
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने ऐलान किया है कि 2020 में भारत में 'नो मनी फॉर टेरर' का आयोजन किया जाएगा. यह घोषणा गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने मेलबर्न में चल रहे (7 से 8 नवंबर 2019) द्वितीय 'नो मनी फॉर टेरर' सम्मेलन में की.
भारत की ओर से वाईसी मोदी, डीजी एनआईए सहित 5 सदस्य इस सम्मेलन का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. इस सम्मेलन में भारत सहित 65 देश शामिल हुए हैं. उद्घाटन सत्र में माननीय मंत्री ने भारत की इस चिंता पर जोर दिया कि कुछ देश चुपचाप समर्थन कर आतंकी समूहों को बढ़ावा दे रहे हैं.
आतंक को लेकर जीरो-टॉलरेंस
किशन रेड्डी ने उन सभी के खिलाफ एकजुट वैश्विक प्रयास का आह्वान किया जो आतंक का समर्थन करते हैं या आतंक के लिए फंडिंग जुटाने में मदद करते हैं. उन्होंने कहा कि भारत सीमा पार से आतंकवाद का शिकार होने के कारण आतंक को लेकर जीरो-टॉलरेंस की वकालत करता है.
उन्होंने कहा कि 2011 में ओसामा बिन लादेन की हत्या के बावजूद अल कायदा के कई सक्रिय सहयोगी दुनिया के कई हिस्सों में अब भी मौजूद हैं. उन्होंने हाल ही में अबू बक्र अल बगदादी के खात्मे का आगाह करते हुए कहा कि कोई भी खलीफा जीवित रहने के लिए संघर्ष नहीं करेगा.
मेलबर्न एंटी टेरर मीट में आतंकवाद को लेकर किशन रेड्डी ने चार बिंदुओं को प्रस्तावित किए-
1. आतंकवाद शांति, सुरक्षा और विकास के लिए सबसे बड़ा खतरा है
2. एनजीओ के बहाने आतंकी समूह फंड जुटाने में सक्षम
3. हाफिज सईद जैसे आतंकी को वित्त के लिए अतिरिक्त अनुमति
4. हवाला रूट के जरिए पैसे के ट्रांसफर का विवरण
उन्होंने कहा कि एफएटीएफ मानकों को प्रभावी रूप से लागू किया जाना चाहिए और संयुक्त राष्ट्र लिस्टिंग/एफएटीएफ का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए. वहीं, मंत्री अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष के साथ 8 नवंबर को मेलबर्न में एक आतंकी केंद्रित द्विपक्षीय बैठक का भी नेतृत्व करेंगे.