
भारत की सेना अब नये तोपों की ताकत से लैस है. सीमा पर बढ़ती चुनौतियों और पाकिस्तान-चीन की बदनीयती के बीच भारतीय सेना अपना किला लगातार मजबूत कर रही है. नासिक के देवलाली तोपखाने में शुक्रवार को रक्षा बेड़े में 'के. 9 वज्र और एम 777 होवित्जर तोप को शामिल कर लिया गया है.
ये 30 साल बाद पहला मौका है जब भारतीय फौज को नई तोपें मिली हैं. हमारे देश में जब तोपखाने की बात होती है तो आम लोगों के मन में जो सबसे पहला नाम आता है उसका नाम है बोफोर्स. इस तोप के साथ भले ही विवाद जुड़े हो, लेकिन जंग के मैदान में इन तोपों ने दुश्मन को नाकों चने चबाने पर मजबूर कर दिया था.
दुश्मनों के लिए मौत का सामान साबित हो चुके इन हथियारों की तुलनात्मक क्षमता के बारे में हम आपको बताते हैं.
38 KM तक तबाही मचा सकता है वज्र
नाम के जैसे ही इस तोप की मजबूती भी वज्र जैसी है. इस तोप की रेंज 28-38 किमी है. 155 मिलीमीटर की ये तोप 30 सेकंड में तीन गोले दागने में सक्षम है. यानी तीन मिनट में के-9 वज्र 15 गोले दाग सकती है. जरूरत पड़ने पर ये तोप लगातार एक घंटे तक फायरिंग कर सकती है और 60 गोले उगल सकती है.
रणक्षेत्र में जरूरत पड़ने पर ये तोप 67 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ सकती है. कुल 100 तोपों में 10 की एसम्बलिंग भारत में की गई है. इसकी कीमत 4366 करोड़ रुपये है. ये 10 तोपें इसी महीने देश को मिल जाएंगी. जबकि 90 तोपों को यहीं पर ही बनाया जाएगा. यह पहली ऐसी तोप है जिसे दक्षिण कोरिया के सहयोग से भारत की एक निजी कंपनी लॉर्सन एंड टुब्रो ने बनाया है.
हेलिकॉप्टर से उठाया जा सकता है एम 777 होवित्जर
इस तोप की खासियत इसके नाम से ही झलकती है. मात्र साढ़े चार टन वजन के इस तोप को हेलिकॉप्टर से भी उठाकर पहाड़ों पर इसे तैनात किया जा सकता है. इस विशेषता की वजह से इसे ऐसे जगह पर भी ले जाया जा सकता है जहां ना तो सड़कें हैं और ना ही रेलवे ट्रैक. 155 एमएम 777 होवित्जर की मारक क्षमता 24 से लेकर 40 किलोटमीटर तक है. ये तोप 24 से लेकर 30 किलोमीटर के दायरे में मौजूद हर चीज को नेस्तानाबूद कर सकती है.
ये तोप एक मिनट में 2 राउंड से 5 राउंड फायर कर सकती है. एम 777 अल्ट्रा लाइट होवित्जर 72 डिग्री के एंगल तक गोला दाग सकती है, लिहाजा ये दुश्मन के खेमे में खलबली मचाने वाला ये हथियार पहाड़ों, चोटियों में छुपे शत्रु को पलक झपकते ही ध्वंस कर देता है. इस तोप को भारत ने अमेरिकी से मंगाया है. भारत को 5000 करोड़ रुपये की लागत में 145 ऐसी तोपें मिलेंगी
करगिल युद्ध में मचाई थी बोफोर्स ने तबाही
1999 में हुए करगिल के युद्ध में भारत ने पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को नेस्तनाबूद कर दिया था. उस जंग में बोफोर्स तोप की अहम भूमिका थी. लेकिन वज्र कई मामलों में बोफोर्स से बेहतर है. 155 एमएम बोफोर्स तोपों की अधिकतम रेंज 27 किलोमीटर तक है. ये तोप एक मिनट में 10 गोले फायर कर सकती है. हल्के वजन के कारण इसे युद्धभूमि में कही भी तैनात करना और यहां-वहां ले जाना आसान होता है. ये तोप माइनस तीन डिग्री से लेकर 70 डिग्री तक के एंगल में फायर कर सकती है. इस वजह से करगिल युद्ध के दौरान पहाड़ी इलाकों में ये तोप बेहद कारगर साबित हुई. बोफोर्स स्वीडन की कंपनी है. बोफोर्स तोपों को खरीदने के लिए भारत सरकार ने स्वीडन की कंपनी बोफोर्स एबी से मार्च 1986 में करार किया था.