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सुरक्षा का जायजा लेने जम्मू-कश्मीर जाएंगे एनएसए अजित डोभाल

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर पर ऐतिहासिक और अभूतपूर्व फैसला लिया है. जम्मू-कश्मीर अब केंद्र शासित प्रदेश होगा. इस प्रदेश की अपनी विधायिका होगी. जबकि लद्दाख अब जम्मू-कश्मीर से अलग एक केंद्र शासित प्रदेश होगा. लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी.

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल (फाइल फोटो- ANI) राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल (फाइल फोटो- ANI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 05 अगस्त 2019,
  • अपडेटेड 3:35 PM IST

नरेंद्र मोदी सरकार के फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर में हलचल तेज हो गई है. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल आज यानी शुक्रवार को श्रीनगर पहुंच सकते हैं. बताया जा रहा है कि डोभाल अपनी यात्रा के दौरान राज्य की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेंगे.

जम्मू-कश्मीर में कड़े इंतजाम किए गए हैं. मौजूदा समय में अर्धसैनिक बलों के करीब एक लाख जवान मोर्चा संभाले हुए हैं. जम्मू-कश्मीर में हलचल तेज है. श्रीनगर और जम्मू में धारा 144 लागू हो चुकी है.

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दोनों शहरों में मोबाइल, इंटरनेट सेवा भी बंद है. यह पहला मौका है जब घाटी में मोबाइल, इंटरनेट सेवाओं के साथ लैंडलाइन सर्विस को भी बंद कर दिया गया है. करगिल युद्ध के दौरान भी लैंडलाइन सर्विस को नहीं बंद किया गया था.

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श्रीनगर और जम्मू में सुरक्षा के मद्देनजर धारा 144 लागू कर दी गई है. आम लोगों को बाहर ना निकलने के लिए कहा गया है. ऐसे में लोगों के ग्रुप में एक साथ बाहर निकलने पर भी रोक लग गई है. पूरी घाटी में मोबाइल इंटरनेट पर रोक लगा दी गई है. पहले सिर्फ मोबाइल सेवा रोकी गई और उसके बाद में लैंडलाइन सर्विस भी रोक दी गई है. ऐसे में सुरक्षाबलों को अब सैटेलाइट फोन दिए गए हैं, ताकि किसी भी स्थिति को संभाला जा सके.

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जम्मू-कश्मीर पर चल रही तमाम अटकलें थम गई हैं. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर पर ऐतिहासिक और अभूतपूर्व फैसला लिया है. गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार 5 अगस्त को राज्यसभा में दो अहम संकल्प पेश किए.

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इस  संकल्प में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने और जम्मू-कश्मीर राज्य को दो भागों में बांटने का संकल्प शामिल है. जम्मू-कश्मीर अब केंद्र शासित प्रदेश होगा. इस प्रदेश की अपनी विधायिका होगी. जबकि लद्दाख अब जम्मू-कश्मीर से अलग एक केंद्र शासित प्रदेश होगा. लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी.

संसद में अमित शाह ने कहा कि कश्मीर में ये गलत धारणा है कि अनुच्छेद-370 की वजह से कश्मीर भारत के साथ है. अमित शाह ने कहा कि कश्मीर भारत के विलय पत्र की वजह से है जिसपर 1947 में हस्ताक्षर किया गया था.

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गृह मंत्री ने कहा कि वोट बैंक की वजह से विगत दिनों में इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया, लेकिन हमारे पास इच्छा शक्ति है और हम वोट बैंक की परवाह नहीं करते हैं. अमित शाह ने कहा कि अनुच्छेद-370 को हटाने में अब एक सेकेंड की भी देरी नहीं करनी चाहिए. अमित शाह ने कहा कि वे इस मुद्दे पर डिबेट और बहस के लिए तैयार हैं.

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