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राहुल गांधी का 'खून की दलाली' कहना मौजूदा परिस्थिति में सही: संदीप दीक्षित

कांग्रेस पार्टी में अपनी तीखी प्रतिक्रिया के लिए जाने जाने वाले संदीप दीक्षित ने भी राहुल गांधी का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि जब मोदी गुजरात के सीएम थे तब उन्होंने सब मर्यादा लांगी ऐसे में राहुल का 'खून की दलाली' कहना मौजूदा परिस्थिति में सही है.

संदीप दीक्षित संदीप दीक्षित
मौसमी सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 09 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 6:59 AM IST

सर्जिकल स्ट्राइक पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच छिड़ी लड़ाई थमने का नाम नहीं ले रही है. राहुल गांधी के बयान को सही ठहराकर कांग्रेस पार्टी ने ये साफ कर दिया कि वो किसी भी हाल में इस मसले पर बैकफुट पर नहीं जाएगी. कांग्रेस पार्टी में अपनी तीखी प्रतिक्रिया के लिए जाने जाने वाले संदीप दीक्षित ने भी राहुल गांधी का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि जब मोदी गुजरात के सीएम थे तब उन्होंने सब मर्यादा लांगी ऐसे में राहुल का 'खून की दलाली' कहना मौजूदा परिस्थिति में सही है.

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सवाल- खून की दलाली के शब्द का इस्तेमाल क्या कांग्रेस पर भारी है?
जवाब- राहुल ने जो शब्द इस्तेमाल किया वह भारी शब्द है लेकिन सही है. जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब वो किन शब्दों का इस्तेमाल करते थे. तब उन्होंने कहा था कि मनमोहन सिंह बड़े कमजोर प्रधानमंत्री हैं. वो तो अमेरिका के सामने रोते हैं. उन्होंने कहा था कि मां बेटे की सरकार है. आज जब सरहद पार से काफी बड़े हमले हुए हैं सेना पर जो कार्रवाई हुई है उस पर सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है. ऐसे सर्जिकल स्ट्राइक पहले भी किए गए हैं.

सवाल- क्या सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगना सही है?
जवाब- कांग्रेस पार्टी डिटेल मांग रही है ना की एविडेंस. जो कुछ संजय निरुपम जी की तरह लोग कह रहे हैं वो हमारी अधिकारिक लाइन नहीं है. आप यह ऐलान कर रहे हैं कि आपने ये किया है. अगर पीएम ने या गृह मंत्री ने किया है तो लीजिए श्रेय. आपको ये मालूम होना चाहिए कि जो हुआ सेना की वजह से हुआ. क्योंकि सर्जिकल स्ट्राइक फौज की क्षमता से हुआ आपकी वजह से नहीं.

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सवाल- राहुल ने जिन शब्दों का इस्तेमाल किया, क्या वो शालीन कांग्रेस को सूट करते हैं?
जवाब- मनमोहन सरकार की नीति थी कि जब भी पाकिस्तान पर जवाबी कार्रवाई करेंगे तो उसका प्रचार नहीं करेंगे. आज बात शालीनता की नहीं बल्कि राजनीतिक प्रभाव की है. हम शालीनता भी करते हैं तो उसका क्या प्रभाव? चुनाव में ये फैला दिया कि मनमोहन सिंह और सोनिया हाथ बांध कर बैठे हैं. उनकी वजह से पाकिस्तान हम पर हमला करता रहा. सुषमा स्वराज और मोदी बड़े-बड़े बयान देते रहे. हमारे शब्दों का क्या प्रभाव है. ये बीजेपी ने बात फैलाई कि मनमोहन सरकार कमजोर सरकार है. तो राहुल के शब्द मौजूद परिस्थिति में सही हैं.

सवाल- क्या इसका मतलब यह है कि अरविंद केजरीवाल ने जो कहा वही कांग्रेस पार्टी का स्टैंड है?
जवाब- प्रोपोगेंडा का जवाब देना अलग होता है. यह सबूत मांगना कि सर्जिकल स्ट्राइक का एविडेंस बोलना इस शब्द का इतेमाल कांग्रेस ने नहीं किया. अगर हुआ भी है तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होगा. मेरे हिसाब से तो यह भी गलत है कि डीजीएमओ ने कहा की हमारे पास वीडियो सबूत है. ये भी गलत है क्योंकि दुश्मन तक संदेश जाता है.

सवाल- जनरल बिक्रम सिंह ने कहा कि इस तरह का सपोर्ट पहले सरकार द्वारा नहीं मिला?
जवाब- पार्रिकर साहब ने क्या सशक्त किया सेना को कि आज आतंकी कैंप में घुसकर मार रहे हैं? कोई सड़क पर मारे और बात होती है घर में घुस के मारे. उरी और पठानकोट के हमले अलग-अलग हैं और मुंबई हमला अलग है. आज रोज आर्मी के ठिकानों पर हमले हो रहे हैं. तो भाई सरकार कह रही है कि अगर सर्जिकल स्ट्राइक हमारी वजह से हुआ तो आप यह भी बताइए कि आपकी वजह से ही आर्मी के ठिकानों पर लगातार हमले हो रहे हैं.

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सवाल- कांग्रेस की परेशानी क्या है? क्या ये तेवर बरकरार रहेंगे?
जवाब- पार्लियामेंट का सेशन आने वाला है तो प्रधानमंत्री संसद को बताएं कि इतिहास में भारत पाकिस्तान के साथ कब कब लड़ा है? किसका क्रेडिट किसको मिलेगा? जो सरकार उस वक्त थी उसको श्रेय दीजिए. अगर हम आपको क्रेडिट दें तो डिस्क्रेडिट भी आपकी सरकार को मिलेगा. पीएम यह करेंगे नहीं क्योंकि 10 साल के कार्यकाल में मनमोहन सिंह सरकार में जो कार्यवाही हुई उसका वह जवाब नहीं दे पाएंगे.

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