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तीन तलाक बिल पर मौलाना महमूद मदनी ने जताई चिंता, कहा- न्याय नहीं

जमीयत उलेमा ए हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने तलाक को लेकर कानून पारित होने पर चिंता जताई है. उनका कहना है कि इस कानून से मुस्लिम तलाकशुदा महिला के साथ न्याय नहीं, बल्कि अन्याय की आशंका है.

मौलाना महमूद मदनी (Photo- India Today ) मौलाना महमूद मदनी (Photo- India Today )
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 31 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 11:53 PM IST

जमीयत उलेमा ए हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने तलाक को लेकर कानून पारित होने पर चिंता जताई है. उनका कहना है कि इस कानून से मुस्लिम तलाकशुदा महिला के साथ न्याय नहीं, बल्कि अन्याय की आशंका है. उनका कहना है कि इस कानून के तहत पीड़ित महिला का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा, उसके लिए दोबारा निकाह व नई जिंदगी शुरू करने का रास्ता बिल्कुम खत्म हो जाएगा और इस तरह तलाक का असल मकसद ही खत्म हो जाएगा.

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मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि पुरुष को जेल जाने की सजा आखिरकार महिला और बच्चों को भुगतनी पड़ेगी. उन्होंने कहा कि इससे जुड़े मसले को लेकर सरकार से पूरी तरह स्पष्ट किया जा चुका है. इसके अलावा उनका कहना है कि जिन लोगों के लिए यह कानून बनाया गया उनके प्रतिनिधियों, धार्मिक चिंतकों, विभिन्न शरीयत के कानूनी विशेषज्ञों और मुस्लिम संगठनों से कोई सुझाव नहीं लिया गया.

मौलाना महमूद मदनी ने कहा, 'सरकार कट्टरता का रवैया अपनाते हुए इंसाफ और जनमत की राय को रौंदने पर आमादा नजर आती है, जो कि किसी भी लोकतंत्र के लिए शर्मनाक है. हम मानते हैं कि इस कानून के पीछे मुसलमानों पर किसी न किसी तरह यूनिफॉर्म सिविल कोड थोपने की कोशिश की जा रही है और इसका मकसद मुस्लिम महिलाओं के लिए इंसाफ के बजाए मुसलमानों को धार्मिक स्वतंत्रता से वंचित करना है.'

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उन्होंने कहा, 'भारतीय संविधान में दिए गए अधिकारों के तहत मुसलमानों के धार्मिक व पारिवारिक मामलों में अदालतों और संसद को हस्तक्षेप करने का अधिकार हरगिज नहीं है. मुसलमान हर सूरत में शरीयत कानून का पालन करना अपना कर्तव्य समझता है और पालन करता रहेगा.'

उन्होंने कहा, 'जमीयत सभी मुसलमानों से अपील करती है कि वे खासकर तलाक-ए-बिद्दत से पूरी तरह बचें और शरीअत के हुक्म के मुताबिक निकाह-तलाक और अन्य पारिवारिक मामलों को तय करें. घरेलू विवादों के मामले में दीनी पंचायत के द्वारा फैसले का रास्ता अख्तियार करें और सरकारी अदालतों व मुकदमेबाजी से परहेज करें.'

महिलाओं के खिलाफ नाइंसाफी: ओवैसी

वहीं, तीन तलाक बिल पर एआईएमआईएम प्रमुख व हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि ये बिल मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ है और ये उनके साथ नाइंसाफी है. उन्होंने कहा कि तीन तलाक गुनाह है, लेकिन जो बिल पास हुआ है, उससे मुस्लिम महिलाओं की परेशानी बढ़ जाएगी. उन्होंने कहा कि तीन तलाक का कानून एक क्लास ऑफ ग्रुप के लिए बनाया गया है. ये कानून सुप्रीम कोर्ट में टिकने वाला नहीं है.

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