
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन अध्यक्ष सोनिया गांधी की नाराजगी के बाद भी लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने जम्मू-कश्मीर का मसला फिर उठाया है. अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि 1994 में इस संसद ने संकल्प लिया था कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को हम भारत में शामिल करेंगे. अब जम्मू-कश्मीर का विभाजन हो गया. पीओके की स्थिति क्या होगी? मोदी सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए.
अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि कश्मीर का मुद्दा हमेशा से दुनिया की नजरों में रहा है. उन्होंने कहा कि यदि कश्मीर मुद्दा इतना ही आसान था तो इस सरकार ने सोमवार को कई देशों के दूतावासों को क्यों जवाब दिया. उन्होंने कहा कि वे इस मुद्दे पर सरकार से सफाई चाह रहे थे.
कांग्रस नेता ने सदन के बाहर एक बार फिर कहा कि 1948 से ही जम्मू-कश्मीर संयुक्त राष्ट्र की निगरानी मैकेनिजम में था. उन्होंने कहा कि अब जब राज्य का बंटवारा हो गया है, तो अब हमारी सरकार का इस पर क्या स्टैंड होगा वे ये जानना चाहते हैं.
बता दें कि मंगलवार को कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा में कहा कि जम्मू-कश्मीर मामले की निगरानी संयुक्त राष्ट्र सालों से करता आ रहा है. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर पर भी भारत के एक प्रधानमंत्री ने शिमला समझौता किया तो दूसरे प्रधानमंत्री ने लाहौर घोषणा में जम्म-कश्मीर का मामला रखा था. इस पर अमित शाह ने उनसे मांग की कि चौधरी को अपनी बात स्पष्ट करनी चाहिए. अमित शाह ने कहा कि क्या ये कांग्रेस का स्टैंड है कि जम्मू-कश्मीर मामले की UN मॉनिटरिंग होनी चाहिए.