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Exclusive: कश्मीर में आतंक को बढ़ावा, जैश ने अपने दो खास कमांडरों को उतारा

कश्मीर घाटी में इस बार सबसे ज्यादा युवा आतंक की राह चुन रहे हैं. घाटी में आतंक को बढ़ावा देने के लिए आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने अपने दो सबसे नजदीकी कमांडरों को उतारा है.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
जितेंद्र बहादुर सिंह/देवांग दुबे गौतम
  • नई दिल्ली,
  • 09 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 8:21 AM IST

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और वहां पर बैठे आतंकी आका कश्मीर घाटी के युवाओं को आतंक की राह पर लाने के लिए हमेशा नए-नए कदम उठाते रहते हैं. भारतीय खुफिया एजेंसियों ने एक ऐसा ही इंटरसेप्ट पकड़ा है जिससे इस बात की जानकारी मिली है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर(पीओके) में बैठा जैश-ए-मोहम्मद का चीफ मौलाना मसूद अजहर ने कश्मीर घाटी में आतंक को बढ़ावा देने और आतंकवादियों की भर्ती करने के लिए अपने दो सबसे नजदीकी कमांडरों को उतारा है.

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सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस साल मई के महीने में घुसपैठ कर जैश-ए-मोहम्मद के दो कमांडर घाटी में पुलवामा के नजदीक करीब 20 युवकों को अपने आतंकी संगठन में शामिल कर चुके हैं. जानकारी के मुताबिक इन कमांडरों में से एक मौलाना मसूद अजहर का 'भतीजा' उमर है, तो दूसरा मौलाना मसूद अजहर का बॉडीगार्ड रह चुका है.

खुफिया सूत्रों ने यह जानकारी दी है कि अकेले इन दोनों ने मिलकर पुलवामा में 20 युवाओं को जैश-ए-मोहम्मद में शामिल कर लिया है.

पुलवामा में सबसे ज्यादा युवा बने आतंकी

जानकारी के मुताबिक़ जनवरी से लेकर इस साल 20 जुलाई तक 87 युवकों ने अलग-अलग आतंकी संगठन का रास्ता चुना है. लोकसभा में लिखित जवाब देते हुए गृह राज्यमंत्री हंसराज अहीर ने जानकारी दी कि कुल 87 युवकों ने अलग-अलग आतंकी संगठन का रास्ता चुना है. उनमें से 14 अनंतनाग से हैं, 35 पुलवामा से, 23 शोपियां से और 15 कुलगाम से हैं.

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लोकसभा में दी गई जानकारी के मुताबिक सबसे ज्यादा 35 आतंकी दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले से अलग-अलग आतंकी संगठनों में शामिल हुए हैं. गृह मंत्रालय ने अपने लिखित जवाब में यह भी कहा है कि जब से राज्यपाल शासन लागू हुआ है तब से कश्मीर घाटी में 12 युवाओं ने आतंकी संगठनों का रास्ता चुना है.

घाटी में इस साल ज्यादा युवा चुन रहे हैं आतंक की राह

खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल की अपेक्षा इस साल कश्मीर घाटी में आतंक की राह चुनने वाले युवाओं की संख्या ज्यादा है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले साल जहां जून के महीने तक 63 युवाओं ने अलग-अलग आतंकी संगठनों में शामिल हुए तो वहीं इस साल 20 जुलाई तक 87 युवाओं ने आतंक की राह पकड़ी है.

हालांकि सरकार की तरफ से इन युवाओं को आतंकी संगठन में शामिल होने से रोकने के लिए कई कदम भी उठाए जा रहे हैं. फिर भी आतंक के आका अपने मंसूबो में कामयाब हो रहे हैं.

'आज तक' को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई अब जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों पर सबसे ज्यादा भरोसा कर रही है. खुफिया रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई पीओके के तेजिन में 100 से 150 जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों को विशेष तरीके की ट्रेनिंग दिलवा रहा है.

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इस ट्रेनिंग के बाद इन आतंकवादियों को सीमापार से घुसपैठ कराने का प्लान है. इस ट्रेनिंग में इन आतंकियों का ब्रेनवाश करने के लिए जैश-ए-मोहम्मद का सेकंड इन कमांड 'अब्दुल रऊफ' कई बार तेजिन के इस आतंकी कैंप का दौरा कर चुका है. सूत्रों ने ये भी बताया है कि जैश के आतंकियों को पाक आर्मी और आईएसआई के निर्देश के अनुसार खास तरीके की ट्रेनिंग दी जा रही है.

सूत्रों के मुताबिक़ पीओके से भर्ती किए गए आतंकियों को टेक्निकल ट्रेनिंग के लिए जैश ए मोहम्मद के आका उनको बहावलपुर में अपने हेड ऑफिस के अंडरग्राउंड टेक रूम में 'टेक्निकल वॉर' की ट्रेनिंग देकर आगे के लिए भेजते हैं.

जानकारी के मुताबिक पहले चरण की ट्रेनिंग के बाद जैश ए मोहम्मद अपने जिहादी ग्रुप को ग्राउंड ट्रेनिंग के लिए पीओके के कैंप में भेजते हैं. यहां पर आतंकियों को खतरनाक ट्रेनिंग तो दी ही जाती है, साथ ही यहीं पर इनको भारतीय सुरक्षाबलों पर फ़िदायीन हमले करने के लिए उकसाया भी जाता है.

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