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कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान पर हवाई हमला करने वाला था भारत

रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय वायुसेना के दस्तावेजों से इसका खुलासा हुआ है. कि 1999 में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी एयरबेस को पूरी तरह से नष्ट करने की योजना बना ली थी.

कारगिल युद्ध पर वायुसेना के दस्तावेजों से हुआ खुलासा कारगिल युद्ध पर वायुसेना के दस्तावेजों से हुआ खुलासा
प्रियंका झा
  • नई दिल्ली,
  • 20 जुलाई 2016,
  • अपडेटेड 2:39 AM IST

कारगिल युद्ध में हार का मुंह देखने वाला पाकिस्तान भारत के प्रहार से बच गया था. भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के एयरबेस पर हमले की पूरी तैयारी कर ली थी. इतना ही नहीं हमले के लिए टारगेट तक तय कर लिए गए थे.

'एनडीटीवी' की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय वायुसेना के दस्तावेजों से इसका खुलासा हुआ है. कि 1999 में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी एयरबेस को पूरी तरह से नष्ट करने की योजना बना ली थी. दस्तावेजों के मुताबिक फाइटर प्लेन के पायलट इस मिशन को शुरू करने के लिए नियंत्रण रेखा से कुछ दूरी पर ही थे. अगर ऐसा होता तो दो परमाणु संपन्न देशों के बीच चल रहा संघर्ष पूरी तरह से युद्ध में बदल जाता.

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वार्ता विफल होने के बाद बनी थी योजना
यह फैसला तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह और पाकिस्तानी विदेश मंत्री सरताज अजीज के बीच नई दिल्ली में हुई वार्ता के विफल होने के बाद लिया गया था. इस वार्ता के दौरान सरताज अजीज के सामने साफ शर्त रखी गई थी कि पाकिस्तानी घुसपैठियों को पहाड़ियों से हटाया जाए और नियंत्रण रेखा को नए तरीके से निर्धारित करने की मांग को भी छोड़ दिया जाए. साथ ही कैप्टन सौरव कालिया समेत छह भारतीय सैनिकों को बेरहमी से टॉर्चर करने के जिम्मेदारों को सजा मिले. जिस वक्त उत्तरी कश्मीर में कैप्टन कालिय ऑपरेशन को अंजाम दे रहे थे उन्हें पाकिस्तानी सेनाओं ने पकड़ लिया था औक उनके शरीर को क्षतविक्षत कर के भारत भेजा था.

इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आगे क्या होना था ये सब सरकारी दस्तावेजों में दर्ज है. 12 जून को भारत में बातचीत के विफल होने के बाद सरताज अजीज वापस पाकिस्तान गए. वहां, सभी पायलटों को 1600 बजे बुलाया गया. यह बुलावा गुप्ता का था. उनके पास हमारे लिए कुछ समाचार था. डायरी में दर्ज सीएटीओ (CATOs) के निर्देश के अनुसार, वायुसेना मुख्यालय से सभी को आदेश दिए गए थे कि 13 जून की सुबह हमले के लिए तैयार रहना था. यह बात एयरफोर्स के 17 स्क्वाड्रन की डायरी में दर्ज है. इस स्क्वाड्रन को गोल्डन एरोज नाम से जाना जाता है और तब यह श्रीनगर स्थित एयरफोर्स बेस से अपना काम करती थी.

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