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जेएनयू में प्रचार प्रसार खत्म, आज वोटिंग, नजीब की गुमशुदगी बड़ा मुद्दा

जेएनयू में यूनियन चुनाव के लिए प्रचार प्रसार खत्म हो गए हैं. कल वोटिंग होनी है. पिछले कई दिनों से हर पार्टी का प्रत्याशी प्रचार प्रसार में लगा हुआ है. 6 सितंबर की रात प्रेसिडेंसियल डिबेट हुई. अलग-अलग छात्र संगठनों ने अपने मुद्दे रखे. प्रेसिडेंसियल डिबेट के बाद से आज अधिकांश स्टूडेंट्स हॉस्टल्ज में ही रहे. जेएनयू कैम्पस खाली खाली नजर आया. मगर जब आजतक ने राइट और लेफ्ट विंग के स्टूडेंट से बात की तो नजीब को लेकर वे एक दूसरे पर आरोप लगाते नजर आए. इस बार के चुनाव में नजीब का कैंपस से गायब होना बड़ा मुद्दा है.

जेएनयू जेएनयू
शुभम गुप्ता
  • नई दिल्ली,
  • 08 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 1:31 AM IST

जेएनयू में यूनियन चुनाव के लिए प्रचार प्रसार खत्म हो गए हैं. कल वोटिंग होनी है. पिछले कई दिनों से हर पार्टी का प्रत्याशी प्रचार प्रसार में लगा हुआ है. 6 सितंबर की रात प्रेसिडेंसियल डिबेट हुई. अलग-अलग छात्र संगठनों ने अपने मुद्दे रखे. प्रेसिडेंसियल डिबेट के बाद से आज अधिकांश स्टूडेंट्स हॉस्टल्ज में ही रहे. जेएनयू कैम्पस खाली खाली नजर आया. मगर जब आजतक ने राइट और लेफ्ट विंग के स्टूडेंट से बात की तो नजीब को लेकर वे एक दूसरे पर आरोप लगाते नजर आए. इस बार के चुनाव में नजीब का कैंपस से गायब होना बड़ा मुद्दा है.

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जब एबीवीपी से जुड़े छात्रनेताओं से बात की तो उनका कहना था कि एबीवीपी हमेशा कैंपस के मुद्दों पर चुनाव लड़ती है. यहां सीट कट मुद्दा है. हॉस्पिटल की कोई सुविधा नहीं है. उन्होंने लेफ्ट पर पूरे देश और दुनिया की बात करने और कैंपस को छोड़ देने के आरोप लगाए. साथ ही कहा कि यहां लेफ्ट के लोग अवैध ढंग से रहते हैं. साथ ही कहा कि लेफ्ट यहां हर मुद्दे को राजनीतिक मुद्दा बनाना चाहता है.

नजीब के विवाद को सांप्रदायिक रंग दिया

एबीवीपी से जुड़े छात्रनेताओं का कहना है कि कैंपस के लेफ्ट ने नजीब को आम स्टूडेंट ना बताकर मुस्लिम स्टूडेंट में तब्दील कर दिया. दो छात्रों के विवाद को दो समुदाय के विवाद में बदल दिया. कहा कि लेफ्ट यहां कैंपस की बात करने के बजाय मोदी की बात करता है. उन्होंने निवर्तमान यूनियन अध्यक्ष मोहित पाण्डेय पर आरोप लगाए कि यह सबकुछ उसका किया धरा है और इस मामले में नजीब का रूम मेट काशीम ही सबसे बड़ा दोषी है.

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सरकार ने नजीब का केस दबाया

कैंपस में वामपंथी धड़े से ताल्लुक रखने वाले छात्रों का कहना है कि नजीब के केस को प्रशासन ने दबाने की कोशिश की है. विद्यार्थी परिषद् ने नजीब के साथ मारपीट के आरोपी को टिकट दिया है. ऐसा कैसे हुआ? विद्यार्थी परिषद् का असल चेहरा यही है. वे मुस्लिम सम्प्रदाय के स्टूडेंट्स के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते. उन्हें पाकिस्तान और सीरिया जाने को कहते हैं. उनके लिए डर का माहौल बनाते हैं. 

लेफ्ट के छात्र दो बार फेलोशिप परीक्षा की बात कहते हैं और कहते हैं कि परिषद् ऐसी बातें नहीं करता. एफटीआईआई में छात्रों के विरोध के बाद भी गजेंद्र चौहान को वहां का डायरेक्टर बनाया. रोहित वेमुला को मरवाया. स्मृति ईरानी के शिक्षा मंत्री होने पर चीजें खराब थीं. वहीं इस सरकार में जेएनयू का नाम खराब हुआ.

कैंपस में पुलिस आने-जाने लगी. विद्यार्थी परिषद् ने जेएनयू को बदनाम करने का काम किया है. 9 फरवरी के वीडियो में भी उनकी भूमिका है. दिल्ली पुलिस और सीबीआई का भी मानना है कि नजीब के साथ मारपीट हुई. वे कहते हैं कि निर्मला सीतारमण के रक्षा मंत्री बनने से उन्हें किसी प्रकार के गर्व की अनुभूति नहीं हुई. जब जेएनयू इतने बड़े विवाद से गुजर रहा था. तब वह चुप्पी साधे हुए थीं.

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यानी कुल मिलाकर जेएनयू में स्टूडेंट्स से नजीब के नाम पर वोट मांगे जा रहें हैं. लेफ्ट और राइट दोनों ही एक दूसरे पर आरोप लगाकर अपनी-अपनी राजनीति कर रहें है. अब देखना होगा कि 11 सितम्बर को जब नतीजे आएंगे तो कौन जीतेगा.

 

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