
बेंगलुरु में स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस में गुरुवार यानी आज रक्षामंत्री राजनाथ सिंह उड़ान भरेंगे. पहली बार देश के रक्षा मंत्री स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस में उड़ान भरने वाले हैं. 3 साल पहले ही तेजस को वायु सेना में शामिल किया गया था. अब तेजस का अपग्रेड वर्जन भी आने वाला है. तेजस ने अपनी पहली उड़ान 4 जनवरी 2001 को भरी थी. यह एक स्वदेशी मल्टीरोल फाइटर जेट है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि तेजस विमान को बनाने की जरूरत क्यों पड़ी. क्या ये इतना ताकतवर है कि इससे युद्ध जीता जा सके? क्या इस विमान से चीन और पाकिस्तान डरते हैं?
आइए आपको बताते हैं कि तेजस की खासियत और उसके विकास का इतिहास
तेजस बनाने का कारण था 'फ्लाइंग कॉफिन' को हटाना
कभी देश की शान रहे मिग-21 विमान अब पुराने हो चुके हैं. इनकी वजह से एयरफोर्स के करीब 43 जवान शहीद हो चुके हैं. इसलिए इन्हें फ्लाइंग कॉफिन भी कहते हैं. देश में पिछले 45 साल में करीब 465 मिग विमान गिर चुके हैं. वो भी दुश्मन से बिना लड़े. जंग के मैदान में तो सिर्फ 11 मिग विमान गिरे हैं. नए विमान की जरूरत देश को पड़ेगी, इसकी तैयारी 1980 में ही शुरू कर दी गई थी. करीब, दो दशकों की तैयारी और विकास के बाद 4 जनवरी 2001 को तेजस ने अपनी पहली उड़ान भरी थी.
पाकिस्तान-चीन के थंडरबर्ड से कई गुना दमदार है तेजस फाइटर
तेजस विमान पाकिस्तान और चीन के संयुक्त उत्पादन थंडरबर्ड से कई गुना ज्यादा दमदार है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जब तेजस की प्रदर्शनी की बात की गई थी, तब पाकिस्तान और चीन ने थंडरबर्ड को प्रदर्शनी से हटा लिया था. ये बात है बहरीन इंटरनेशनल एयर शो की. तेजस चौथी पीढ़ी का विमान है, जबकि थंडरबर्ड मिग-21 को सुधारकर बनाया जा रहा है.
पूर्व पीएम अटल बिहारी बाजपेयी ने दिया था नाम 'तेजस'
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा बनाए गए इस विमान का आधिकारिक नाम 'तेजस' पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने दिया था. यह संस्कृत का शब्द है. जिसका अर्थ होता है अत्यधिक ताकतवर ऊर्जा. HAL ने इस विमान को लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) यानी हल्का युद्धक विमान प्रोजेक्ट के तहत बनाया है.
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इन हथियारों से लैस हो सकता है तेजस विमान
6 तरह की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइले हो सकती हैं तैनात. ये हैं- डर्बी, पाइथन-5, आर-73, अस्त्र, असराम, मेटियोर. 2 तरह की हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलें यानी ब्रह्मोस-एनजी और डीआरडीओ एंटी-रेडिएशन मिसाइल और ब्रह्मोस-एनजी एंटी शिप मिसाइल. इसके अलावा इसपर लेजर गाइडेड बम, ग्लाइड बम और क्लस्टर वेपन लगाए जा सकते हैं.