
आईएनएक्स मीडिया केस में पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी कर ली है. चार्जशीट इस महीने के तीसरे हफ्ते में दाखिल किया जा सकता है. अगर सीबीआई चार्जशीट दाखिल करती है तो चिदंबरम को जमानत मिलने की संभावना कम हो जाएगी.
सीबीआई के सूत्रों के मुताबिक, हिरासत के दौरान चिदंबरम से 100 घंटे में 450 सवाल पूछे गए थे, जो ज्यादातर एफआईपीबी क्लीयरेंस और कार्ति चिदंबरम से संबंधित थे. इस दौरान चिदंबरम का सामना सिंधुश्री खुल्लर और प्रबोध सक्सेना समेत पांच व्यक्तियों से कराया गया था.
सूत्रों के मुताबिक इस केस में सीबीआई 10 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट लाने की तैयारी कर रही है जिनमें कुछ कंपनियों के नाम भी शामिल हैं. सीबीआई की 15 दिनों की कस्टडी के दौरान चिदंबरम से 100 घंटे से ज्यादा पूछताछ हुई जिसमें FIPB मंजूरी से लेकर, कार्ति की ओर से अन्य आरोपियों को किए गए ई-मेल्स को बारे में सवाल पूछे गए थे.
तिहाड़ में बंद चिदंबरम
पूर्व गृह चिदंबरम मंत्री फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं और उन्हें दिल्ली की राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. चिदंबरम 5 सितंबर को तिहाड़ भेजे गए थे और 19 सितंबर तक उन्हें हिरासत में रखा जाएगा. इससे पहले सीबीआई उन्हें रिमांड पर रख चुकी है. इस दौरान उनसे कई बार पूछताछ भी की गई थी.
कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीबीआई ने पी. चिदंबरम को न्यायिक हिरासत में भेजने की मांग की थी लेकिन तब उनके वकील कपिल सिब्बल की ओर से दलील दी गई थी कि एजेंसी ने पूर्व वित्त मंत्री को 15 दिन के लिए हिरासत में रखा था. लेकिन कोई सबूत पेश नहीं किया. बावजूद इसके कोर्ट ने चिदंबरम को न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया.
एजेंसी के पास पुख्ता सबूत!
सीबीआई पहले से ही पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम के खिलाफ पुख्ता सबूत होने का दावा करती रही है. एजेंसी का कहना है कि पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति ने आईएनएक्स मीडिया की मदद की. एफआईपीबी की मंजूरी के लिए आईएनएक्स मीडिया ने एएससीपीएल और अन्य कंपनियों को जेनेवा, अमेरिका और सिंगापुर के बैंकों से भुगतान किया.
जांच में बरामद हुए दस्तावेजों और ई-मेल से जाहिर होता है कि पैसे का भुगतान एफआईपीबी की मंजूरी के लिए दिया गया. उस समय पी. चिदंबरम देश के वित्त मंत्री थे. उन पर एफआईपीबी की मंजूरी देने के लिए अपने पद के दुरुपयोग का आरोप है.