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टिकट बुकिंग पर दिल्ली हाईकोर्ट ने जेट एयरवेज और डीजीसीए से मांगा जवाब

दिल्ली हाईकोर्ट ने जेट एयरवेज में टिकट बुक कराने से जुड़े पैसे को यात्रियों को वापस लौटने से जुड़ी याचिका पर नगर विमानन महानिदेशालय(डीजीसीए), जेट एयरवेज, सिविल एविएशन मिनिस्ट्री से जवाब मांगा है. कंज्यूमर एक्टिविस्ट बिजोन मिश्रा की तरफ से दाखिल की गई याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह आदेश दिया है.

टिकट बुकिंग पर दिल्ली हाईकोर्ट ने जेट एयरवेज और डीजीसीए से मांगा जवाब टिकट बुकिंग पर दिल्ली हाईकोर्ट ने जेट एयरवेज और डीजीसीए से मांगा जवाब
पूनम शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 01 मई 2019,
  • अपडेटेड 1:34 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने जेट एयरवेज में टिकट बुक कराने से जुड़े पैसे को यात्रियों को वापस लौटने से जुड़ी याचिका पर नगर विमानन महानिदेशालय(डीजीसीए), जेट एयरवेज, सिविल एविएशन मिनिस्ट्री से जवाब मांगा है. कोर्ट ने सभी को इस मामले में अपना जवाब अगली सुनवाई से पहले दाखिल करने को कहा है. दिल्ली हाईकोर्ट में जेट एयरवेज के उन यात्रियों ने जिन्होंने एडवांस में टिकट लिए थे उनको राहत देने के लिए ये याचिका दायर की गई है. 16 जुलाई को इस मामले में कोर्ट दोबारा सुनवाई करेगा.

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इस याचिका में कहा गया है कि जिन लोगों ने जेट एयरवेज में कई महीनों पहले कम दाम में बुक कराई, उनका वह पैसा भी डूब गया. अब किसी दूसरी एयरलाइंस में उनको यात्रा करने के लिए कई गुना महंगे दाम पर दूसरी एयरलाइंस से टिकट बुक करना पड़ रहा है. लोगों को न सिर्फ अपने पैसे का नुकसान झेलने को मजबूर होना पड़ रहा है, बल्कि मानसिक यंत्रणा को भी झेलना पड़ रहा है.

करीब 100 फ्लाइट्स जेट की तरफ़ से बिना किसी पूर्व सूचना के ख़ारिज कर दी गई. लोगों को मंहगी टिकट खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, क्योंकि किसी को पारिवारिक किसी को अपने आफिस के काम के चलते यात्रा करनी अनिवार्य है.

हालांकि पिछली सुनवाई में इस मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि कोर्ट को लगता है कि यह याचिका प्रचार के लिए दायर की गई थी. कोर्ट ने पिछली सुनवाई पर याचिकाकर्ता से पूछा था कि सुनवाई पर आने से पहले पीआईएल की सामग्री अखबारों में क्यों प्रकाशित की गई. उसके बाद कोर्ट में सुनवाई के लिए 1 मई की तारीख दे दी थी.

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यह अर्जी कंज्यूमर एक्टिविस्ट बिजोन मिश्रा की तरफ से दाखिल की गई है. दिल्ली हाई कोर्ट में इससे पहले मिश्रा की तरफ से एक याचिका लगाई गई थी जिसमें एयरलाइंस में किरायों पर नियंत्रण के लिए गाइडलाइंस बनाने के लिए कोर्ट को कहा गया था. याचिका में कहा गया था कि एयरलाइंस मनमाने दामों पर अपनी टिकट बेच रही हैं. जिसके चलते आम लोगों को कई गुना मंहगे दामों पर टिकट ख़रीदने के लिए मजबूर होना पड़ता है.

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