
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2018 के 'बिल्डिंग स्मार्ट सिटीज: द इंटेलिजेंट डिजाइन' सत्र में अर्किटेक्ट कार्लो राती और नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने शिरकत की. इस सत्र में आर्किटेक्चर की दुनिया में प्रख्यात कार्लो ने भारत में मोदी सरकार द्वारा प्रस्तावित 100 स्मार्ट सिटी योजना पर अहम बातचीत की. वहीं नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने इस सत्र के दौरान स्मार्ट सिटी परियोजना में सुधार पर टिप्स मांगे.
कार्लो राती ने कहा कि 'स्मार्ट सिटी' शब्द पर उन्हें आपत्ति है क्योंकि इससे सुनकर ऐसा लगता है कि इसका पूरा फोकस तकनीक पर है. इसकी जगह 'सेंसिबल सिटी' शब्द का इस्तेमाल ज्यादा बेहतर लगता है. कार्लो ने कहा कि पिछले 10-20 वर्षों से इंटरनेट ने हमारी जिंदगी बदल दी है. मौजूदा दौर में डिजिटल और फिजिकल चीजों का कन्वर्जेंस संभव हो रहा है. इससे हमारे जीने का तरीका भी बदल रहा है.
अमिताभ कांत ने कहा कि शहरीकरण की प्रक्रिया अमेरिका में पूरी हो गई, यूरोप में पूरी हो गई, चीन में खत्म होने के करीब है. वहीं भारत में इसकी शुरुआत हो चुकी है. आने वाले पांच दशक में कई लाख भारतीय इस प्रक्रिया का हिस्सा होंगे. ऐसे में 100 स्मार्ट सिटी बनाने की दिशा में सब कुछ सही हो, इसके लिए क्या जरूरी है? कार्लो ने कहा कि स्मार्ट सिटी दुनिया का एक बड़ा प्रोजेक्ट है. ये एक अहम अवसर है. जरूरी है कि संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल हो. डिजिटल और फिजिकल वर्ल्ड के एकीकरण की दिशा में प्रयोग हो.
टेक्नोलॉजी के जरिए एक बेहतर दुनिया बनाने के सवाल पर कार्लो ने कहा कि एनर्जी एफिसिएंसी बेहद अहम है. इसमें सोलर पावर का काफी महत्वपूर्ण है. इस धरती पर लंबे समय तक बने रहने के लिए जरूरी है कि ऊर्जा को बचाया जाए. एमआईटी सेंसिबल सिटी लैब के बारे में कार्लो ने जानकारी दी कि इस प्रोजेक्ट में डिजिटल और फिजिकल स्पेस का सिटीज में किस तरह प्रयोग किया जा सकता है, इस पर खोज चल रही है. सेंसिबल सिटीज में आर्टिफिशियल इंटलिजेंस के जरिए पेड़ों की मैपिंग पर काम हो रहा है.