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भारतीय इतिहास कांग्रेस ने लाल किले को डालमिया को गोद देने का किया विरोध

आईएचसी ने एक बयान में कहा है कि 'अडॉप्ट अ हरिटेज' योजना के तहत केंद्रीय पुरातत्व सलाहकार बोर्ड (सीएबीए) द्वारा किए गए एमओयू में भेदभाव किया गया है.

लाल किले को गोद देने का विरोध लाल किले को गोद देने का विरोध
दिनेश अग्रहरि/राहुल श्रीवास्तव
  • नई दिल्ली,
  • 03 मई 2018,
  • अपडेटेड 9:28 AM IST

देश के प्रख्यात इतिहासकारों की प्रोफेशनल एवं एकेडमिक संस्था भारतीय इतिहास कांग्रेस (IHC) ने लाल किले को भारत डालमिया ग्रुप को गोद देने का विरोध किया है.

आईएचसी ने एक बयान में कहा है कि 'अडॉप्ट अ हेरिटेज' योजना के तहत केंद्रीय पुरातत्व सलाहकार बोर्ड (सीएबीए) द्वारा किए गए एमओयू में भेदभाव किया गया है. संस्था ने मांग की है कि इस मामले की जांच की जाए और जब तक जांच होती है, तब तक इस 'करार' को रद्द किया जाए.

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IHC ने काफी नाराजगी जताते हुए अपने बयान में कहा है, 'लाल किले को जिन शर्तों पर किसी को सौंप दिया गया है वह काफी बेचैन करने वाली हैं. डालमिया भारत एक ऐसी कंपनी है जिसको किसी स्मारक के रखरखाव का कोई अनुभव नहीं है. उसे देश के एक प्रमुख स्मारक का रखवाला बना दिया जा रहा है. यह भी घोषणा की गई है कि ताजमहल जैसे अन्य स्मारकों को भी निजी हाथों को सौंपा जाएगा.'

हालांकि एमओयू पर दस्तखत के दिन से ही इस मामले में आलोचना का सामना कर रही सरकार ने यह साफ किया है कि कंपनी के पास 'स्मारक के किसी हिस्से को रेनोवेट करने या उसमें बदलाव का कोई अधिकार नहीं होगा.'

IHC ने कहा, 'जिन शर्तों पर लाल किला डालमिया भारत को दिया जा रहा है वे काफी परेशान करने वाली हैं. कंपनी निर्माण कर सकती है और लैंडस्केप तैयार कर सकती है और वह एक इंटरप्रेटेशन सेंटर भी चलाएगी.'

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गौरतलब है कि IHC में 7,000 से ज्यादा सदस्य हैं और इसकी स्थापना 1935 में पुणे में आधुनिक इतिहास कांग्रेस (MHC) के रूप में की गई थी. साल 1938 में इसका नाम बदलकर भारतीय इतिहास कांग्रेस किया गया. इसका जोर भारतीय इतिहास के वैज्ञानिक अध्ययन पर रहता है.

लाल किले को लेकर क्या हुआ है फैसला?

दरअसल पर्यटन मंत्रालय, आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया और डालमिया भारत समूह के बीच एक एमओयू पर हस्ताक्षर किये गये, जिसके तहत कंपनी को पांच साल के लिए लाल किला और इसके आस पास के पर्यटक क्षेत्र के रख-रखाव और विकास की जिम्मेदारी मिल गई.

संस्कृति मंत्री महेश शर्मा कहते हैं- 'ऐतिहासिक धरोहरों के रखरखाव में जनता की भागीदारी बढ़े इसके लिए पिछले साल पर्यटन मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय ने पुरातत्व विभाग के साथ मिल कर एक योजना शुरू की थी जिसका नाम है- अडॉप्ट अ हेरिटेज योजना. इसके तहत कोई भी भारतीय किसी धरोहर को गोद ले सकता है. कई कंपनियों ने इसके लिए आवेदन दिया था और उन्हीं के आधार पर ये फैसला हुआ.'

लाल किले में क्या करेगी कंपनी?

इस योजना के तहत डालमिया ग्रुप लाल किला को पर्यटकों के बीच और अधिक लोकप्रिय बनाने के लिए काम करेगा. साथ ही उसके सौंदर्यीकरण, रखरखाव की जिम्मेदारी उसकी होगी. समझौते के तहत ग्रुप को छह महीने के भीतर लाल किले में जरूरी सुविधाएं मुहैया करानी होगी. इसमें एेप बेस्ड गाइड, डिजिटल स्क्रिनिंग, फ्री वाईफाई, डिजिटल इंटरैक्टिव कियोस्क, पानी की सुविधा, टेक्टाइल मैप, टॉयलेट अपग्रेडेशन, रास्तों पर लाइटिंग, बैटरी से चलने वाले व्हीकल, चार्जिंग स्टेशन, सर्विलांस सिस्टम, कैफेटेरिया आदि शामिल हैं.

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