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चुनावी मोड में पीएम मोदी, कर्नाटक के लिए अभी से मंथन और चिंतन

अभी कर्नाटक चुनाव की तारीख़ चुनाव आयोग ने तय नहीं की है लेकिन पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कर्नाटक चुनाव को लेकर अपनी रणनीति पर अभी से काम करना शुरू कर दिया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
हिमांशु मिश्रा/राहुल विश्वकर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 09 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 5:37 AM IST

कर्नाटक चुनाव को लेकर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पिछले साल 2 नवम्बर को सिद्दरमैया की सरकार  के ख़िलाफ़ परिवर्तन यात्रा की शुरुआत कर अपना चुनावी बिगुल बजा दिया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चार फ़रवरी को 75 दिन बाद इस परिवर्तन यात्रा का समापन बैंगलोर में करते हुए सिद्दरमैया सरकार पर तीखे हमले किए थे.

बुधवार को पीएम मोदी ने लोकसभा राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए लोकसभा के संसदीय दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे पर चुटकी लेते हुए कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर ये अंतिम भाषण हो सकता है, क्योंकि कर्नाटक चुनाव के बाद शायद वो संसदीय दल के नेता ना रहें.

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अभी कर्नाटक चुनाव की तारीख़ चुनाव आयोग ने तय नहीं की है लेकिन पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कर्नाटक चुनाव को लेकर अपनी रणनीति पर अभी से काम करना शुरू कर दिया है.

गुरुवार को सभी कैबिनेट मंत्रियों की बैठक कर्नाटक चुनाव की तैयारियों को लेकर संसद भवन में बुलाई गई थी, लेकिन किसी कारणवश अमित शाह बैठक में नहीं आ पाए. गुरुवार को कर्नाटक के चुनाव प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर ने कैबिनेट मंत्रियों की बैठक ली. प्रकाश जवाडे़कर ने अमित शाह का संदेश सभी मंत्रियों को बता दिया कि कर्नाटक में उनके मंत्रालय की जो योजनाएं चल रही हैं उनको जल्द पूरा करें. साथ ही अगर कोई नई योजना लांच करनी है तो आचार संहिता लागू होने के पहले कर दें. साथ ही चुनाव तैयारी में जुट जाएं क्योंकि अब बस एक महीने का वक्त बचा है.

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प्रकाश जवाडे़कर ने सभी मंत्रियों से कहा कि उनके मंत्रालय ने कर्नाटक से सम्बंधित योजनाओं की डिटेल मागी है, ताकि सभी मंत्रालय की कर्नाटक संबंधित योजनाओं के बारे में पब्लिक मीटिंग और रैलियों में जनता को बताया जा सके. सूत्रों की मानें तो सरकार का अनुमान है कि कर्नाटक में चुनाव का ऐलान 15मार्च के आसपास हो सकता है.

पीएम मोदी और अमित शाह ये जानते हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक  जीतकर दक्षिण भारत में एक बार फिर कमल खिलाना कितना फ़ायदेमंद रहेगा. तमिलनाडु और केरल में बीजेपी नहीं के बराबर है.  आंध्र प्रदेश में उनके गठबंधन के साथी टीडीपी ने अभी से आंख दिखना शुरू कर दिया है. तेलंगाना में बीजेपी की ताक़त उतनी नहीं है कि वो टीडीपी के बिना चंद्रशेखर राव की पार्टी टीआरएस को चुनौती भी दे सके.

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