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#MeToo: उन्होंने मुझे भींचा और जबरन चूमा- एमजे अकबर पर पत्रकार के आरोप

माजली कहती हैं- 'मुझे दुख होता है जब मैं आज इन कहानियों को पढ़ती हूं, मुझे लगता है कि अगर मैं 12 साल पहले ही इन घटनाओं पर कुछ हंगामा कर देती तो हो सकता है कि आज ये चीजें सुनने को नहीं मिलती.'

फोटो- पीटीआई फोटो- पीटीआई
पॉलोमी साहा
  • नई दिल्ली,
  • 14 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 11:11 AM IST

#MeToo खुलासे के तहत केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर पर आरोपों की बमबारी हो रही है. अब तक लगभग 10 महिलाएं केन्द्रीय मंत्री पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगा चुकी हैं. इसी कड़ी में नाम आया है एक टीवी चैनल की पत्रकार माजली डी पाई कैंप का. बात साल 2007 की है. तब 18 साल की माजली डी पाई कैंप पत्रकारिता का ककहरा ही पढ़ रही थीं. इस दौरान एशियन एज अखबार में उन्हें इंटर्नशिप करने का मौका मिला.

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विदेशी पत्रकार ने सुनाई आपबीती

एमजे अकबर तब दक्षिण एशिया के चोटी के पत्रकार हुआ करते थे. वे उस वक्त एशियन एज के संपादक थे. इस वक्त माजली सीएनएन में इनवेस्टिगेटिव रिपोर्टर हैं. भारत में #MeToo मूवमेंट ने रफ्तार पकड़ी तो माजली ने भी अपने साथ हुए वाकयों का जिक्र दुनिया के सामने किया. उन्होंने जो बताया है वो काफी सनसनीखेज है. उनका आरोप है कि एमजे अकबर ने उन्हें जबरन किस किया.

मुझे भींचा और मेरे मुंह पर चूमा

आजतक ने ई-मेल के जरिये उनसे बात की. माजली ने उस दिन की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि वो उनके इंटर्नशिप का आखिरी दिन था और वो उन्हें थैंक्यू कहने उनके चैंबर में गई थीं. माजली ने बताया, "मुझे लगा कि इतनी कम उम्र में एशियन एज जैसे संस्थान में काम करने का मौका देने के लिए मुझे उनका शुक्रिया कहना चाहिए, मैं उन्हें बताना चाहती थी कि आज मेरा आखिरी दिन था, मैं कई सारी तस्वीरें लेकर उनके दफ्तर में गई, इसके बाद वो डेस्क के पास आए जहां पर मैं खड़ी थी, मैंने हाथ मिलाने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया, लेकिन उन्होंने मेरी बांह पकड़ ली, मुझे खींचा और मेरे मुंह पर चूमा. उन्होंने मेरे साथ बेहद आपत्तिजनक हरकत की."

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माजली कहती हैं कि वे भौचक थीं. उन्होंने आगे बताया, "मुझे पता नहीं ये कितनी देर तक चला, लेकिन कुछ देर बाद उन्होंने मुझे जाने दिया. मुझे लगता है कि उस वक्त मैंने कुछ नहीं किया, मैं तुरंत बाहर चली आई, मैंने ऑफिस के कुछ लोगों को ये बात बताई, उन्होंने मुझे कहा कि मैं ऐसा झेलने वाली कोई पहली या अकेली लड़की नहीं थी, शायद इसके बाद मैंने अपने मम्मी-पापा से बात की."

काश 12 साल पहले ही हंगामा कर देती

माजली से जब पूछा गया कि भारत की कई महिला पत्रकार एमजे अकबर के साथ अपने अनुभवों को साझा कर रही हैं, इस पर उन्हें कैसा लगता है. इस सवाल पर उन्होंने कहा, "मुझे राहत भी मिलती है लेकिन साथ ही साथ अपराध बोध का भाव भी हमारे मन में आता है. मुझे दुख होता है जब मैं आज इन कहानियों को पढ़ती हूं, मुझे लगता है कि अगर मैं 12 साल पहले ही इन घटनाओं पर कुछ हंगामा कर देती तो हो सकता है कि आज ये चीजें सुनने को नहीं मिलती.

किसी पद पर रहने लायक नहीं एमजे अकबर

माजली से पूछा गया कि क्या एमजे अकबर को मंत्री पद से इस्तीफा देना चाहिए? इसपर उन्होंने कहा कि उन्हें सत्ता के किसी पद पर बने नहीं रहना चाहिए. माजली ने कहा, "उनके साथ अपने निजी अनुभवों के आधार पर मैं नहीं समझती हूं कि एमजे अकबर को सत्ता के किसी पद पर बने रहने का अधिकार है, लेकिन निश्चित रूप से भारत की सरकार मेरे व्यक्तिगत अनुभवों के आधार पर कार्रवाई नहीं कर सकती है, उन्हें सारे आरोपों पर एक निष्पक्ष और व्यापक जांच करवानी होगी. यदि कोई भी आरोप सही पाया जाता है तो मैं समझती हूं कि मिस्टर अकबर को उनके कार्यों से मुक्त कर दिया जाना चाहिए. कहने की जरूरत नहीं है कि जबतक वे बेदाग साबित नहीं होते हैं, उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए.

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