Advertisement

India Today Conclave East: पूर्वोत्तर राज्यों के लिए तरक्की का इंजन बनेगा बंगाल- अरुण पुरी

'इंडिया टुडे कॉन्क्लेव ईस्ट 2019' का आगाज हो गया है. कॉन्क्लेव की वेलकम स्पीच में इंडिया टुडे समूह के चेयरमैन और एडिटर इन चीफ अरुण पुरी ने उम्मीद जताई कि एक बार फिर बंगाल अपने पुराने गौरव को हासिल करेगा.

India Today Conclave में इंडिया टुडे ग्रुप के चेयरमैन अरुण पुरी का संबोधन (फोटो: विक्रम शर्मा) India Today Conclave में इंडिया टुडे ग्रुप के चेयरमैन अरुण पुरी का संबोधन (फोटो: विक्रम शर्मा)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 06 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 2:44 PM IST

  • 'इंडिया टुडे कॉन्क्लेव ईस्ट 2019' का आगाज कोलकाता में हुआ
  • दो दिन के इस प्रोग्राम में कई जानी-मानी हस्तियां शामिल होंगी
  • इंडिया टुडे समूह के चेयरमैन अरुण पुरी ने आगंतुकों का स्वागत किया
  • NRC, सिटीजनशिप बिल, इकोनॉमी जैसे अहम मसलाें पर होगी चर्चा

इंडिया टुडे ग्रुप के लोकप्रिय और चर्चित कार्यक्रम 'इंडिया टुडे कॉन्क्लेव ईस्ट 2019' का आगाज कोलकाता में हो गया है. दो दिन चलने वाले इस प्रोग्राम में अलग-अलग क्षेत्र की जानी-मानी हस्तियां शामिल हो रही हैं. कॉन्क्लेव की वेलकम स्पीच में इंडिया टुडे ग्रुप के चेयरमैन और एडिटर इन चीफ अरुण पुरी ने उम्मीद जताई कि एक बार फिर बंगाल अपने पुराने गौरव को हासिल करेगा और पूर्वोत्तर की तरक्की का इंजन बनेगा. उन्होंने कहा कि प‍श्चिम बंगाल जब आगे बढ़ता है तो पूरा पूर्वोत्तर क्षेत्र आगे बढ़ता है.

Advertisement

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव ईस्ट 2019 का आयोजन कोलकाता के ओबेरॉय ग्रैंड होटल में हो रहा है. दो दिन तक चलने वाले इस प्रोग्राम में अलग-अलग क्षेत्र की जानी-मानी हस्तियां शामिल हो रही हैं. इस प्रोग्राम में एनआरसी, सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल समेत देश की इकोनॉमी की हालत पर चर्चा की जाएगी.

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में शामिल होने वाले प्रमुख लोगों में बिहार के उप मुख्‍यमंत्री सुशील मोदी, पतंजलि आयुर्वेद के को-फाउंडर आचार्य बालकृष्ण, बीसीसीआई प्रेसिडेंट सौरव गांगुली, असम के वित्‍त मंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा, बॉलीवुड अभिनेत्री तापसी पन्‍नु, संगीतकार निकिता गांधी, संगीतकार लगनजीता चक्रवर्ती, बीजेपी नेता मुकुल रॉय आदि शामिल हैं. 

यहां पढ़ि‍ए अरुण पुरी का पूरा स्वागत भाषण

नमस्कार

गुड मॉर्निंग 

लेडीज ऐंड जेंटलमैन, इंडिया टुडे कॉन्क्लेव-ईस्ट के तीसरे संस्करण में आपका स्वागत है.

कोलकाता के दोस्ताना लोगों और गर्मजोशी भरी मेजबानी की वजह से यहां आना हमेशा अच्छा लगता है. इस कार्यक्रम में आने वाले सभी लोगों को धन्यवाद.

Advertisement

पिछले साल जब हम मिले थे तबसे हुगली में काफी पानी बह चुका है.

खासकर अक्टूबर भारत और कोलकाता वालों के लिए काफी खास महीना रहा है- अभिजीत बनर्जी उन कुछ चुनिंदा भारतीयों में शामिल हुए जिनको नोबेल पुरस्कार हासिल हुआ है, और मैं यह भी कहना चाहूंगा कि वह यह पुरस्कार हासिल करने वाले तीन बंगालियों में से एक हैं. इसी महीने में भारतीय क्रिकेट के दादा सौरव गांगुली बीसीसीआई के 39वें प्रेसिडेंट बने हैं.

पश्चिम बंगाल आज इतिहास के रोचक दौर से गुजर रहा है. जैसा कि मैंने गौर किया इंडिया टुडे के पिछले महीने हुए स्टेट्स ऑफ द स्टेट्स सर्वे में पश्चिम बंगाल का स्थान नीचे रहा है, पिछले वर्षों के खराब प्रदर्शन की वजह से, देश के 20 बेहतरीन प्रदर्शन वाले राज्यों में उसका स्थान 12वां है.

लेकिन उसने 10 कैटेगरी में सबसे ज्यादा सुधार किया है-समग्र विकास, अर्थव्यवस्था, शासन, कानून-व्यवस्था, उद्ममिता, सफाई, स्वास्थ्य, शि‍क्षा और कृषि‍. इसमें बंगाल ने सिर्फ एक साल में 13वें स्थान से 8वें स्थान तक छलांग लगाई है, जो यह दिखाता है कि तेजी से बदलाव असंभव नहीं है.

इस महीने अगस्त में जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पश्चिम बंगाल ने वर्ष 2018-19 में 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे ऊंचा 12.58 फीसदी का जीएसडीपी ग्रोथ रेट हासिल किया है.

Advertisement

जब बंगाल आगे बढ़ता है तो यह पूरा क्षेत्र आगे बढ़ता है और मुझे पूरी उम्मीद है कि बंगाल फिर से अपना वह प्रमुख दर्जा हासिल करेगा जो पिछली सदी में उसका रहा है-11 पड़ोसी राज्यों के लिए प्रवेश द्वार और तरक्की का इंजन.

पूर्वोत्तर के आठ राज्यों का भारत के जीडीपी में हिस्सा 2.8 फीसदी है. सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2012 से 2018 के बीच मिजोरम ने भारतीय राज्यों में सबसे ऊंचा 12.75 फीसदी का जीएसडीपी हासिल किया है, यह गुजरात के 10 फीसदी से भी ज्यादा है. त्रिपुरा इस मामले में 9.16 फीसदी जीएसडीपी के साथ तीसरा सबसे तेजी से बढ़ने वाला राज्य है. तो पूरब कई तरह से आगे बढ़ रहा है.

इस क्षेत्र में तीन व्यापक टकराव उभर रहे हैं. 

पहला, निश्चित रूप से राजनीतिक लड़ाई है. इस साल मई में होने वाले लोकसभा चुनाव में हमने पश्चिम बंगाल में बीजेपी का पहली बार उभार देखा. पार्टी इस राज्य में 2014 के 2 सीटों से 2019 में 18 सीटों तक पहुंच गई है और 40 फीसदी वोट हासिल किए हैं.

हालांकि, पिछले हफ्ते हुए उप-चुनाव में हमने यह देखा कि टीएमसी ने तीनों विधानसभा सीटें जीत ली हैं. इनमें से उसने 2 सीटें बीजेपी से छीनी हैं. इसका शायद मतलब यह है कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी का उभार इतना आसान नहीं है.

Advertisement

साल 2021 के विधानसभा चुनाव 18 महीने बाद ही हैं, और इसी वजह से सबकी इस पर नजरें हैं. क्या यह ‘राम बनाम दुर्गा’ होगा? हमने सभी राजनीतिक दलों के लोगों के साथ इस बारे में एक सत्र रखा है जो आपको ज्यादा जानकारी देंगे. हम यहां पश्चिम बंगाल के गवर्नर जगदीप धनखड़ को भी सुनेंगे, जिन पर आज मुख्यमंत्री ने समानांतर सरकार चलाने का आरोप लगाया है.

दूसरा टकराव है, एकीकरण बनाम समावेश. लंबे समय तक पूर्वोत्तर एक तरह से भारत के हाशि‍ए पर रहा है. बुनियादी ढांचे का विकास बहुत कम हुआ और यह इलाका उसी तरह से काफी उपेक्षित रहा जैसा कि औपनिवेशि‍क काल में था.

जैसी कि उम्मीद थी, अब यह बदल रहा है.

हमने यह देखा है कि पूर्वोत्तर में बुनियादी ढांचा विकास पर खर्च बढ़कर 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है- पूर्वोत्तर के लगभग सभी रेलमार्गों को ब्रॉडगेज में बदल दिया गया है. दर्जनों नए रेलमार्गों पर काम हो रहा है ताकि पूर्वोत्तर के सभी राज्यों की राजधानियों को रेल संपर्क से जोड़ा जा सके.

अब से कुछ दिनों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुवाहाटी में आयोजित सालाना भारत-जापान सम्मेलन में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे से मिलेंगे. उनकी यह मुलाकात काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि हमारे प्रमुख एशियाई रणनीतिक साझेदार जापान के लिए पूर्वोत्तर एक प्रमुख निवेश गंतव्य रहा है.

Advertisement

जापान ने पूर्वोत्तर भारत में शहरी ढांचे के विकास, वन संरक्षण और टिकाऊ खेती की नई परियोजनाओं में करीब 13,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है.

तीसरा और सबसे चिंताजनक टकराव जो उभरते मैं देख रहा हूं, वह फिर से पूरब से है, कि किस तरह से पहचान का संकट हमारे सामने खड़ा हो रहा है.

माइग्रेशन पूर्वोत्तर के लिए एक संवदेनशील विषय रहा है और इसने करीब चार दशक पहले से असम को गरमा रखा है.

इस साल हमने यह देखा कि असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन जारी किया गया. यह शायद दुनिया में अपने तरह का सबसे बड़ी नागरिकता प्रमाणन कवायद है.

यह असल में अवैध प्रवासियों की पहचान का आधार बनाने के लिए था. अब तक करीब 19 लाख कथि‍त बाहरी लोग इसकी अंतिम सूची से बाहर हो गए हैं. अभी इसकी नियति को लेकर अनिश्चितता जारी ही है कि एनआरसी को पूरे देश में लागू करने की बात शुरू हो गई है.

एक अजीब समाधान जो सिर्फ असम तक सीमित रह सकता था, अब पूरे देश में लागू होगा. हम जल्दी ही यह देख सकते हैं कि करोड़ों भारतीयों को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए कहा जा रहा है.

जिनके पास यह नहीं होगा उन्हें विदेशी मान लिया जाएगा और जैसा कि हमारे गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है, उन्हें 2024 से पहले बाहर निकाल दिया जाएगा.

Advertisement

हम पहचान की राजनीति का राजनीतिकरण होते देख रहे हैं और संभवत: यह सत्तारूढ़ दल के लिए एक प्रमुख चुनावी मसला बन जाए. क्या 2024 में नागरिकता उसी तरह से मसला होगी जैसा कि 1990 के दशक में राम मंदिर रहा है? इसके बारे में जल्दी ही पता चल जाएगा.

आज यहां कई ऐसे सत्र होंगे जिनमें पूर्वोत्तर में ‘अवैध अस्तित्व’, पहचान की राजनीति और पूर्वोत्तर से बाहरियों को दूर रखने के उपाय करने की चुनौतियों के बारे में मंथन होगा.

लेकिन राजनीति से ज्यादा भी काफी कुछ है.

हम अगले दो दिनों में संघर्ष और विजय की कुछ साधारण कहानियों से रूबरू होंगे. हमारे सामने भारतीय क्रिकेट के दादा सौरव गांगुली होंगे, जो यह बताएंगे कि दुनिया की सबसे धनी क्रिकेट संस्था का अध्यक्ष बनना कैसा होता है.

हमारे ऐसे ही एक सबसे रोचक सत्र में तीन असाधारण महिलाएं भागीदारी कर रही हैं.

एक डायरेक्टर जिनकी फिल्म इस साल ऑस्कर के लिए नामित होने वाली पहली आधि‍कारिक एंट्री है, एक राष्ट्रीय स्तर की 400 मीटर की रिकॉर्ड धारी एथलीट जिसने 20 दिन में पांच गोल्ड मेडल हासिल किए और एक डॉक्टर जो एक असामान्य असमी फिल्म में एक्टर बनी, जिसने इस साल वैश्विक पहचान बनाई.

आप सबका एक बार फिर स्वागत है.

Advertisement

इस कॉन्क्लेव का आनंद लें.

धन्यवाद

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement