चुनावी मौसम में कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं. पूर्व आईपीएस अफसर किरण बेदी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की एक पुरानी तस्वीर वायरल हुई है . कई फेसबुक पेजों पर इस तस्वीर के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाया जा रहा है. इस वायरल तस्वीर में इंदिर गांधी के साथ पूर्व महिला आईपीएस किरण बेदी साथ लंच पर बैठे दिखाई दे रही हैं.
फेसबुक पेज 'IT & Social Media Cell Congress' और कई दूसरे फेसबुक यूजर्स ने दावा किया है कि पीएम की कार क्रेन से उठाने के बावजूद इंदिरा ने उस अफसर की तारीफ की और उसे खाने पर बुलाया. इस पोस्ट के जरिए पिछले दिनों ओडिशा की घटना का जिक्र किया गया है, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी के हेलीकॉप्टर की तलाशी लेने पर एक आईएएस को सस्पेंड कर दिया गया था.
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ये दावा भ्रामक है. वायरल तस्वीर का गाड़ी उठाने की घटना से कोई लेना-देना नहीं है और बेदी ने कभी भी इंदिरा गांधी की कार को क्रेन से नहीं उठाया.
खबर लिखे जाने तक करीब एक हजार से ज्यादा लोगों ने इस खबर को शेयर किया था. 'IT & Social Media Cell Congress' का ये पेज करीब 4 लाख लोग फॉलो करते हैं. एक और फेसबुक यूजर सैमुअल जॉर्ज ने भी ये तस्वीर पोस्ट की और लिखा.
इंदिरा गांधी जैसी नेता मिलना मुश्किल है. जब गलत पार्किंग के लिए किरण बेदी ने पीएम की गाड़ी का चालान काट दिया तो इंदिरा जी ने उनकी बहादुरी के सम्मान के लिए खुद उन्हें भोजन पर बुलाया.
1200 से ज्यादा लोगों ने इस पोस्ट को शेयर किया, वहीं कई और लोगों ने भी इसी दावे के साथ फेसबुक पर पोस्ट किया था.
यानडेक्स सर्च के जरिए हमें पता चला कि ये तस्वीरें दरअसल खुद किरण बेदी ने 19 नवंबर 2017 को पोस्ट की थीं. इंदिरा गांधी से अपनी नजदीकी का जिक्र करते हुए उन्होंने लिखा कि ये तस्वीर जनवरी 2017 की हैं. उन्होंने लिखा- गणतंत्र दिवस की परेड लीड करने के लिए प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सुबह के नाश्ते पर आमंत्रित किया.
हमने किरण बेदी के चर्चित कार कांड के बारे में जानकारी इकट्ठा करना शुरु किया तो हमें 2015 में एनडीटीवी का एक लेख मिला. इसमें बरखा दत्त के शो का जिक्र है जहां बेदी से कार उठाने की घटना से जुड़ा सवाल पूछा गया था. बेदी ने तब साफतौर पर कहा था कि उन्होंने कभी भी इंदिरा गांधी की कार नहीं उठवाई. रिपोर्टर के मुताबिक 1982 में इंदिरा गांधी के ऑफिस की एंबेसडर कार को सब इंस्पेक्टर निर्मल सिंह ने उठवा लिया था जो गलत तरीके से पार्क की गई थी. मगर किरण बेदी ने माना कि डीसीपी होने के कारण उन्होंने अपने जूनियर अफसर का बचाव किया था और उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं होने दी थी.
वायरल तस्वीर 1975 में ली गई और कार उठाने की घटना करीब 7 साल बाद 1982 में हुई. इसलिए इस तस्वीर का इस घटना से कोई लेना देना नहीं है, लेकिन क्या बेदी को इस घटना के बाद प्रोत्साहित किया गया. आम धारणा के उलट किरण बेदी ने एनडीटीवी के इंटरव्यू में दावा किया कि सजा के तौर पर उन्हें 7 महीने के लिए गोवा ट्रांसफर कर दिया गया था.