
पारादीप रिफाइनरी के उद्घाटन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को विशाखापट्टनम पहुंचे. यहां इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू के दौरान पीएम ने नौसैनिकों को संबोधित किया. इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि भारत इसी साल अप्रैल में अब तक के पहले ग्लोबल मैरिटाइम समिट का आयोजन करेगा.
अपने संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने कहा, 'इस फ्लीट रिव्यू की ऐतिहासिक सफलता के लिए मैं भारतीय नौसेना को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं. इस कार्यक्रम को समर्थन देने के लिए मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को भी धन्यवाद देता हूं. कार्यक्रम की सफलता को देखते हुए मैं यह घोषणा करना चाहता हूं कि भारत इसी साल अप्रैल में अब तक के पहले अतंरराष्ट्रीय मैरिटाइम समिट का आयोजन करेगा.'
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि विशाखापट्टनम आकर वह गौरवांवित महसूस कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारतीयों के दिलों में इस शहर का खास स्थान है. पीएम ने कहा, 'वसुधैव कुटुंबकम, पूरी दुनिया एक परिवार है और यह सिद्धांत धरती में अगर कहीं दिखता है, लेकिन समंदर में ही दिखता है. पिछली बार भारत ने साल 2001 में अंतरराष्ट्रीय फ्लीट रिव्यू का आयोजन मुंबई में किया था. 15 साल बाद 2016 में दुनिया काफी बदल गई है. समुद्र वैश्विक खुशहाली के लिए जीवनरेखा की तरह हैं और यह हमें अपने राष्ट्रनिर्माण के लिए कई आर्थिक मौके उपलब्ध करवाता है.
समुद्र मार्ग चुनौतीपूर्ण
पीएम मोदी ने कहा कि वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा के लिए समुद्र मार्ग काफी चुनौतीपूर्ण हैं, क्योंकि दुनिया में तेल उत्पादन के 60 फीसदी से भी ज्यादा का परिवहन समुद्र के जरिए ही होता है. उन्होंने कहा, 'समुद्र से आर्थिक लाभ लेने की हमारी योग्यता इस बात पर निर्भर करती है कि समुद्री चुनौतियों से निपटने की हमारी क्षमता कैसी है. समुद्र के जरिए आतंकवाद का भारत खुद भुक्तभोगी है. यह क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय शांति और स्थिरता के लिए खतरा बना हुआ है.'
समुद्र का इस्तेमाल शांति और मित्रता के लिए
प्रधानमंत्री ने कहा कि आधुनिक समय की जटिल चुनौतियों के स्तर को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय समुद्री स्थिरता किसी एक देश द्वारा कायम नहीं रखी जा सकती. दुनियाभर की नौसेनाओं और समुद्र से जुड़ी अन्य एजेंसियों को मिलकर सहयोग करने की जरूरत है. पीएम मोदी ने कहा, 'हमें समुद्र का इस्तेमाल शांति, मित्रता और विश्वास का निर्माण करने और टकराव को दूर करने के लिए करना चाहिए.'