Advertisement

बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष के नाम का जल्द होगा ऐलान, नड्डा रेस में आगे!

बीजेपी ने सितंबर 2018 में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में प्रस्ताव पारित किया था कि संगठन और नए अध्यक्ष के चुनाव और नियुक्ति की प्रक्रिया लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद ही कराई जा सकती है.

जेपी नड्डा हो सकते हैं बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष (फाइल फोटो) जेपी नड्डा हो सकते हैं बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष (फाइल फोटो)
हिमांशु मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 03 जून 2019,
  • अपडेटेड 8:35 PM IST

अमित शाह के मोदी सरकार में मंत्री बनने के बाद अब राजनीतिक गलियारों में ये सवाल गूंज रहा है कि उनकी जगह अब पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष किसे बनाया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक आने वाले एक हफ्ते में पार्टी की ओर से कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर किसी के नाम का एलान किया जा सकता है.

भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) के संविधान के मुताबिक पार्टी के नए पूर्णकालिक अध्यक्ष का चुनाव या नियुक्ति पचास फीसदी से ज़्यादा राज्यों में संगठन के चुनाव होने के बाद ही हो सकती है.

Advertisement

बता दें कि बीजेपी ने सितंबर 2018 में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में प्रस्ताव पारित किया था कि संगठन और नए अध्यक्ष के चुनाव और नियुक्ति की प्रक्रिया लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद ही कराई जा सकती है.

2019 के अंत में होने वाले महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र जब तक देश भर के पचास प्रतिशत से ज़्यादा राज्यों में संगठन के चुनाव नहीं हो जाते, तब तक  पार्टी की ओर से कार्यकारी अध्यक्ष के नाम की ही घोषणा की जा सकती है.

सूत्रों के मुताबिक कार्यकारी अध्यक्ष ही पार्टी का नया अध्यक्ष भी बनेगा. इसके मायने यही हैं कि  कार्यकारी अध्यक्ष की नियुक्ति के ज़रिये पार्टी संगठन में ये संदेश जाएगा कि शाह के बाद पार्टी के अध्यक्ष की कमान कौन संभालेगा?

माना जा रहा हैं कि पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष के लिए जेपी नड्डा, भूपेन्द्र यादव और कैलाश विजयवर्गीय में से किसी एक के नाम पर मुहर लग सकती है. सूत्रों की मानें तो नड्डा का नाम दौड़ में सबसे आगे है. नड्डा के प्रभारी रहते बीजेपी ने यूपी में बड़ी जीत हासिल की. मंत्रिमंडल में नड्डा का नाम शामिल न होने के बाद से ही उनके पार्टी अध्यक्ष बनने के कयास लगाए जा रहे हैं.

Advertisement

नड्डा फ़िलहाल पार्टी की सबसे पावरफ़ुल संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति के सचिव हैं. नड्डा 2010 से नवम्बर 2014 तक नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह और अमित शाह के साथ पार्टी के महासचिव के रूप में काम कर चुके हैं. नड्डा 1991 में पार्टी के वरिष्ठ नेता मुरली मनहोर जोशी के पार्टी अध्यक्ष रहते हुए बीजेपी युवा मोर्चा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.

दूसरी तरफ़ बीजेपी महासचिव भूपेन्द्र यादव को अमित शाह का करीबी माना जाता है. इस चुनाव में बिहार और गुजरात के प्रभारी के नाते उनका प्रदर्शन शानदार रहा.

वहीं, कैलाश विजयवर्गीय ने अपनी संगठन क्षमता के दम पर पश्चिम बंगाल में दीदी (ममता बनर्जी) के गढ़ में बीजेपी को जो बड़ी कामयाबी दिलाई है, साथ ही 2021 में पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव को देखते हुए उनके नाम को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता.

जेपी नड्डा हों या भूपेंद्र यादव या फिर कैलाश विजयवर्गीय, तीनों ने सांगठनिक क्षमता को लेकर खुद को साबित किया है. लेकिन अंतिम फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को ही लेना है. इसमें आरएसएस की ‘हां’ या ‘ना’ का भी बड़ा महत्व होगा.  

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement