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जेट एयरवेज के 2 और विमान बेड़े में शामिल, 23 विमान परिचालन से बाहर हुए

वित्तीय संकट से जूझ रही विमानन कंपनी जेट एयरवेज ने किराया नहीं चुका पाने के चलते अपने दो और विमान खड़े कर दिए हैं. किराए का भुगतान नहीं कर पाने की वजह से कंपनी अब तक 23 विमान खड़े कर चुकी है.

वित्तीय संकट की वजह से जेट एयरवेज के अब तक 23 विमान बेड़े खड़े वित्तीय संकट की वजह से जेट एयरवेज के अब तक 23 विमान बेड़े खड़े
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 04 मार्च 2019,
  • अपडेटेड 1:00 PM IST

वित्तीय संकट से जूझ रही विमानन कंपनी जेट एयरवेज ने किराया नहीं चुका पाने के चलते अपने दो विमान और खड़े कर दिए हैं. बता दें कि किराए का भुगतान नहीं कर पाने के करण कंपनी के अब तक 23 विमान खड़े हो चुके हैं. साथ ही इन दो विमानों के खड़े होने के साथ ही जेट एयरवेज के बेड़े के अब करीब 20 प्रतिशत विमान परिचालन से बाहर हो गए हैं.

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कंपनी ने शनिवार को शेयर बाजारों को सूचना दी कि पट्टे समझौते के तहत पट्टे पर विमान देने वाली कंपनियों को पैसा नहीं दे पाने के चलते दो और विमानों को खड़ा करना पड़ रहा है. कंपनी ने यह भी कहा कि किराए पर विमान देने वाली सभी कंपनियों के साथ सक्रिय तौर पर 'बातचीत' चल रही है और नकदी की स्थिति को सुधारने के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में उन्हें नियमित जानकारी दी जा रही है.

27 और 28 फरवरी को भी सात और छह विमान खड़े किए थे  

जेट एयरवेज ने कहा कि इन विमानों के खड़े होने की वजह से नेटवर्क में जो भी दिक्कतें आ रही हैं, उन्हें कम से कम करने के सभी प्रयास किए जा रहे हैं. साथ ही सभी यात्रियों को इसकी जानकारी दी जा रही है. इसके अलावा कंपनी नागर विमानन महानिदेशालय को भी इस संबंध में नियमित जानकारी दे दी है. इससे पहले भी जेट एयरवेज ने किराया नहीं चुका पाने की वजह से 27 फरवरी और 28 फरवरी को सात और छह विमान खड़े किए थे.

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घरेलू विमानन कंपनियों ने पिछ्ले साल 100 से अधिक विमानों को अपने बेड़े में शामिल किया

बता दें, घरेलू विमानन कंपनियों ने पिछ्ले साल 100 से अधिक विमानों को अपने बेड़े में शामिल किया था. हैरानी की बात यह है कि एक वर्ष में देश में नागर विमानन कंपनियों के बेड़े में शामिल किए गए विमानों की यह अब तक की सबसे बड़ी संख्या है. उद्योग जगत के आंकड़ों के अनुसार भारत की नौ प्रमुख एयरलाइनों को 2018 में 120 से अधिक विमानों की डिलीवरी मिली थी. वहीं 2017 में यह आंकड़ा 88 का था.

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