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ISRO के बड़े वैज्ञानिक का दावा-जहर देकर हुई थी मारने की कोशिश

इसरो के बड़े वैज्ञानिक और अहमदाबाद स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के पूर्व निदेशक तपन मिश्रा ने दावा किया है कि 2017 में उन्हें जहर दिया गया था. तपन मिश्रा ने ये दावा अपनी फेसबुक पोस्ट में किया है. हालांकि उन्होंने ये भी कहा है कि उन्हें इस बारे में कोई आइडिया नहीं है कि उन्हें ये जहर किसने और क्यों दिया था?

तपन मिश्रा वर्तमान में इसरो में वरिष्ठ सलाहकार हैं (फोटो: फेसबुक/तपन मिश्रा) तपन मिश्रा वर्तमान में इसरो में वरिष्ठ सलाहकार हैं (फोटो: फेसबुक/तपन मिश्रा)
ऋचीक मिश्रा/गोपी घांघर
  • दिल्ली/अहमदाबाद,
  • 05 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 11:26 AM IST
  • बेंगलुरु में देने गए थे प्रमोशन इंटरव्यू
  • दावाः साल 2017 की है घटना, नाश्ते में मिला था जहर
  • दो साल से करा रहे हैं इलाज, अब फेसबुक पर किया पोस्ट

इसरो के बड़े वैज्ञानिक और अहमदाबाद स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के पूर्व निदेशक तपन मिश्रा ने दावा किया है कि 2017 में उन्हें जहर दिया गया था. तपन मिश्रा ने ये दावा अपनी फेसबुक पोस्ट में किया है. हालांकि उन्होंने ये भी कहा है कि उन्हें इस बारे में कोई आइडिया नहीं है कि उन्हें ये जहर किसने और क्यों दिया था?

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तपन मिश्रा ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा कि यह जहर उन्हें बेंगलुरू में प्रमोशन इंटरव्यू के समय दिए गए नाश्ते में मिलाकर दिया गया था. तपन मिश्रा ने आजतक से बातचीत में अपने फेसबुक पोस्ट की पुष्टि की. उन्होंने बताया कि घर पर जो आर्सेनिक देते हैं, वो ऑर्गेनिक होता है. जो जहर उन्हें दिया गया था वो एक इनऑर्गेनिक ऑर्सेनिक था. इसकी एक ग्राम मात्रा किसी इंसान को मारने के लिए काफी होती है.  

Long Kept Secret We, in ISRO, occasionally heard about highly suspicious death of Prof. Vikram Sarabhai in 1971. Also...

Posted by Tapan Misra on Tuesday, January 5, 2021

तपन मिश्रा ने कहा- इसके बाद मुझे लगातार दो साल इलाज कराना पड़ा इसीलिए किसी से इस बारे में बात नहीं की. मैं भाग्यशाली हूं क्योंकि इस जहर के लेने के बाद कोई नहीं बचता. मैं जनवरी में रिटायर हो रहा हूं और चाहता हूं कि लोगों को इस बारे में पता चले ताकि अगर मैं मर जाऊं तो सबको पता हो कि मेरे साथ क्या-क्या हुआ था.

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इसरो के साइंटिस्ट तपन मिश्रा ने एम्स की मेडिकल रिपोर्ट भी पोस्ट की है.

तपन मिश्रा ने फेसबुक पर लिखा है कि इसरो में हमें बड़े वैज्ञानिकों की संदिग्ध मौत की खबर मिलती रही है. साल 1971 में प्रोफेसर विक्रम साराभाई की मौत संदिग्ध थी. उसके बाद 1999 में VSSC के निदेशक डॉ. एस. श्रीनिवासन की मौत पर भी सवाल उठे थे. इतना ही नहीं 1994 में श्री नांबीनारायण का केस भी सबके सामने आया था. लेकिन मुझे नहीं पता था कि एक दिन मैं इस रहस्य का हिस्सा बनूंगा. 

तपन मिश्रा ने फोरेंसिक रिपोर्ट भी पोस्ट की है.

तपन मिश्रा ने फेसबुक पोस्ट पर लिखा है कि 23 मई 2017 को उन्हें जानलेवा आर्सेनिक ट्राइऑक्साइड (Arsenic Trioxide) दिया गया था. इसके बाद से वे पिछले दो साल से लगातार बुरी हालत में हैं. इंटरव्यू के बाद वो बड़ी मुश्किल से बेंगलुरु से अहमदाबाद वापस आए थे. 

तपन मिश्रा ने अपने हाथ और पैरों की तस्वीर भी पोस्ट की है.

अहमदाबाद लौटने के बाद उनको एनल ब्लीडिंग हो रही थी. उनको अहमदाबाद के अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही थी. त्वचा निकल रही थी. हाथों और पैर की उंगलियों से नाखून उखड़ने लगे थे. न्यूरोलॉजिकल समस्याएं जैसे हापोक्सिया, हड्डियों में दर्द, सेंसेशन, एक बार हल्का दिल का दौरा, आर्सेनिक डिपोजिशन और शरीर के बाहरी और अंदरूनी अंगों पर फंगल इंफेक्शन हो रहा था. 

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तपन मिश्रा ने अपना इलाज जायडस कैडिला अहमदाबाद, टाटा मेमोरियल अस्पताल मुबंई और एम्स दिल्ली में करवाया. इस इलाज में उन्हें करीब दो साल का समय लग गया. तपन मिश्रा ने अपने दावे के सबूत के तौर पर जांच रिपोर्ट, एम्स का पर्चा और अपने हाथ-पैर के कुछ फोटो भी फेसबुक पर पोस्ट किए हैं.

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