंद हो जाएगा.

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