
पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने आखरिकार मोदी सरकार एक कदम की तारीफ की है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार महंगाई को कम रखने में सफल हुई है. इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2019 के सत्र 'स्प्लिट वाइड ओपन: व्हाट इज एलिंग द इंडियन इकोनॉमी?' में कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने यह बात कही.
पी चिदम्बरम ने कहा, 'मोदी जी ने महंगाई कम रखी है, लेकिन यह कच्चे तेल की वजह से हुआ. लेकिन हम उनको कच्चे तेल की कीमतें घटाने का श्रेय तो नहीं दे सकते. उन्होंने तीन साल तक फसलों के एमएसपी में बढ़ोतरी नहीं की. किसान काफी परेशान रहे. आज धान, मिर्च, प्याज, टमाटर सबके भाव बहुत कम हैं. आंध्र प्रदेश में तो 60 रुपये में 28 किलो टमाटर मिल रहा है. ऊंची महंगाई बुरी है, लेकिन बहुत कम महंगाई भी नुकसानदेह है.'
कृषि एक्सपर्ट देवेंद्र शर्मा ने सवाल किया- ऊंचे ग्रोथ रेट के दौर में देश की बड़ी जनसंख्या वंचित ही रही है. कृषि ग्रोथ की बात करें तो दोनों सरकारों में हालत खराब रही है, किसानों की इनकम और हालत खराब है. 50 फीसदी आबादी के लिए बजट में सौतेला व्यवहार होता है. इसके जवाब में चिदंबरम ने कहा, 'हम इसीलिए मिनिमम इनकम सपोर्ट का बोल्ड आइडिया ला रहे हैं, जिसे सरकार में आने पर हम संभव बनाएंगे.' उन्होंने कहा कि अभी रायतू बंधु स्कीम जैसी जो योजनाएं चल रही हैं, वह सिर्फ खेत-जमीन के मालिकों को फायदा पहुंचा रही है. यह बंटाई पर खेती करने वाले किसानों, कृषि मजदूरों, गैर खेती वाले गांव के गरीबों और शहरी गरीबों को कोई फायदा नहीं मिल रहा है.
वरिष्ठ पत्रकार आर जगन्नाथन ने कहा, 'रघुराम राजन ने कहा था कि यूपीए में साल 2006-08 में भी बहुत खराब दौर था, जब एनपीए बहुत ज्यादा हो गया था, तब तो लीमैन संकट भी नहीं था. आज कहा जा रहा है कि एनपीए संकट यूपीए सरकार ने 8.40 लाख करोड़ रुपये का तेल सब्सिडी दी गई.' इसके जवाब में पी. चिदम्बरम ने कहा, 'तब कच्चे तेल की कीमत 147 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थी. हम क्या कर सकते थे. सरकार में आने के बाद ऐसी बड़ी समस्या से निपटने के लिए सब्सिडी का सहारा लेना पड़ता है, क्या हम पूरी कीमत का बोझ ग्राहकों पर डाल सकते थे, क्या पेट्रोल-डीजल 100 रुपये लीटर बेच सकते थे?'
जेएयनू की प्रोफेसर और अर्थशास्त्री जयति घोष ने कहा-यूपीए और यूपीए 2 में सोशल स्पेंडिंग में फर्क था, क्या आपको इसका पछतावा है?' इसके जवाब में पी. चिदंबरम ने कहा, 'तब हम भुगतान संतुलन संकट, चालू खाते के घाटे के संकट, वित्तीय घाटा के मामले में बड़े संकट का सामना कर रहे थे, इसलिए जीडीपी के प्रतिशत के लिहाज से सामाजिक खर्चों में कमी आई. यूपीए 2 के साढ़े तीन साल में विदेशी संकट का काफी असर रहा.'
क्या न्यूनतम आय गारंटी योजना व्यावहारिक है
जयती घोष ने पूछा, 'राहुल गांधी ने मिनिमम इनकम गारंटी की बात की है. क्या यह व्यावहारिक है या यूनिवर्सल राइट टु वर्क ज्यादा फिजिबिल है?' इसके जवाब में पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, 'यह योजना किसी पार्टी ने नशे में तो नहीं बनाई है, इसके लिए हमने प्रख्यात अर्थशास्त्रियों से बात की है. वे हमें इसके लिए मदद करने को तैयार हैं. कांग्रेस अध्यक्ष ने जो कुछ कहा है हम उस आइडिया पर काम कर रहे हैं. इसका विवरण मैं अभी नहीं बता सकता, लेकिन सरकार में आने के बाद इसे हम लागू करेंगे.
निर्यात प्रतिस्पर्धी कैसे होगा
जेपी मॉर्गन के चीफ इकोनॉमिस्ट साजिद चिनॉय ने पूछा कि निर्यात को कैसे प्रतिस्पर्धी बनाया जा सकता है? इसके जवाब में पी. चिदम्बरम ने कहा, 'हमारी सरकार ने 315 अरब डॉलर के निर्यात का रेकॉर्ड बनाया है, जो यह सरकार अभी तक नहीं कर पाई है. आज निर्यात सुस्त और इकोनॉमी की तरक्की में उसका योगदान नहीं है. एक्सपोर्ट बढ़ाने के लिए व्यापक रणनीति बनानी होगी. हमें देश को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना होगा और इसका निर्यात में भी योगदान करना होगा. हम सॉफ्टवेयर और परंपरागत निर्यात जैसे जेम्स-ज्वलैरी, टेक्सटाइल आदि में अच्छे हैं. लेकिन मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का निर्यात बढ़ाना होगा. हमारे एक्सपोर्ट का 50 फीसदी एसएमई से आता है, लेकिन वे फाइनल गुड्स नहीं बनाते. भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ऑटोमोबाइल को छोड़कर बड़े निर्यात नहीं करता. हमें इसे एक्सपोर्टिंग सेक्टर बनाने पर जोर देना होगा.
इस सरकार का जीडीपी नंबर फेक है
सीएमआईई के एमडी और सीईओ महेश व्यास ने सवाल किया, ' सरकार कहती है कि देश में करीब 7 फीसदी का ग्रोथ है तो जॉब ग्रोथ, कम विकास वगैरह की आलोचना कहां से वाजिब है?
इसके जवाब में पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, 'ग्रोथ रेट बस एक गणना है यह परफेक्ट नहीं होता. लेकिन निवेश, क्रेडिट ग्रोथ, परफेक्ट होता है. इस सरकार का जीडीपी ग्रोथ फेक नंबर है.
मोदी सरकार ने किए ये गलत काम
उन्होंने कहा, 'यूपीए सरकार में हमने छोटे, मध्यम और बड़े निवेशकों में यह भरोसा पैदा किया कि निवेश करो, निवेश बहुत ऊचा था, जीडीपी के 36 फीसदी तक, सेविंग रेट ऊंचा था.. हमने कुछ विध्वंसक नहीं किया. लेकिन मोदी सरकार ने कई गलत कदम उठाए. नोटबंदी सबसे घातक कदम था. पीएमओ में पावर का केंद्रीकरण किया गया. सरकार की तमाम एजेंसियों पर असाधारण नियंत्रण किया गया. अब लोग यह सवाल पूछ रहे हैं कि भारत में निवेश क्यों करें, यही अंतर है, दोनों सरकारों में. लीमैन ब्रदर्स के संकट की वजह से हमें दिक्कत हुई और यह कई साल तक चला.