
सेना ने उग्रवादी संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड-खापलांग (NSCN-K) के खिलाफ 'जवाबी' गोलीबारी करते हुए उग्रवादियों को 'भारी नुकसान' पहुंचाया. भारतीय सेना के पूर्वी कमान के इस ऑपरेशन में कई उग्रवादी हताहत भी हुए हैं. वहीं अधिकारियों ने बताया कि भारतीय सैन्य टुकड़ियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है.
सेना का यह ऑपरेशन असम-नगालैंड बॉर्डर के पास हुआ. भारतीय सेना ने साफ किया कि यह ऑपरेशन म्यांमार में घुसकर नहीं किया गया है. सेना ने सुबह-सुबह ही इस ऑपरेशन को शुरू किया और लंगखू गांव के पास नगा उग्रवादियों पर धावा बोला. यह जगह भारत-म्यांमार बॉर्डर से करीब 10-15 किमी. दूर है.
पूर्वी कमान की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, भारतीय-म्यांमार सीमा के पास तैनात भारतीय सेना के एक दल पर सुबह करीब 4:45 मिनट पर NSCN-K के अज्ञात चरमपंथियों ने गोलीबारी शुरू कर दी. बयान में बताया गया, 'हमारे सैन्यदल ने तत्काल कार्रवाई की और चरपंथियों पर जवाबी गोलीबारी शुरू कर दी. इसके बाद चरमपंथियों की ओर से गोलीबारी रुक गई और वह मौके से फरार हो गए. प्राप्त सूचनाओं के आधार पर, चरमपंथियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. हमारे सैन्यदल को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है.'
पूर्वी कमान ने एक ट्वीट भी किया, '# भारतीय सैन्य कर्मियों के हताहत होने की खबरें तथ्यात्मक तौर पर गलत हैं. भारत-म्यांमार सीमा के आस-पास आज सुबह 4 बजकर 45 मिनट पर गोलाबारी हुई थी.'
इस बयान में यह भी दावा किया गया है कि भारतीय सैन्य दल ने 'अंतरराष्ट्रीय सीमा पार नहीं की.' सेना के सूत्रों के मुताबिक यह कार्रवाई 'कोई सर्जिकल स्ट्राइक' नहीं थी. वहीं इस ऑपरेशन में कितने नगा उग्रवादी मारे गए हैं, इसका अभी तक कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं आया है.
इससे पहले जून 2015 में भी सेना ने मणिपुर में प्रतिबंधित चरमपंथी संगठन के खिलाफ इसी तरह की कार्रवाई की थी. उस ऑपेरशन में भी कई उग्रवादी हताहत और उनके कैंप तबाह कर दिए गए थे. वहीं हाल ही में हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के म्यांमार दौरे से पहले भी ऐसा ही एक ऑपरेशन को अंजाम दिया गया था. भारत-म्यांमार सीमा पर नागा आतंकी संगठन एनएससीएन (के) एक आतंकवादी कैंप को नष्ट कर दिया गया था, जिसमें एक आतंकवादी को मार गिराया था.
दो दिन से चला था ऑपरेशन
खुफिया सूचनाओं के आधार पर सेना को इस कैंप की जानकारी बहुत पहले हो गई थी और यह ऑपरेशन 2-3 दिन से एक्टिव था. हालांकि सेना ने सुबह 7:30 बजे कैंप पर हमला बोला था.