
देश में लोकसभा चुनाव के दौरान सीमांत राज्यों में कानून-व्यवस्था बिगाड़ने में नाकाम रही पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई अब पंजाब में आतंकवाद को फिर से जिंदा करने पर आमादा है. इसके लिए फर्जी खबरों के जरिए पंजाब में सिखों की भावनाएं भड़काने की कोशिश और धमकी भरे खतों का सहारा लिया जा रहा है. पठानकोट रेलवे स्टेशन के अधीक्षक को पठानकोट सिटी और कैंट रेलवे स्टेशन को उड़ाने के लिए धमकी भरा मेल मिला है.
पठानकोट में पहले से ही सुरक्षा व्यवस्था कड़ी है. सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि आईएसआई खाली नहीं बैठी है. वह पंजाब में तनाव भड़काने के लिए अलगाववादी गतिविधियों को हवा दे रही है. हाल में भारत और पाकिस्तान के बीच करतारपुर कॉरिडोर के निर्माण की वजह से पंजाब सुर्खियों में रहा है.
'इंडिया टुडे' को मिली जानकारी के अनुसार आईएसआई ने पंजाब में भर्ती की मुहिम चला रखी है. यह प्लान हार्वेस्ट के तहत हो रहा है. निशाने पर रिटायर्ड पुलिस अफसर और सेना के जवान हैं, जिन्हें लालच देकर भर्ती करने की तैयारी है. कनाडा में रहने वाले एक खालिस्तानी एक्टिविस्ट को 'प्रोजेक्ट हार्वेस्ट' लॉन्च करने की जिम्मेदारी दी गई है.
सुरक्षा एजेंसियां खालिस्तान ग्रुप सिख फॉर जस्टिस(एसएफजे) की गतिविधियों पर भी नजर रख रहीं हैं. यह संगठन खालिस्तान जनमत संग्रह में शामिल होने के लिए आने वाले लोगों को मुफ्त हवाई टिकट दे रहा है. एजेंसियां यह भी पता लगा रहीं हैं कि क्या एसएफजे भी आईएसआई के प्रोजेक्ट हॉर्वेस्ट का हिस्सा है या नहीं.
उच्च पदस्थ सूत्रों ने इंडिया टुडे से आशंका जताई है कि सिखों को भड़काने के लिए गुरु नानक महल के ढांचे से तोड़फोड़ की फर्जी खबर आईएसआई के दिमाग की उपज हो सकती है. यहां बताना जरूरी है कि पाकिस्तान के पीएम इमरान खान और पाक आर्मी चीफ जनरल कमर बाजवा के बीच करतारपुर गलियारे को लेकर मतभेद बढ़े हैं. सूत्रों का कहना है कि कई मौकों पर इमरान खान को आईएसआई के विरोध का भी सामना करना पड़ा है.
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पहले ही आशंका जता चुके हैं कि पाकिस्तान की आईएसआई और कट्टर सिख समूह भारत विरोधी गतिविधियों के लिए करतारपुर गलियारे का दुरुपयोग कर सकते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही अपने पाकिस्तानी समकक्ष से स्पष्ट कर चुके हैं कि भारत अलगाववादी गतिविधि बर्दाश्त नहीं करेगा. ऐसे में पाकिस्तान पर आतंकी समूहों पर कार्रवाई का दबाव है. हालांकि कार्रवाई बयानों तक सीमित रहती है.