
जंग-ए-मैदान में अपनी ताकत बढ़ाने के मकसद से भारतीय सेना नए और कारगर लड़ाकू वाहन खरीदने की तैयारी में है. सेना का 150 इनफैंट्री कॉम्बैट वाहन खरीदने का प्रस्ताव है ताकि युद्ध के मैदान में जवान छोटे-मोटे हथियारों के जरिये होने हमलों से खुद को महफूज कर सकें. इन वाहनों की खरीदारी पर तकरीबन 2,200 करोड़ रुपये खर्च होने की संभावना है.
22 सौ करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान
सरकारी सूत्रों ने मेल टुडे को बताया, 'रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक में 150 इनफैंट्री कॉम्बैट वाहन खरीदने का प्रस्ताव रखा गया, जिस पर 22 सौ करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. अगले सप्ताह इस प्रस्ताव के मंजूर होने की उम्मीद है.'
सेना के सूत्रों का कहना है कि खरीदे जाने वाले नए इंफैंट्री वाहनों का इस्तेमाल युद्ध के मैदान में होना है, हालांकि इन वाहनों का इस्तेमाल दूसरे मौकों पर भी किया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक, 'रेगिस्तानी इलाकों में युद्ध की स्थिति में इन वाहनों की तैनाती टैंक रेजीमेंट और इंफैंट्री मोर्चे के अलावा सीमावर्ती क्षेत्रों में की जाएगी. '
पाक सीमा पर होंगे तैनात
लड़ाकू वाहनों का इस्तेमाल सीमावर्ती क्षेत्रों में किया जाता है, जहां सैन्य अधिकारी जरूरत होने पर दुश्मन के ठिकानों पर गोले दागने के लिए इनका प्रयोग करते हैं. वहीं सिगनल्स ऑफिसर्स आपसी संवाद के लिए भी इन वाहनों का इस्तेमाल करते हैं. ये वाहन कई तरह की सुविधाओं से लैस होते हैं.
सेना को मजबूत बनाने को ताबड़तोड़ बैठक
सेना के आधुनिकरण की बढ़ती जरूरतों को देखते हुए रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण रक्षा अधिग्रहण परिषद की ताबड़-तोड़ बैठकें कर आवश्यक हथियारों और सैन्य वाहनों संबंधी फाइलों को तेजी से निपटा रही हैं. सिर्फ फरवरी के दौरान ही सीतारमण इस तरह की तीन बैठकें कर चुकी हैं ताकि सेना संबंधी महत्वपूर्ण मसलों को आगे बढ़ाया जा सके और मशीन गन, कार्बाइन व अन्य जरूर साजो समान की खरीदारी संबंधी मसलों को सुलझाया जा सके.
बता दें कि भारतीय सेना ने इंफैंट्री कॉम्बैट वाहनों के बेड़े में शामिल सभी लड़ाकू वाहन रूस से खरीदे हैं. इनमें BMP-1 और BMP-2 जैसे लड़ाकू वाहन भी शामिल हैं जिन्हें एक निश्चित अंतराल पर खरीदा जाता रहा है.
भविष्य की तैयारी
इंफैंट्री कॉम्बैट वाहनों का इस्तेमाल पाकिस्तान से लगी भारत की रेगिस्तानी और मैदानी सीमा पर किया जाता है, जहां सेना की 27 बटालियन तैनात हैं. भारतीय सेना इसलिए नए लड़ाकू वाहनों को खरीदने की योजना बना रही है ताकि भविष्य में युद्ध के मैदान में आने वाली नई चुनौतियों का सामना किया जा सके.