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दिन-रात देश की रक्षा में मुस्तैद रहने वाले जवानों को अपनी सुरक्षा के लिए बुलेट प्रूफ जैकेट पाने के लिए 10 साल का लंबा इंतजार करना पड़ा. 10 साल के इंतजार के बाद अब 50000 जैकेट उपलब्ध कराई जा रही हैं, जबकि जरूरत साढ़े तीन लाख बुलेटप्रूफ जैकेटों की है.
रक्षा मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, जवानों को ये बुलेट प्रूफ जैकेट इस साल अगस्त से दी जाएंगी और जनवरी 2017 तक ये काम पूरा हो जाएगा. 50 हजार बुलेट प्रूफ जैकेट हासिल करने के लिए भी सेना को 140 करोड़ रुपये में इमरजेंसी कॉन्ट्रैक्ट साइन करना पड़ा था. जिसे पूरा होने में भी 10 साल लग गए.
पर्रिकर ने दी थी कॉन्ट्रैक्ट को हरी झंडी
बताया जा रहा है कि सेना के पास अभी जो बुलेट प्रूफ जैकेट हैं वो खस्ताहाल हैं और उनकी ऑपरेशनल लाइफ खत्म होने को है. 1.15 करोड़ सैनिकों वाली फौज के पास बुलेट प्रूफ जैकेट की कमी थी. रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने नवंबर 2014 में कार्यभार संभालने के कुछ ही दिन बाद इस कॉन्ट्रैक्ट को मंजूरी दी थी.
2012 में मिलनी थी 1.86 लाख जैकेट
बताया जा रहा है कि नई जैकेट से सैनिकों का सिर, गर्दन, सीना और पैर भी ढके रहेंगे. इसके पहले 1.86 लाख जैकेट साल 2012 और 1.6 लाख जैकेट साल 2017 तक सप्लाई की जानी थी, लेकिन अब तक इनमें से कोई भी खेप सेना को नहीं मिली.