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सैनिक की बेटी हैं JNUSU की नई अध्यक्ष गीता, निर्भया आंदोलन में दिखी थी लीडरशिप

9 फरवरी की घटना के बाद देशभर में जेएनयू को लेकर जो धारणा बनी, उसका असर भी गीता पर पड़ा. गीता कुमारी ने आजतक से बातचीत में बताया कि इस दौरान उनकी फैमिली की चिंता बढ़ गई थीं. घर से हर रोज फोन कॉल आते थे.

पिता के साथ गीता कुमारी (PHOTO: गीता की फेसबुक वॉल से) पिता के साथ गीता कुमारी (PHOTO: गीता की फेसबुक वॉल से)
जावेद अख़्तर
  • नई दिल्ली,
  • 10 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 1:41 PM IST

दिल्ली में जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव में एक बार फिर लेफ्ट विंग छात्र संगठनों का दबदबा रहा. सेंट्रल पैनल की चारों सीटों पर लेफ्ट संगठनों के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की. लेफ्ट गठबंधन की तरफ से गीता कुमारी ने अध्यक्ष पद पर जीत दर्ज की. उन्होंने एबीवीपी उम्मीदवार निधि त्रिपाठी को शिकस्त दी.

कौन हैं गीता कुमारी?

-गीता कुमारी हरियाणा के पानीपत की रहने वाली हैं.

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-गीता के पिता भारतीय सेना में हैं और फिलहाल जोधपुर में तैनात हैं. 

-गीता ने इलाहाबाद और गुवाहाटी के आर्मी स्कूल से पढ़ाई की.

-गीता के परिवार में उनके माता पिता के अलावा एक भाई और एक बहन है.

-2011 में जेएनयू में गीता ने बीए कोर्स में एडमिशन लिया.

-इस दौरान वो दो बार स्कूल ऑफ लैंगुएज की काउंसलर रहीं.

-गीता जेएनयू की जेंडर सेंसेटाइजेशन कमेटी का चुनाव भी जीतीं.

-गीता आइसा यानी ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) की सदस्य हैं.

-फिलहाल गीता स्कूल ऑफ सोशल साइंस से एम.फिल कर रही हैं. मॉर्डन हिस्ट्री में सेकेंय ईयर की स्टूडेंट हैं.

AISA की जेएनयू यूनिट के अध्यक्ष रामा नागा ने बताया कि गीता राजनीतिक तजुर्बे के लिहाज से सभी उम्मीदवारों में सबसे सीनियर थीं. उन्होंने बताया कि कैंपस में आने के बाद से ही गीता महिलाओं के मुद्दों को लेकर अग्रणी रही हैं. रामा ने बताया कि 2012 में निर्भया कांड के बाद जेएनयू छात्रों ने जो बड़ा आंदोलन खड़ा किया, उसमें गीता ने लीड रोल निभाया.

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9 फरवरी के बाद बढ़ा दबाव

9 फरवरी की घटना के बाद देशभर में जेएनयू को लेकर जो धारणा बनी, उसका असर भी गीता पर पड़ा. गीता कुमारी ने आजतक से बातचीत में बताया कि इस दौरान उनकी फैमिली की चिंता बढ़ गई थीं. घर से हर रोज फोन कॉल आते थे. घरवाले कहते थे कि सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दो. उन्होंने बताया कि वो वक्त बेहद दबावपूर्ण था, मगर उनके माता-पिता का साथ उन्हें मिलता रहा. हालांकि, गांववालों और दूसरे लोगों की तरफ से हमेशा उनकी राजनीतिक सक्रियता को लेकर सवाल उठाए जाते रहे. 

रामा नागा ने बताया कि बीजेपी और आरएसएस के लोग जेएनयू कैंपस में टैंक रखने की बात करते हैं. राष्ट्रवाद को लेकर दिखावा करते हैं. रामा ने कहा कि जेएनयू के तमाम ऐसे छात्र हैं, जिनके घरवाले सेना में हैं, मगर वो उसकी नुमाइश नहीं करते. रामा ने बताया हम सभी सेना की इज्जत करते हैं और आज जेएनयू के अध्यक्ष पद पर एक जवान की बेटी विराजमान हैं.

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