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Kumbh 2019: राजनीति और धर्म के बीच रिश्ता जरूरी- योगी आदित्यनाथ

India today round table kumbh mela में सीएम योगी आदित्यनाथ ने राजनीति और धर्म एक दूसरे के पूरक हैं. उन्होंने कहा कि मैं नहीं समझ पाता हूं कि लोग राजनीति किसको कहते हैं और धर्म किसे कहते हैं. राजनीति अपने आप धर्म के साथ जुड़ी हुई है और हर धर्म, राजनीति से जुड़ा हुआ है. दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं.

उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 13 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 5:31 PM IST

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित कुंभ मेला पर इंडिया टुडे गोलमेज सम्मेलन का आयोजन लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिस्ठान में हो रहा है. राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इंडिया टुडे के इस खास कार्यक्रम में शिरकत की. इस दौरान उन्होंने कुंभ के आयोजन के लिए किए अपनी सरकार के कार्यों को गिनाया. साथ ही उन्होंने कई सवालों का बेबाकी से जवाब दिया. सीएम योगी से जब सवाल किया गया कि क्या कुंभ के मंच से राजनीति होगी. तो इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि मैं नहीं समझ पाता हूं कि लोग राजनीति किसको कहते हैं और धर्म किसे कहते हैं. राजनीति अपने आप धर्म के साथ जुड़ी हुई है और हर धर्म, राजनीति से जुड़ा हुआ है. दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं.

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उन्होंने कहा कि धर्म में पाखंड आएगा, तो उसके लिए राजनीति जरूरी है. लेकिन राजनीति में जब पांखड आएगा तो उसकी पवित्रता के लिए धर्म जरूरी है. और दोनों को जोड़कर चला जाए तो ही देश का कल्याण होगा. जब आप एक लेकर चलेंगे तो स्वार्थों की राजनीति उसी तरह से होगी जैसे आप सपा-बसपा गठबंधन की राजनीति देख रहे हैं.

वहीं सपा-बसपा के गठबंधन की चुनौती पर बोलते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हमे कोई चिंता नहीं है. सपा और बसपा दोनों ने साल 1993 से लेकर 1995 तक सरकार चलाई. इस दौरान दोनों के गठबंधन में राज्य में जिस तरह से अपराध अपने चरम था वह सबके सामने है. सपा और बसपा को राज्य के अंदर सरकार चलाने का मौका मिला. उन्होंने कैसे सरकारें चलाईं यह सबने देखा. इन्होंने समाज में जहर डालने का काम किया. प्रदेश को इन्होंने दंगे में झोंका था. दोनों ने जाति के आधार पर समाज को बांटने का काम किया. राज्य की जनता जानती है कि विकास के जो भी काम हुए हैं वह 2014 के बाद हुए हैं. 

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योगी आदित्यनाथ ने आगे कहा कि हमसे इनसे कोई चुनौती नहीं है. अखिलेश यादव बताएं कि प्रधानमंत्री पद के लिए कौन उम्मीदवार होगा, मायावती या मुलायाम. उनको यह साफ करना चाहिए. बिना नेता के गठबंधन को जनता खारिज करेगी. इनका नेता कौन है यह तय करना होगा.

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